रामपुर

फोटो: रामपुर के लाइब्रेरी में है सोने के पानी से लिखी रामायण, PM मोदी दिलाएंगे वैश्विक पहचान

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Published: December 23, 2022 08:31:35 pm
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रजा लाइब्रेरी नवाब फैज़ उल्ला खान ने 1774 में स्थापित किया गया था। उन्होंने राज्य पर 1794 तक शासन किया। रजा लाइब्रेरी में मुगल काल की रामायण है, जिसमें राम मुगल पोशाक में हैं। लाइब्रेरी में 12वीं शताब्दी की कई पांडुलिपियां हैं। जिनमें उस समय की तमाम बातें कही गई है। यहां दीवान-ए-ग़ालिब की बहुत खास पांडुलिपि भी है, जिस में गालिब की लिखावट में सुधार और संशोधन शामिल हैं।

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रजा लाइब्रेरी के लाइब्रेरियन अबु साद इस्लाही बताते हैं कि यहां दरबार हॉल में लगे फानूस में बल्ब इतने खास हैं कि 115 साल हो चुके हैं। एक दो नहीं बल्कि इनमें सैकड़ों बल्ब लगे हुए हैं। इनमें से एक-दो के अलावा ये बल्ब तब से फ्यूज नहीं हुआ है। इसे ऑस्ट्रिया से तत्कालीन नवाब हामिद अली खान ने मंगवाए थे। लाइब्रेरियन इस्लाही कहते हैं, "मुझे भी 25 साल यहां हो चुके हैं। मेरे सामने भी बल्ब फ्यूज नहीं हुए हैं। लाइब्रेरी में 1917 की किताबें भी हैं, जिनमें इनका जिक्र भी है।"

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रजा लाइब्रेरी महज किताबी ज्ञान नहीं बल्कि, रामपुर की संस्कृत‌ि को समेटे हुए है। मंगोलिया की हिस्ट्री से लेकर रामपुर नवाबों के खानपान, गालिब के खतों-किताब आदि हैं। तमाम ऐसी रेसिपी मिल जांएगी, जिनसे लोग रोजगार से जुड सकेंगे।

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हजरत अली के हाथ से हिरन की खाल पर लिखी कुरआन है। सुमेर चंद की फारसी में सोने के पानी से लिखी रामायण। इन दुर्लभ पांडुलिपियों को देखने और शोध कार्य के लिए दुनिया भर से लोग यहां आते हैं। इसे एशिया की सबसे बड़ी लाइब्रेरी का दर्जा हासिल है।

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किताबों को लाल कपड़े में रखना लोग शुभ मानते हैं। इसके पीछे वैज्ञानिक कारण भी हैं। लाल कपड़े में रखी किताब में दीमक और फफूंदी नहीं लगती है। दुनियाभर में अपने किताबी खजाने के लिए मशहूर रजा लाइब्रेरी में हजारों किताबें लाल कपड़े में रखी हैं।

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