माता का मंदिर लोगों के लिए अटूट आस्था और विश्वास का प्रतीक है। यह प्रसिद्ध यह मंदिर काफी पुराना बताया जाता है, जिसमें मां उग्रतारा विराजती हैं। मंदिर में सुबह की आरती के बाद कलश स्थापना की गयी, जिसके बाद मां के दर्शन के लिए 16 दिनों तक श्रद्धालुओं का तांता लगा रहेगा।
मंदिर का संचालन आज भी शाही परिवार के लोग ही करते हैं। मंदिर के नियम के अनुसार श्रद्धालुओं को गर्भगृह में जाने की मनाही है। पुजारी गर्भगृह में जाकर श्रद्धालुओं के लाए प्रसाद का भोग माता को लगाते हैं। प्रसाद में मुख्य रूप से नारियल और मिसरी का भोग लगाया जाता है।