
रामपुर: रामपुर सीआरपीएफ कैम्प (Rampur CRPF Camp) आतंकी हमले में आज अदालत अपना फैसला सूना रही है। वहीँ लगभग 12 साल तक चले इस मामले में साढ़े पांच करोड़ से अधिक रुपये खर्च हो गए। इस मुकदमे का फैसला होने तक ढाई सौ से अधिक तारीखें पड़ी थीं। यही नहीं हर तारीख पर सुरक्षा व्यवस्था के नाम पर सरकार के दो लाख रुपये खर्च होते थे। महीने में दो बार मुकदमे की सुनवाई होने से हर महीने चार लाख रुपये सुरक्षा पर खर्च हुए। एक साल में 48 लाख रुपये खर्च हुए और अब 12 साल में यह रकम साढे पांच करोड़ तक पहुंच गई।
ये था मामला
यहां बता दें कि सीआरपीएफ ग्रुप सेंटर पर 31 दिसंबर 2007 की रात आतंकी हमला हुआ था। इस हमले में सीआरपीएफ के सात जवान शहीद हुए थे। एक रिक्शा चालक की भी मौत हुई थी। इस मामले में पहली गिरफ्तारी दस फरवरी 2008 को हुई थी। अगले दिन गिरफ्तार आतंकियों को कोर्ट में पेश किया था, जहां से उन्हें जेल भेज दिया था। पाक आतंकी इमरान, फारूख और सबाउद्दीन को लखनऊ के चारबाग रेलवे स्टेशन से गिरफ्तार किया गया था।
2010 में दाखिल हुई चार्जशीट
प्रतापगढ़ के कौसर खां, खजुरिया के बरेली के गुलाब खां और मुरादाबाद के जंग बहादुर को उनके घरों से पकड़ा था। इसके अलावा मुंबई के फहीम अंसारी और रामपुर के खजुरिया गांव के शरीफ खां की गिरफ्तारी रामपुर रोडवेज के पास से हुई थी। पुलिस ने विवेचना के बाद इन सभी के खिलाफ वर्ष 2010 में चार्जशीट दाखिल की थी। तभी से मुकदमे की सुनवाई चल रही है।
दो बार होती थी सुनवाई
पहले सभी आरोपियों को रामपुर जिला कारागार में रखा गया था। बाद में सुरक्षा के लिहाज से इमरान, फारूख और सबाउद्दीन को लखनऊ जेल में ट्रांसफर कर दिया था। बचे पांचों को बरेली सेंट्रेल जेल भेज दिया।सभी को सुनवाई के लिए यहां कड़ी सुरक्षा में लाया जाता है। इस केस की महीने में दो बार सुनवाई हो रही थी।
Published on:
02 Nov 2019 03:15 pm
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