
राजसमंद. शहर में कड़ाके की ठंड पड़ रही है। तापमान में लगातार गिरावट और ठिठुरन में इजाफे का दौर जारी है। इस बीच सोमवार को शीतकालीन अवकाश खत्म होते ही बच्चे फिर से स्कूल पहुंचे। चिंतित अभिभावकों ने बच्चों को स्कूल भी भेजा, लेकिन शिक्षक संगठनों ने अब समय में बदलाव की मांग की है। स्कूल जाने के समय सुबह ७ बजे न्यूनतम तापमान ३-४ डिग्री था। बच्चों को स्कूल पहुंचने के लिए घर से एक से डेढ़ घंटे पहले ही निकलना पड़ता है। इन दिनों सुबह ६ से ७ बजे के बीच ठंड का असर ज्यादा है। शिक्षा विभाग ने स्कूल की छुट्टियां २४ दिसम्बर से तय की थी, लेकिन उस समय न्यूनतम तापमान १५ डिग्री सेल्सियस था। उस समय ठंड अधिक नहीं थी। कई निजी स्कूलों ने इस दौरान स्कूल खुले रखे तथा एक जनवरी से अवकाश घोषित किए। प्रदेश में कड़ाके की सर्दी का दौर एक जनवरी से शुरू हुआ है। विभाग ने पहले ही छुट्टियां दे दीं। पिछले तीन साल से मौसम का मिजाज बदला है, मगर विभाग पुराने कलैंडर के मुताबिक ही अवकाश घोषित कर रहा है। पिछली बार भी सर्दीके कारण शीतकालीन अवकाश बढ़ाना पड़ा था।
अभिभावकों ने कहा- छुट्टियां बढ़ें या समय 10 का हो
राजस्थान पत्रिका ने शहर में अभिभावकों से बातचीत की, तो उन्होंने बताया कि स्कूल का समय सुबह जल्दी होने से बच्चों को ठंड में नहलाने, तैयार करने में काफी परेशानी होती है। कई बार बच्चे ठंड के कारण बीमार भी पड़ जाते हैं। शिक्षा विभाग को अवकाश बढ़ाने चाहिएं या समय १० बजे का कर देना चाहिए।
कंपकंपाते स्कूल पहुंचे बच्चे
देवगढ़. कड़ाके की ठंड के बीच शीतकालीन अवकाश समाप्त होने पर सोमवार को गलन भरी सर्दी में नन्हें बच्चें को कंपकंपाते हुए स्कूल जाना पड़ा। छोटे बच्चों को जहंा भीषण सर्दी में स्कूल जाने में दिक्कत हुई वहीं, अभिभावकों का कहना है कि इतनी कड़ाके की सर्दी में छोटे बच्चों के स्कूल का समय सुबह 7.30 या 8 .30 बजे का रखना अनुचित है, जिसे बदला जाना चाहिए।
जन-जीवन प्रभावित
नाथद्वारा. पिछले दो दिनों में सर्दी का असर कुछ कम होने के बाद सोमवार को सर्दी के तेवर फिर से काफी तीखे हो गए। सुबह से ही कड़ाके की सर्दी के कारण आम जनजीवन प्रभावित हुआ और लोग देरी से घरों से निकले, वहीं इसके बाद भी धूप सेवन ही करते दिखाई दिए। इसके साथ ही लोग पूरे दिन एक नहीं दो से लेकर तीन-चार तक गर्म लबादों में लिपटे हुए दिखाई दिए।
सर्दी के मेेवे की पूछ बढ़ी
रिछेड़. पिछले एक सप्ताह से जारी धूजणी वाली सर्दी के कारण जनजीवन प्रभावित हुआ है। लोग देर से घरों से निकलते हैं तो रात को जल्दी चले जाते हैं। धूप सेवन के साथ ही दिन में भी कई लोगों को अलाव से सर्दी का बचाव करते देखा गया। इसके साथ ही लोगों को सर्दी का मेवा खूब भाने लगा है, जिसमें खासतौर से तिल की जगल और गजल की मांग काफी बढ़ गई है। इसके साथ ही घरों में सर्दी के व्यंजन बन रहे हैं।
Published on:
09 Jan 2018 12:02 pm
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