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शहर की दो बस्तियां, मानसून के आते ही खाली करनी पड़ती है, प्रशासन की ओर से कोई मदद नहीं

-नदी के पेटे में तंबु तानकर रहने वाले लोगों को पहले भी हटाए थे, फिर बस गए

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शहर की दो बस्तियां, मानसून के आते ही खाली करनी पड़ती है, प्रशासन की ओर कोई मदद नहीं

राजसमंद. मानसून सत्र की आहट से सतर्क जिला प्रशासन ने शहर-देहात में नदी-नाले के मुहाने पर बसे लोगों को सतर्क करने और अवैध तरीके से झुग्गी झोपिडय़ा और तम्बू तान कर रहने वाले परिवारों सुरक्षित करने के लिए समस्त महकमो के अधिकारियों को चेता दिया। फिर भी न तो जल संसाधन विभाग ने जल प्लावन वाले क्षेत्र को चिह्नित किया और न ही नगरीय निकाय व ग्राम पंचायतों ने नदी-नाले के मुहाने पर बसी बस्तियों को हटाने के कोई प्रयास किए हैं। राजसमंद शहर में जिस जगह से दो बस्तियां खाली करवाई थी, उसी जगह नदी-नाले में पानी घटने के साथ ही नगरपरिषद की उदासीनता के चलते कतिपय परिवारों ने फिर जगह कब्जाते हुए झुग्गी झोपडिय़ा तैयार कर ली। अब जल्द ही दोनों बस्तियों में रहने वाले परिवारों को शिफ्ट नहीं किया गया, तो सैकड़ों लोगों की जान पर बन आ सकती है।

जहां से हटाए, फिर बसे, अब डूबने का खतरा
- तालेड़ी नदी व झील ओवरफ्लो मार्ग से हटाई दो बस्तियां फिर हो गई आबाद
- नगरपरिषद की लापरवाही से जोखिम में कई लोगों की जान

इन कॉलोनियों में है खतरा
कांकरोली थाने के सामने स्थित गौतम नगर में ज्यादातर परिवार बांडियानाले में बसे हुए है। पिछले वर्ष राजसमंद झील के ओवरफ्लो होने पर इस बस्ती के ज्यादातर घरों में पानी भर गया। तब नगरपरिषद द्वारा बस्ती के अधिकांश परिवारों को हटाते हुए वैकल्पिक तौर पर रैन बसेरे में रखा गया, मगर बारिश थमने के बाद सभी लोग फिर उसी जगह पर झुग्गी झोपडिय़ा या तम्बू तान कर रहने लग गए। इसी तरह ५० फीट पर स्टेशन रोड पर स्थित पेयजल टंकी भी तालेड़ी नदी के बहाव क्षेत्र में सैकड़ों परिवार बसे हैं, जिन्हें भी नगरपरिषद द्वारा गत वर्ष हटाया था। इस बस्ती की वर्तमान स्थति यह है कि कई परिवार पानी के पास तंबू तानकर निवास कर रहे हैं। यहां पर शहर के ज्यादातर नालियों की गन्दगी भी यहीं पर मिलती है, जिससे वर्तमान में भी गंदा पानी भरा हुआ, जिससे यहां रहने वाले लोगों में न सिर्फ बीमारियों का खतरा है, बल्कि जहरीले जीव-जंतु के काटने का भी खतरा है।

कलक्टर ने ली बैठक, दी चेतावनी
मानसून के दस्तक देने के साथ ही कलक्टर आनंदी ने जिलेभर के विभिन्न महकमों के अधिकारियों की बैठक लेकर बारिश से पहले अग्रिम तैयारियों के निर्देश दिए। इसके तहत कलक्टर ने स्पष्ट चेताया कि नदी- नाले के मुहाने पर जहां कहीं लोग बसे हैं, तो उन्हें सतर्क करें और जरूरत पड़े, तो उन्हें हटाए। इसके बावजूद अभी तक संबंधित विभागों द्वारा कोई ध्यान नहीं दिया गया है।

पहले एनवक्त पर किया था शिफ्ट
नगरपरिषद की उदासीनता के चलते पिछले वर्ष भी तेज बारिश के बाद जब झुग्गी झोपडिय़ा डूबने लगी, तब आनन फानन में दोनों बस्तियों के परिवारों को हटाया गया और वैकल्पिक तौर पर रैन बसेरे में शरण दी।
नहीं किया कोई स्थायी समाधान
दोनों कॉलोनियों में झुग्गी झोपिडय़ों व तम्बू में दिन काटने वाले परिवारों को स्थायी तौर से बसाने के लिए नगरपरिषद द्वारा कोई प्रयास नहीं किए गए। हालांकि इनमें कुछ परिवार ऐसे भी है, जिनका आस पास के गांवों में स्थायी मकान है। फिर भी वे शहर में नदी-नाले में जगह कब्जा कर झुग्गी झोपडिय़ों में रह रहे हैं। फिर भी ऐसे परिवारों को चिह्नित कर उन्हें हटाने की भी प्रशासन द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की।

सर्वे कर कलक्टर को देंगे रिपोर्ट
१५ जून से मानसून शुरू होने वाला है। इसके तहत राजसमंद शहर में नदी-नाले के मुहाने पर व डूब क्षेत्र में रहने वाले परिवारों को चिह्नित करेंगे। फिर उसकी रिपोर्ट जिला कलक्टर के साथ नगरपरिषद को भेजी जाएगी।
भगवतीलाल कुमावत, सहायक अभियंता जल संसाधन विभाग राजसमंद