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Ram Katha : जहां विश्वास है वहां तर्क काम नहीं करता : मोरारी बापू

- विश्वास स्वरूपम के विवाह में बाराती बने बापू, गूंजी शहनाई

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Ram Katha : जहां विश्वास है वहां तर्क काम नहीं करता : मोरारी बापू

नाथद्वारा. रामकथा में शिव विवाह के अवसर पर बापू को मुख्य ट्रस्टी पालीवाल द्वारा पहनाए गए साफे को प्रसन्नचित मुद्रा में पहनते हुए।

नाथद्वारा. आराध्य प्रभु श्रीनाथजी की नगरी में विश्व को एक ओैर पहचान दिलाने के उद्देश्य से स्थापित विश्व की सबसे अद्वितीय 369 फीट की ऊंचाई वाली शिव प्रतिमा विश्वास स्वरूपम् के लोकार्पण अवसर पर चल रही शीतल संत मोरारी बापू की रामकथा में तीसरे दिन यहां के स्टेच्यू को शिवजी का स्वरूप बनाने शिव विवाह का प्रसंग संपन्न किया गया। इस अवसर पर पूरे ठाठ से बैंडबाजों के वादन के साथ विवाह रस्म को पूर्ण किया गया।
शीतल संत मोरारी बापू ने कर्पूरगौरं करूणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारं। सदावसन्तं हृदयारविन्दे भवं भवानी सहितं नमामि का गुणगान करते हुए भगवान शिव की कथा को रामकथा में पिरोते हुए शिवजी की बारात भी सजाई एवं पार्वतीजी के साथ विवाह बंधन में बंधकर बारात की विदाई तक के भावों को अपने श्रीकंठ से हजारों की संख्या में मौजूद अपार जनमेदिनी के समक्ष बखान किया। इस दौरान कई महिलाएं भी रूआंसी हो गई जब बापू ने कहा कि बेटी की विदाई पर किसको वेदना नहीं होती। बेटी का पिता भी इस दौरान पसीज जाता है।
बापू ने सोमवार को हनुमान चालीसा के गुणगान के बाद विश्वास स्वरूपं के श्लौक के साथ कथा का श्रीगणेश करते हुए माता सती के अग्नि में समाहित होने से लेकर मां पार्वती की तपस्या और इसके बाद शिव पार्वती विवाह का मुरारी बापू ने ऐसा वर्णन किया कि आंखों में शिव की बारात के दृश्य सजीव हो उठे। मानो विशाल पाण्डाल ही विवाह स्थल हो और बापू मु य पुरोहित की भूमिका में भगवान शंकर का विवाह करवा रहे हों। इस भावपूर्ण क्षणों में बैंडबाजों की धुन पर पार परिक परिधान पहने बारातियों ने प्रेमानंदित होकर नृत्य किया। इससे पूर्व, बापू ने शिव को पाने के लिए माता पार्वती की तपस्या का वर्णन करते हुए कहा कि विवाह से पहले सप्तऋषियों ने उनकी परीक्षा ली। ऋषि सात थे, लेकिन उन्होंने माता पार्वती को शिवजी के आठ ऐसे गुण गिनाए, जिन्हें जानकर कोई युवती किसी युवक के साथ विवाह करने को तैयार न हो। उन्होंने कहा कि शिव तो निर्गुणी हैं, उदासीन हैंए, निर्लज्ज हैं, दिगंबर स्वरूप में रहते हैं, कुवेश हैं, कपालि हैं, व्याली हैं, आदि। इतना सुनने के बाद भी माता पार्वती ने प्रत्युत्तर में कहा कि जहां श्रद्धा और विश्वास अटूट है, वहां तर्क को स्थान नहीं है। तब सप्त ऋषियों ने माता पार्वती को प्रणाम किया और भगवान शिव के समक्ष उपस्थित होकर सारा वृत्तांत सुनाया।
बापू ने कहा कि भक्ति भी त्रिविधा कही गई है, किन्तु विश्वास और श्रद्धा का एक ही गुण है कि वह निर्गुण है। उन्होंने कहा कि श्रद्धा के बिना ज्ञान की उपलब्धि नहीं हो सकती। इसी तरह, भक्ति को प्राप्त करने के लिए विश्वास प्रगाढ़ होना चाहिए। श्रद्धा और विश्वास दोनों मिलकर ही हमें परमात्मा का अनुभव कराते है। उन्होंने कहा कि श्रद्धा का संबंध हृदय से है और तर्क का संबंध दिमाग से। किसी भी कार्य को करते समय हृदय के भावों को दिमाग में रखकर निर्णय करना चाहिए। माता सती के प्रभु श्रीराम की परीक्षा के दृष्टांत को उद्धृत करते हुए बापू ने कहा कि जहां संशय है वहां असत्य की पर परा शुरू होती है। माता सीता का रूप धरकर प्रभु श्रीराम के समक्ष जाने के उपरांत भी जब श्रीराम ने उन्हें माता कहा तब माता सती का संशय दूर हुआ कि श्रीराम भ्रम नहीं हैंए ब्रह्म हैं। लेकिनए भगवान शिव के पूछने पर उन्होंने असत्य कहा कि उन्होंने कोई परीक्षा नहीं ली। किन्तु अंतर्यामी भगवान शिव ने जान लिया कि उन्होंने माता सीता का रूप धरा हैए तब उनके संकल्प उनकी भक्ति ने माता सती से विच्छेद करने का निर्णय करवाया। इसके बाद माता सती ने उस शरीर का त्याग कर माता पार्वती का रूप धराए तब शिव ने उनसे विवाह किया।
बापू ने कहा कि संतों के हृदय को कभी भी मक्खन नहीं कहना चाहिए। मक्खन तो जब खुद पर आंच आती है तब पिघलता हैए लेकिन साधु संत तो दूसरों की पीड़ा को देखकर ही पिघल जाते हैं। उन्होंने कहा कि सद्गुरू समस्त शास्त्रों का पुनरावतार होता है।
जीवंत है विश्वनाथ का यह स्वरूप : बापू ने कहा कि यहां विराजित विश्वास स्वरूपम् जीवंत स्वरूप है। जगत पिता बैठे हैं यहां। यह केवल एक प्रतिमा नहीं हैए अपितु साक्षात विश्वास का स्वरूप हैं और यह पूरी दुनिया के लिए एक वरदान है। उन्होंने कहा कि जिस विश्वास स्वरूप को रामकथा के माध्यम से विश्व को अर्पण किया गया है उसकी प्राण प्रतिष्ठा की जरूरत ही नहीं है।

