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VIDEO : सरकारी बेपरवाही से खामोश हो गई कुंभलगढ़ दुर्ग की गौरव गाथा

लाइट एण्ड साउण्ड सिस्टम से आरटीडीसी को प्रतिवर्ष डेढ़ करोड़ की आय, फिर भी अनदेखी

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VIDEO : सरकारी बेपरवाही से खामोश हो गई कुंभलगढ़ दुर्ग की गौरव गाथा

ओमप्रकाश शर्मा @ कुंभलगढ़

विश्व विरासत कुंभलगढ़ दुर्ग की गौरव गाथा सुनाने वाला लाइट एण्ड साउण्ड सिस्टम पिछले एक सप्ताह से खामोश है। जहां शाम ढलते ही दुर्ग परिसर में नीलकंठ महादेव मन्दिर के पास राजसी शहनाइयों के साथ जोरदार आवाज में साउण्ड सिस्टम के माध्यम से किले की गौरव गााथा से मन रोमांचित हो उठता था। वहां एक सप्ताह से विरानी छाई हुई है। पिछली २४ जनवरी को मौसम बिगडऩे के साथ ही सिस्टम को चलाने वाले विद्युत ट्रांसफार्मर पर आसमानी बिजली गिर जाने से सिस्टम में रिर्टन करंट दौड़ गया था, जिससे सिस्टम के महंगे पूर्जे जल गए।

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आधी से ज्यादा लाइटें बंद
दस वर्ष पूर्व लगभग ढाई करोड़ की लागत से लाइट एण्ड साउण्ड सिस्टम लगा था, धीरे-धीरे वह भंगार होने लगा है। सिस्टम में घटना वाली जगह को इशारे के माध्यम से दिखाने वाली आधे से ज्यादा लाइटें बंद है। वहीं कुछ स्पीकर भी बंद है, और जो चालू है वे बदतर स्थिति में चल रहे है। जो आवाज की गुणवत्ता आज से दस वर्ष पूर्व थी आज वह खत्म हो गई है।

रखरखाव के मिलते हैं 11 लाख रुपए
नाम नहीं छापने की शर्त पर कर्मचारी ने बताया कि प्रदेश में सबसे ज्यादा रेवेन्यू देने वाले साउण्ड सिस्टम के रखरखाव के लिए प्रतिवर्ष ठेकेदार कम्पन्नी को लगभग ११ लाख रुपए मिलते हैं। वहीं ठेकेदार सिस्टम से प्रति माह लगभग १० से १२ लाख रुपए आय के रूप में विभाग को देता है। सवाल यह नहीं की कितनी आय होती है, सवाल यह है कि इतनी ज्यादा रेवेन्यू देने वाले सिस्टम को इतना उपेक्षित क्यों रखा गया है? दस वर्ष बीत जाने के बावजूद सिस्टम को नया स्थापित क्यों नहीं किया गया। जब की दस वर्षों में विभाग ने यहां से लगभग १०-१५ करोड़ रुपए कमाए हैं।

पर्यटन व्यवसाय पर असर
कुंभलगढ़ पर्यटन व्यवसाय पर चार चांद लगाने वाले सिस्टम के खराब हो जाने से क्षेत्र का पर्यटन व्यवसाय बुरी तरह से प्रभावित हो रहा है। दूर दराज से आने वाले पर्यटक निराश लौट रहे हैं।

सबके अलग अलग जवाब
आसमानी बिजली गिरने से सिस्टम के डिमर जल गए है। इस लिए दिल्ली भेजे हैं। मरम्मत होकर दो तीन दिन में आ जाएंगे। तो प्रारंभ हो जाएगा।
कल्याणसिंह, प्रभारी लाइट एण्ड साउण्ड सिस्टम कुंभलगढ़

डिमर जल गए हैं। जिनको मरम्मत कराने के लिए चित्तौडग़ढ़ ठेकेदार के पास भेजे हैं। मरम्मत होकर आते ही प्रारंभ हो जाएगा। हम इसी में लगे हुए हैं।
देवीसिंह राठौड़, मैनेजर आरटीडीसी, नाथद्वारा

प्राकृतिक आपदा से सिस्टम जल गया है। जहां लाइटें एवं स्पीकर खुले में लगे हुए है, बार-बार कहने पर भी विभाग की ओर से एनक्लोजर नहीं लगाए गए है, जिससे लाइटें एवं स्पीकर खराब हो रहे हैं। सिस्टम काफी पुराना होने से रख रखाव भी ज्यादा लगता है, और गुणवत्ता भी खराब हो रही है। कोशिश कर रहे हैं। ठीक होते ही सिस्टम को चालू कर दिया जाएगा। मरम्मत के नाम पर मिलने वाली राशि प्रतिवर्ष खर्च हो जाती है। विदेशी मशीनें होने से रखरखाव बहुत ज्यादा आता है।
मनीष वैष्णव, कर्मचारी, अंजली कस्ट्रेक्शन एण्ड इलेक्ट्रिकल, ठेकेदार कम्पन्नी

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Published on:
01 Feb 2019 06:00 am
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