यह भी देखें : तीर्थ यात्रियों के लिये यूपी में बना भव्य कैलाश मानसरोवर भवन – video रिपोर्ट के मुताबिक इस मामले में जानकारी देते हुए रामपुर जिला सरकारी वकील दलविंदर सिंह ने बताया कि मामला वापसी के लिए स्थानीय अदालत में 3 दिसंबर को राज्य सरकार की याचिका दायर की गई थी। इस याचिका को अतिरिक्त जिला और सत्र न्यायाधीश रश्मि रानी ने सोमवार को आवेदन की अनुमति दी। जिसके बाद राजनीतिक गलियारों में सुगबुगाहट है। कारण, मुरादाबार कोर्ट ने तत्कालीन सपा सरकार के सपा नेताओं पर केस वापसी की याचिका को खारीज कर दिया है।
यह भी पढ़ें
तत्कालीन अखिलेश सरकार की सिफारिश कोर्ट में नामंजूर, विधायक समेत सपा नेताओं के केस नहीं होंगे वापस
उल्लेखनीय है कि 27 जनवरी, 2007 को रामपुर में लखनऊ-दिल्ली राजमार्ग पर शीरा (गन्ने का रस) लेकर जा रहा एक ट्रक दो युवकों पर चढ़ गया था। जिसके चलते एक जीप भी सड़क पर फिसल गई और इसके कारण छह शिक्षा मित्र मारे गए, जबकि अन्य कई घायल हो गए थे। कथित रूप से ‘शीरा’ को साफ़ नहीं करने के कारण था कि पुलिस परेशान कर रही थी। जिसके बाद स्थानीय लोगों ने इसका जमकर विरोध किया और पुलिस व सरकार के खिलाफ नारे लगाए। बताया जाता है कि विरोध के बारे में जानने के बाद दीक्षा व उनके पति नरेंद्र अन्य लोगों के साथ वहां पहुंचे। इस दौरान लोगों ने पुलिसकर्मियों पर पथराव किया और निजी व पुलिस वाहनों में आग लगा दी। इस मामले में पुलिस ने मिलक स्टेशन में 16 लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी। जिसमें दीक्षा और नरेंद्र समेत 200 अज्ञात लोगों के खिलाफ हत्या और दंगा करने का प्रयास सहित विभिन्न धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया था। वहीं पुलिस ने तब नरेंद्र को गिरफ्तार भी कर लिया गया था और दीक्षा ने अदालत के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था।