सदगुरु समस्त शास्त्रों का पुनरावतार : बापू ने व्यासपीठ से कहा कि सद्गुरु हमारे समस्त शास्त्रों का पुनरावतार होता है। हमारे लिए गुरु ही एकमात्र उपाय होता है। गुरु हमारे जीवन रथ का सारथी तथा नौका का नाविक बनता है। उन्होंने कहा कि गुरु नौ प्रकार के होते हैं। नित्य गुरुए अनित्य गुरुए नित नूतन गुरुए निर्मित गुरु आदि। उन्होंने कहा कि भगवान शिव शाश्वत हैं और हमारे नित्य गुरु व नित्य बोध हैं। ये अखण्डानंद व शाश्वत गुरु है। गुरु ही उपाय है और वही हमें बताता है कि हमारा कल्याण किसमें है।
कन्या जन्म पर उत्सव मनाओ :पर्वतराज हिमालय के घर पर पार्वती के जन्म का दृष्टांत सुनाते हुए बापू ने कहा कि कन्या के जन्म पर उत्सव मनाना चाहिए। कन्या जगत जननी है।
कार्यालय पर कतार : रामकथा के तीसरे दिन सोमवार को जबरदस्त भीड़ के कारण कई जने अपने परिजनों से बिछड़ गये। कई जनों के सामान भी छुट गये। इस पर ये आयोजको की और से स्थापित पूछताछ कार्यालय पहुचे। लेकिन इनकी बिलखती तलाशती आँखों मे तलाश पुरी होने पर खुशी झलकती भी नजऱ आयी।
प्रतिदिन नूतन रहो : व्यक्ति को कभी भी वासी नहीं होना चाहिए अपितु प्रवासी होना चाहिए । यानि रोज नूतन के भाव की अनुभूति हो । मैं भी कथाजी के समय मेरी पौथीजी का भी वस्त्र बदलता हूं । तलगाजगड़ा में होता हूं तो भी प्रतिदिन पौथीजी के वस्त्र बदलता हूं। आदमी को रोज नया मंजर, नया दिखना चाहिए । जिससे सामने वालों को भी लगना चाहिए कि आज इसमें कुछ नया लग रहा है।
काजल की कोठड़ी में कालो दाग लागे ही : काजल की कोठड़ी में रहकर कोई भी यह सोचे की उसको काला दाग नहीं लगेगा, परंतु कहीं न कहीं काजल का दाग लग ही जाएगा। विश्वास में दृढ़ होकर जीओगे तो ढ़ाणी अंदर ही अंदर फूटेगी तो कुुछ ना कुछ तो होगा ही। चन्द्रमा में काला दाग रोशनी में कोई फर्क नहीं पडऩे देता है। उसी प्रकार साधु की चमक में भी कोई फर्क नहीं पड़ता है , क्योंकि ये वासी नहीं प्रवासी साधु हैं।
उज्जैन कोरीडोर को भी सराहा : बापू ने उज्जैन में बनाए गए धार्मिक कोरीडोर को अद्भुत बताते हुए प्रसन्नता जाहिर की एवं प्रधानमंत्री मोदी के द्वारा इसका पिछले दिनों ही शुभारंभ किया गया।
मदन की आवाज में होगा रूद्राष्टकम : बापू ने कहा कि शिव प्रतिमा पर प्रतिदिन बजने वाले घंटनाद के साथ रूद्राष्टकम का भी गुणगान हो , और वो रूद्राष्टकम की आवाज मदन भईया की हो। क्योंकि उन्होंने पूरी रामायण को भी अपनी आवाज में गाया हुआ है। ऐसे में रूद्राष्टकम को उनकी आवाज में ही गाकर शिव प्रतिमा पर घंटनाद के साथ बजाया जाए।
शिव की कृपा विश्व पर उतरे ये प्रयास है : बापू ने कहा कि यहां मदन शब्द का उल्लेख करते हुए एक मदन शिव की समाधि में छोह में करने गया था। इसका उल्लेख कथा के शुरुआत में आए मुनि ने जिक्र किया था उसे ठीक कहते हुए मदन पालीवाल का नाम लेते हुए कहा कि यहां उसकी सराहना नहीं हो रही है क्योंकि इसका नाम भी मदन है जिसने शिवजी की प्रतिमा को यहां स्थापित करने का जो संकल्प लिया उसके पिछे यह मंतव्य है कि शिव की छोह यानि कृपा पूरे विश्व पर उतरे। अत: यहां त्रिवेणी संगम हुआ है।
मेवाड़ के नाथ सहित द्वारकाधीश को भी किया याद : बापू ने कथा के दौरान बापू ने मेवाड़ के नाथ एकलिंग नाथजी एवं प्रभु द्वारकाधीशजी को भी याद करते हुए व्यासपीठ से प्रणाम किया।
किसान के यहां किया भोजन : बापू रामकथा के पश्चात उदयपुर मार्ग पर स्थित मजेरा गांव में भिक्षा ग्रहण करने पहुंचे । जहां रहने वाले किसान परिवार बाबुलाल डांगी के यहां उनकी पत्नी के हाथ से बनी दाल व रोटी का भोजन किया। इस दौरान संतकृपा सनातन संस्थान के ट्रस्टी मदन पालीवाल आदि भी साथ में थे।
कथा का इन्होंने भी लिया लाभ : विधानसभा अध्यक्ष डॉ सीपी जोशी, मंदिर मंडल के पूर्व सदस्य व तिरूपति बालाजी मंदिर बोर्ड के सदस्य उद्योगपति गिरिश पी दाणी, राज्यसभा सांसद नीरज डांगी, प्रदेश सरकार में महिला एवं बाल विकास मंत्री ममता भूपेश, सामाजिक न्याय अधिकारिता मंत्री टीकाराम जूली, लोकार्पण समारोह के अवसर पर कथा के आयोजक व मुख्य ट्रस्टी पालीवाल,मंत्रराज पालीवाल, जिला कलक्टर नीलाभ सक्सेना, आईपीएस सुधीर जोशी ,गड़वाड़ा की कंकू केसर मां सहित कई गणमान्य लोग मौजूद रहे।

