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‘रामपुर को खून से नहलाने’ वाले बयान पर आजम खान को राहत: कोर्ट से बरी, लेकिन जेल से फिलहाल नहीं मिलेगी आजादी

Rampur News: रामपुर कोर्ट ने भड़काऊ भाषण मामले में सपा नेता आजम खान को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया है। हालांकि, अन्य मामलों में सजा के चलते वे फिलहाल रामपुर जेल में ही रहेंगे।

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‘रामपुर को खून से नहलाने’ वाले बयान पर आजम खान को राहत | Image Source - 'FB' @AbdullahAzamKhan

Azam Khan News: समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और रामपुर से पूर्व सांसद आजम खान को एमपी-एमएलए मजिस्ट्रेट कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। वर्ष 2019 में दर्ज भड़काऊ भाषण के मामले में कोर्ट ने उन्हें सबूतों के अभाव में दोषमुक्त कर दिया। गुरुवार को सुनाए गए इस फैसले के दौरान आजम खान वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कोर्ट में पेश हुए और निर्णय के बाद न्यायालय का आभार व्यक्त किया।

जेल से रिहाई नहीं, दूसरे मामलों में सजा बरकरार

हालांकि, इस फैसले के बावजूद आजम खान को फिलहाल जेल से रिहाई नहीं मिल सकेगी। वे अन्य मामलों में दोषी ठहराए जा चुके हैं और इस समय रामपुर जेल में सजा काट रहे हैं। अदालत से मिली राहत केवल इसी एक मामले तक सीमित है।

2019 में दर्ज हुआ था भड़काऊ भाषण का मुकदमा

यह मामला 2 अप्रैल 2019 का है, जब आम आदमी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता फैसल खान उर्फ फैसल लाला ने रामपुर शहर कोतवाली में आजम खान के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी। शिकायत में आरोप लगाया गया था कि 29 मार्च 2019 को लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान सपा कार्यालय से दिए गए भाषण में आजम खान ने प्रशासनिक अधिकारियों के खिलाफ लोगों को भड़काने की कोशिश की।

अफसरों पर गंभीर आरोप लगाने का मामला

आरोप था कि आजम खान ने मंच से कहा था कि चार अधिकारी जिस जिले से आए हैं, वहां गरीबों पर तेजाब डालकर उन्हें गलाया गया और ये अधिकारी रामपुर को “खून से नहलाने” आए हैं। इस बयान को प्रशासनिक अधिकारियों के खिलाफ हिंसा भड़काने वाला बताया गया था।

किन अफसरों को लेकर दिया गया था बयान

जिन अधिकारियों को लेकर यह बयान दिया गया था, उनमें तत्कालीन जिलाधिकारी आंजनेय कुमार सिंह (वर्तमान में मुरादाबाद मंडलायुक्त), अपर जिलाधिकारी जगदंबा प्रसाद गुप्ता (अब सेवानिवृत्त), उप जिलाधिकारी पीपी तिवारी (सेवानिवृत्ति के बाद निधन) और तत्कालीन सिटी मजिस्ट्रेट सर्वेश कुमार (वर्तमान में मुरादाबाद नगर आयुक्त) शामिल थे।

अभियोजन की कमजोरी बनी राहत की वजह

आजम खान के अधिवक्ता नासिर सुल्तान के मुताबिक, कोर्ट में भड़काऊ भाषण की सीडी पेश की गई थी, लेकिन जांच अधिकारी उस वीडियो के स्रोत को प्रमाणित नहीं कर सके। इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्यों की पुष्टि न हो पाने के कारण अदालत ने अभियोजन की दलीलों को कमजोर मानते हुए आजम खान को बरी कर दिया।

वादी फैसल लाला का ऐलान: ऊपरी अदालत जाएंगे

मामले के वादी फैसल लाला ने एमपी-एमएलए कोर्ट के फैसले पर असंतोष जताया है। उन्होंने कहा कि उन्हें डर था कि इस तरह के बयानों से अफसरों के साथ कोई अनहोनी हो सकती है। उन्होंने स्पष्ट किया कि इस फैसले को ऊपरी अदालत में चुनौती दी जाएगी।

हालिया सजा: फर्जी पैन कार्ड केस में 7 साल

गौरतलब है कि 17 नवंबर को रामपुर कोर्ट ने आजम खान और उनके बेटे अब्दुल्ला आजम को फर्जी पैन कार्ड मामले में 7-7 साल की सजा सुनाई थी। दोनों इस समय रामपुर जेल में बंद हैं। आजम खान 23 महीने बाद 23 सितंबर को जमानत पर जेल से बाहर आए थे, लेकिन महज 55 दिन बाद फिर से जेल भेज दिए गए।

बर्थ सर्टिफिकेट केस में भी सजा

इससे पहले वर्ष 2023 में बर्थ सर्टिफिकेट से जुड़े मामले में आजम खान, उनकी पत्नी तंजीन फातिमा और बेटे अब्दुल्ला आजम को 7-7 साल की सजा सुनाई जा चुकी है। आजम खान पर फिलहाल 100 से अधिक मुकदमे दर्ज बताए जाते हैं।

सेना पर टिप्पणी मामले में भी मिल चुकी है राहत

आजम खान को हाल ही में 11 दिसंबर को सेना के जवानों पर विवादित टिप्पणी के मामले में भी रामपुर कोर्ट से बरी किया गया था। यह मामला वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव प्रचार से जुड़ा था, जिसमें कोर्ट ने पर्याप्त सबूत न होने की बात कही थी।

8 साल चली सुनवाई के बाद फैसला

सेना टिप्पणी मामले में भाजपा नेता और वर्तमान विधायक आकाश सक्सेना ने 30 जून 2017 को सिविल लाइंस थाने में मुकदमा दर्ज कराया था। करीब 8 वर्षों तक चली सुनवाई के बाद अदालत ने आजम खान को दोषमुक्त कर दिया।