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राजसमंद को मिला बड़ा तोहफा: अब खुलेगा अलग पोस्टल डिविजन मुख्यालय

मेवाड़ की सांस्कृतिक धरोहर और खनन-औद्योगिक पहचान रखने वाला राजसमंद जिला अब अपनी एक अहम प्रशासनिक आवश्यकता पूरी करने जा रहा है।

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MP Mahima Kumari Mewar

MP Mahima Kumari Mewar

राजसमंद. मेवाड़ की सांस्कृतिक धरोहर और खनन-औद्योगिक पहचान रखने वाला राजसमंद जिला अब अपनी एक अहम प्रशासनिक आवश्यकता पूरी करने जा रहा है। केन्द्र सरकार ने यहां स्वतंत्र पोस्टल डिविजन मुख्यालय खोलने की स्वीकृति दे दी है। संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया द्वारा आदेश जारी कर दिए जाने के बाद इस दिशा में कार्यवाही तेज़ हो जाएगी। 33 साल पहले यानी 1 अप्रैल 1992 को बने इस जिले को अब तक स्वतंत्र डाक मंडल का दर्जा नहीं मिल पाया था। स्थानीय जनप्रतिनिधियों और महिमा कुमारी मेवाड़ की ओर से लगातार किए गए प्रयास अब सफल हो गए हैं।

क्यों जरूरी था राजसमंद में नया डिविजन

राजसमंद की जनसंख्या आज 20 लाख से अधिक हो चुकी है (2011 की जनगणना में 11.5 लाख दर्ज थी), जबकि क्षेत्रफल 4,551 वर्ग किलोमीटर है। इतने बड़े इलाके में डाक सेवाओं का संचालन पूरी तरह उदयपुर मंडल पर निर्भर रहा है।

  • जिले में फिलहाल 255 डाकघर और 500 से अधिक कर्मचारी कार्यरत हैं।
  • हर छोटी-बड़ी शिकायत या कार्य के लिए लोगों को 75 किलोमीटर दूर उदयपुर जाना पड़ता है।
  • सीमांत डाकघरों से यह दूरी 220 किलोमीटर तक हो जाती है।
  • इस व्यवस्था से न केवल आमजन परेशान थे बल्कि विभागीय कार्यकुशलता पर भी असर पड़ रहा था।

बढ़ते उद्योग और खनन से बढ़ी डाक सेवाओं की मांग

राजसमंद सिर्फ ऐतिहासिक और धार्मिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि खनन, संगमरमर उद्योग और पर्यटन की वजह से भी तेजी से प्रगति कर रहा है।

  • यहां से संगमरमर और खनिजों का बड़ा निर्यात होता है।
  • व्यापारियों और निर्यातकों को समयबद्ध डाक सेवाओं की सख्त जरूरत रहती है।
  • पर्यटन व आस्था केंद्र होने के कारण यहां हर साल लाखों लोग पहुंचते हैं।

उदयपुर मंडल पर बढ़ता बोझ

  • वर्तमान में उदयपुर पोस्टल डिविजन पर तीन जिलों – उदयपुर, राजसमंद और सलूम्बर – की जिम्मेदारी है।
  • बढ़ते कार्यभार और लंबी दूरी के कारण निरीक्षण व मॉनिटरिंग प्रभावित होती है।
  • ग्रामीण और सीमांत क्षेत्रों तक आधार, जन-धन योजना और पासपोर्ट सेवा जैसी योजनाएं समय पर नहीं पहुंच पातीं।
  • शिकायतों के निस्तारण और जवाबदेही की प्रक्रिया भी धीमी रहती है।

स्वतंत्र मुख्यालय से मिलने वाले फायदे

  • राजसमंद में नया पोस्टल डिविजन मुख्यालय खुलने से कई स्तर पर राहत और सुविधा मिलेगी।
  • स्थानीय समस्याओं का तुरंत समाधान होगा।
  • कर्मचारियों की कार्यक्षमता और जवाबदेही बढ़ेगी।
  • जनता को तेज़ और सरल सेवाएं मिलेंगी।
  • विभाग की छवि और भरोसा दोनों मजबूत होंगे।

अधोसंरचना पहले से तैयार

राजसमंद जिला मुख्यालय पर पहले से ही डाक विभाग की बड़ी इमारत मौजूद है। इसका मतलब है कि नई बिल्डिंग पर अतिरिक्त खर्च करने की आवश्यकता नहीं होगी। इससे बिना ज्यादा आर्थिक बोझ डाले मुख्यालय स्थापित हो सकता है।

धार्मिक व पर्यटन सेवाओं को भी मिलेगा बढ़ावा

नाथद्वारा का श्रीनाथजी मंदिर और कांकरोली का द्वारिकाधीश मंदिर जैसे विश्वविख्यात धार्मिक स्थल राजसमंद की पहचान हैं। डाक विभाग की ‘प्रसादनम्योजना’ को यहां अलग डिविजन मिलने के बाद और मजबूती मिलेगी। लाखों भक्तों तक मंदिर का प्रसाद सीधे घर-घर पहुंचाने की सुविधा अधिक प्रभावी हो सकेगी।

वर्षों पुरानी मांग आखिर पूरी

राजसमंद में अलग डाक मंडल की मांग लंबे समय से उठ रही थी। विभागीय स्तर पर प्रक्रिया पिछले दो वर्षों से चल रही थी। अब केन्द्र सरकार की स्वीकृति के साथ यह सपना साकार होता दिख रहा है।