
Arjun Munda file photo
रवि सिन्हा की रिपोर्ट...
(रांची): झारखंड में भाजपा के कद्दावर नेता और पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा ने एक बार फिर अपनी ही सरकार के खिलाफ कड़ी टिप्पणी की है। अर्जुन मुंडा ने कहा कि सरकार के फैसले से आदिवासी समाज में दुविधा और असंतोष है। उन्होंने पंचायत स्तर पर आदिवासी विकास समिति के गठन को असंवैधानिक करार दिया।
पत्थलगड़ी है परंपरागत व्यवस्था
मुंडा पत्थलगड़ी के मुद्दे पर भी खुलकर बोले। उन्होंने कहा कि यह परंपरागत व्यवस्था है, लेकिन हाल के दिनों में जिस तरह से लोग इसकी व्याख्या कर रहे है, इससे उत्पन्न दुविधा को दूर करने के लिए संवाद स्थापित करना चाहिए। अर्जुन मुंडा ने पूर्व में सीएनटी-एसपीटी एक्ट में संशोधन विधेयक पर भी सरकार की किरकिरी का उल्लेख करते हुए कहा कि संवादहीनता की स्थिति को खत्म किया जाना चाहिए। उन्होंने स्थानीय नीति पर राज्य सरकार की पहल को भी अनावश्यक हड़बड़ी बताया। अर्जुन मुंडा द्वारा हाल में दिये गये इस बयान से के बाद विपक्षी दलों को सरकार पर निशाना साधने का एक और मौका मिल गया है।
झारखंड विकास मोर्चा के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने कहा कि अर्जुन मुंडा को पता चल चुका है कि सरकार जनविरोधी फैसले ले रही है, इसलिए वे सार्वजनिक रुप से अपनी बातों को रख रहे है, लेकिन भाजपा के अन्य शीर्ष नेताओं व मुख्यमंत्री को यह बात समझ में नहीं आयी है, यही कारण है कि एक के बाद एक ऐसे फैसले लिये जा रहे है, जिससे गरीब आदिवासियों-मूलवासियों के अस्तित्व पर संकट उत्पन्न हो गया है। भूमि अधिग्रहण संशोधन विधेयक को राष्ट्रपति की मंजूरी मिल गयी है और यह प्रभावी हो जाने के बाद राज्य सरकार को अडाणी, अंबानी और टाटा के कहने पर जमीन अधिग्रहण में कोई कठिनाई नहीं होगी।
सुप्रियो भट्टाचार्य ने दिया झामुमो में आने का न्यौता
राज्य में मुख्य विपक्षी दल झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने तो अर्जुन मुंडा को भाजपा से नाता तोड़ कर फिर से झामुमो में शामिल हो जाने का न्यौता तक दे डाला। उन्होंने कहा कि अर्जुन मुंडा पहली बार शिबू सोरेन के आशीर्वाद से ही विधायक बनें और बाद में मुख्यमंत्री बनें। बाद में अर्जन मुंडा ने इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि झामुमो नेताओं का मानसिक संतुलन गड़बड़ा गया है।
अर्जुन मुंडा के बयान के बाद भाजपा में सरकार के कामकाज से नाराज और संगठन में खुद को उपेक्षित महसूस कर रहे नेताओं को भी बल मिला है। हालांकि भाजपा के किसी अन्य नेता द्वारा अब अबतक कोई टिप्पणी नहीं की है, लेकिन यह माना जा रहा है चुनाव के नजदीक आने पर भाजपा के अन्य नेताओं खुलकर अपनी बात को रखेंगे।
Published on:
16 Jun 2018 05:46 pm
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