रामकथा के साथ सांस्कृतिक भक्ति के रंग कल से
नाथद्वारा. शिव प्रतिमा विश्वास स्वरूपम् के लोकार्पण अवसर पर शीतल संत मोरारी बापू की रामकथा के साथ बुधवार सायंकाल से सांस्कृतिकभक्ति के रंग भी बिखरेंगें।
कथा पांडाल में ही बुधवार सायंकाल सांस्कृतिक सरिता में गुजराती कॉमेडी नाटकों के किंग सिद्धार्थ रांधेरिया अपनी प्रस्तुति देंगे। सिद्धार्थ अभिनेता के रूप में सबसे अधिक लाइव प्रदर्शन का रेकॉर्ड बना चुके हैं। इसी प्रकार गुरुवार को रॉक अंदाज में भक्ति गीतों का जादू बिखेरकर दर्शकों को झूमने पर विवश करने वाले बाबा हंसराज रघुवंशी अपनी प्रस्तुति से शिवभक्ति करेंगे। वर्ष 2019 में मेरा भोला है भण्डारी भजन से सुर्खियों में आए रघुवंशी को बतौर गायक स्थापित किया। हंसराज ने गायन की अपनी अलग ही शैली विकसित की है। वहीं, 4 नवम्बर शुक्रवार को देश के ख्यातनाम कवि कुमार विश्वास, बुद्धिप्रकाश दाधीच, जानी बैरागी सहित अन्य यातनाम कवि काव्य धारा से विश्वास स्वरूपम का अभिषेक करेंगे। वहीं इस आयोजन की कड़ी में आखिरी सांस्कृतिक कार्यक्रम 5 नवंबर को भारतीय पॉप रॉक गायक कैलाश खेर अपनी सुर लहरियां बिखेरेंगे।


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