
राजसमंद. निजी स्कूलों के मनमाने रवैये के पीछे सीधे तौर पर जिम्मेदारों की मिली भगत होती है। क्योंकि यह कोई चुपचाप खेले जाने वाला खेल नहीं है। क्या? अधिकारियों को नियम-कानून नहीं पता, या फिर उन्हें निजी स्कूलों द्वारा प्रतिवर्ष बढ़ाई जा रही अनियमित फीस, कॉपी-किताबों से लेकर डे्रस, मोजे तक में कमीशन दिखाई नहीं देता है। सडक़ों पर नियम पालना को ताक पर रखकर दौड़ती, इनकी बसें, किससे छुपी हैं। नहीं साहब! यह सब इनकी जानकारी में होता है। यह बात रविवार को शहर के प्रबुद्धजनों ने राजस्थान पत्रिका द्वारा की गई चर्चा में कही। लोगों का कहना था कि अब अभिभावकों को भी जागरूक होना होगा। क्योंकि अब स्कूल शिक्षा के मंदिर नहीं रहे, व्यापारियों की दुकान बन गए हैं, ऐसे में अभिभावकों को भी जागरूक ग्राहक बनकर ‘शिक्षा की दुकानों’ से ‘ज्ञान’ की खरीदारी करनी होगी।
शिक्षा को बनाया व्यापार
वर्तमान शिक्षा पूरी तरह से व्यापार बन गई है। स्कूल संचालकों का जोर शिक्षा पर नहीं होकर सिर्फ जेबे भरने पर रहता है। इस व्यापार को बढ़ावा देने में बहुत बड़ा हाथ जिम्मेदार अधिकारियों का है, क्योंकि अगर उनकी मिली भगत नहीं हो तो एक दिन भी इनका खेल नहीं चल सकता। अगर निजी स्कूलों के शोषण से मुक्ति पानी है, तो अभिभावकों को भी उनके सामने आवाज उठानी होगी। हम शोषण सहकर बच्चे का भविष्य नहीं संवार सकते।
महंत मंगलमुखी, अध्यक्ष, मारुतिनंदन दत्तात्रेय संस्थान, राजसमंद
सरकार दे रही बढ़ावा...
सरकार और जिम्मेदार अधिकारियों की मिली भगत का सब खेल है। महंगाई ने पहले ही लोगों की कमर तोड़ रखी है। ऊपर से निजी स्कूलों की मनमानी, हर साल यह अनियमित फीस बढ़ाकर अभिभावकों को परेशान करते हैं। सडक़ों पर निजी स्कूलों की भंगार बसें दौड़ रही है लेकिन कोई पूछने वाला नहीं है।
अशोक टांक, नेता प्रतिपक्ष, नगर परिषद राजसमंद
ठूंस-ठंूस कर भरते हैं बच्चे...
स्कूल संचालक बच्चों से बस का किराया तो मनमानी लेते हैं, लेकिन बस में बच्चों को बैठने तक की जगह नहीं दी जाती। उन्हें ठंूस-ठूंस कर भरा जाता है। अभिभावक अगर फीस देने में जरा देरी कर दे तो वह बच्चे के भविष्य का ख्याल किए बिना उसे परीक्षा में नहीं बैठने देते। अंधेर मची हुई है, और जिम्मेदार जानबूझकर आंखें बंद किए हुए हैं।
राजकुमारी पालीवाल, पार्षद, नगर परिषद राजसमंद
कोई कार्रवाई नहीं होती...
निजी स्कूल मनमानी पर मनमानी करते हैं, लेकिन इनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होती। अभिभावकों का दर्द कोई सुनने को तैयार नहीं है। बच्चे के भविष्य को लेकर चिंतित अभिभावक लगातार शोषित होता हो रहा है।
हेमंत गुर्जर, जिलाध्यक्ष, भगवा रक्षादल, राजसमंद
Published on:
16 Apr 2018 08:39 am
बड़ी खबरें
View Allराजसमंद
राजस्थान न्यूज़
ट्रेंडिंग
