8 दिसंबर 2025,

सोमवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

राजस्थान की एकमात्र हेरिटेज ट्रेन को लेकर आई ऐसी खबर, पर्यटकों को लगेगा झटका

उत्तर-पश्चिम रेलवे ने विरासत संजोने की राह में कदम तो उठाए, मगर उसका एक कदम अब मेवाड़ और दक्षिण राजस्थान आते पर्यटकों का वादियों का निहारने का सपना तोड़ देगा।

2 min read
Google source verification
goramghat.jpg

देवगढ़। उत्तर-पश्चिम रेलवे ने विरासत संजोने की राह में कदम तो उठाए, मगर उसका एक कदम अब मेवाड़ और दक्षिण राजस्थान आते पर्यटकों का वादियों का निहारने का सपना तोड़ देगा। मावली-मारवाड़ मीटरगेज रेलवे लाइन पर स्थित गोरमघाट तक ट्रेन सिर्फ मारवाड़ जंक्शन से ही चलेगी। मावली से देवगढ़ तक मीटरगेज लाइन उखाड़ ली जाएगी। इसका काम भी जल्द शुरू होने वाला है।


मारवाड़ से कामलीघाट तक चल रही वैलीक्विन हेरिटेज स्पेशल ट्रेन पहले सफर का अधिक किराया होने से पिट गई, अब इसके विस्तार की सम्भावनाओं को एक और चोट लगी है कि इसे मावली की दिशा से चलाया नहीं जा सकेगा। यात्रीभार कम होने से ट्रेन के संचालन पर पहले से ही तलवार लटकती दिखाई दे रही है।

एक पखवाड़े के बाद आमान परिवर्तन के चलते मावली से मारवाड़ तक इस रेलमार्ग पर रेल का संचालन बंद हो जाएगा। मावली से देवगढ़ तक रेललाइन हटाने के साथ ही अब मेवाड़ के लोगों के लिए हेरिटेज रेल ही नहीं, गोरमघाट तक सफर भी सपनों मे ही रहेगा। जब तक ब्रॉडगेज रेल का संचालन शुरू नहीं हो जाता, वादियों का सफर नहीं कर पाएंगे।

- पहले सोचा होता तो...

रेलवे ने हेरिटेज ट्रेन के संचालन से पूर्व ही इस ट्रेन को मेवाड़ से चलाने की दिशा में काम किया होता और मावली से हेरिटेज ट्रेन चलाई होती तो ट्रेन संचालन पर तलवार नहीं लटकती, बल्कि ट्रेन को मेवाड़ के पर्यटकों का भी भार मिलता। हेरिटेज ट्रेन मावली से चलने पर देश-विदेश से झीलों की नगरी उदयपुर आने वाले पर्यटकों और नाथद्वारा में श्रीनाथजी, कांकरोली में द्वारकाधीशजी तक आते दर्शनार्थियों को एक नया पर्यटन केन्द्र हो जाएगा।

वर्तमान में दोनों तरफ की यात्रा मारवाड़वासी तो कर पा रहे हैं, लेकिन मेवाड़ की दिशा से किसी को ट्रेन में बैठना हो तो उसे राजसमंद या उदयपुर से कामलीघाट तक जाना होगा। यह यात्रा भी केवल एकतरफा होगी। पूरी यात्रा करनी है तो उसे मारवाड़ तक जाना होगा। किराए में भी कोई खास राहत नहीं मिलेगी।

तत्कालीन शाही परिवारों की मदद से बना था ट्रैक
यह रेलवे लाइन मारवाड़ जंक्शन से मावली जंक्शन के बीच रेलवे लाइन को आजादी से पहले ही बिछाया गया था। दो अलग-अलग शाही परिवारों की मदद से इस रेलवे ट्रैक को बिछाया गया था। मावली जंक्शन से फुलाद तक रेलवे ट्रैक को मेवाड़ (उदयपुर) के तत्कालीन महाराणा की मदद से और मारवाड़ जंक्शन से फुलाद तक रेलवे ट्रैक को मारवाड़ (जोधपुर) के तत्कालीन शाही परिवार की मदद से बिछाया था। आजादी से पहले इस लाइन पर दोनों शाही परिवारों के लिए अलग-अलग ट्रेनें चलायी जाती थी। यात्री फुलाद स्टेशन पर अपनी ट्रेन बदल लिया करते थे।