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रामपुर

पुलिस पर हमले के आरोपी भाजपा नेताओं को राहत, कोर्ट ने यूपी सरकार का आवेदन स्वीकार किया

Highlights:
-योगी सरकार ने तीन दिसंबर को केस वापसी की याचिका कोर्ट में दायर की
-मामले में भाजपा नेताओं समेत कई हैं आरोपी

रामपुरDec 12, 2020 / 03:56 pm

Rahul Chauhan

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पत्रिका न्यूज नेटवर्क

रामपुर। वर्ष 2007 में पुलिस पर हमला करने और पुलिस की जीप को आग हवाले करने के मामले में रामपुर कोर्ट ने यूपी सरकार के केस वापसी के आवेदन को स्वीकार कर लिया है। जिसके चलते भाजपा नेताओं ने राहत की सांस ली है। दरअसल, मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इस मामले के 16 आरोपियों में भाजपा नेता और मिलक नगर पंचायत की पूर्व अध्यक्ष दीक्षा गंगवार व उनके पति नरेंद्र सिंह गंगवार भी शामिल थे। वर्तमान में दीक्षा भाजपा की प्रदेश महिला मोर्चा शाखा की उपाध्यक्ष हैं और 2000 में उन्होंने समाजवादी पार्टी (सपा) की उम्मीदवार तौर पर व 2006 में निर्दलीय पंचायत अध्यक्ष का चुनाव जीता था। वहीं 2004 में वह अपने पति के साथ भाजपा में शामिल हो गईं।
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रिपोर्ट के मुताबिक इस मामले में जानकारी देते हुए रामपुर जिला सरकारी वकील दलविंदर सिंह ने बताया कि मामला वापसी के लिए स्थानीय अदालत में 3 दिसंबर को राज्य सरकार की याचिका दायर की गई थी। इस याचिका को अतिरिक्त जिला और सत्र न्यायाधीश रश्मि रानी ने सोमवार को आवेदन की अनुमति दी। जिसके बाद राजनीतिक गलियारों में सुगबुगाहट है। कारण, मुरादाबार कोर्ट ने तत्कालीन सपा सरकार के सपा नेताओं पर केस वापसी की याचिका को खारीज कर दिया है।
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उल्लेखनीय है कि 27 जनवरी, 2007 को रामपुर में लखनऊ-दिल्ली राजमार्ग पर शीरा (गन्ने का रस) लेकर जा रहा एक ट्रक दो युवकों पर चढ़ गया था। जिसके चलते एक जीप भी सड़क पर फिसल गई और इसके कारण छह शिक्षा मित्र मारे गए, जबकि अन्य कई घायल हो गए थे। कथित रूप से ‘शीरा’ को साफ़ नहीं करने के कारण था कि पुलिस परेशान कर रही थी। जिसके बाद स्थानीय लोगों ने इसका जमकर विरोध किया और पुलिस व सरकार के खिलाफ नारे लगाए। बताया जाता है कि विरोध के बारे में जानने के बाद दीक्षा व उनके पति नरेंद्र अन्य लोगों के साथ वहां पहुंचे। इस दौरान लोगों ने पुलिसकर्मियों पर पथराव किया और निजी व पुलिस वाहनों में आग लगा दी।
इस मामले में पुलिस ने मिलक स्टेशन में 16 लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी। जिसमें दीक्षा और नरेंद्र समेत 200 अज्ञात लोगों के खिलाफ हत्या और दंगा करने का प्रयास सहित विभिन्न धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया था। वहीं पुलिस ने तब नरेंद्र को गिरफ्तार भी कर लिया गया था और दीक्षा ने अदालत के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था।
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