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झारखंड में सरकारी स्कूलों को बंद करने के फैसले के खिलाफ विपक्ष की ओर से लाया गया कार्यस्थगन नामंजूर

विपक्षी विधायकों ने राज्य सुदूरवर्ती इलाकों में चल रहे हैं सरकारी स्कूलों को बंद करने के विरोध में कार्य स्थगन प्रस्ताव लाया। जिसे विधानसभा अध्यक्ष ने अमान्य कर दिया

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jharkhand assembly file photo

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(रवि सिन्हा की रिपोर्ट)
रांची। झारखंड विधानसभा के मानसून सत्र के अंतिम दिन भी सदन की कार्यवाही बाधित रही। विपक्षी विधायकों ने राज्य सुदूरवर्ती इलाकों में चल रहे हैं सरकारी स्कूलों को बंद करने के विरोध में कार्य स्थगन प्रस्ताव लाया। जिसे विधानसभा अध्यक्ष ने अमान्य कर दिया। इस दौरान मुख्यमंत्री रघुवर दास और नेता प्रतिपक्ष हेमंत सोरेन के बीच तीखी नोकझोंक भी हुई। विधानसभा की कार्यवाही पूर्वाह्न 11.00 शुरू होने के साथ ही नेता प्रतिपक्ष हेमंत सोरेन ने इस मुद्दे को उठाते हुए कहा कि पूरे राज्य में पहले चरण में 6000 से 7000 सरकारी स्कूल बंद किए जा चुके हैं और दूसरे चरण में 5000 से 7000 स्कूल बंद करने का निर्णय लिया जा रहा है।

बच्चों की पढ़ाई छूटेगी तो शिक्षक होंगे बेरोजगार


झारखंड मुक्ति मोर्चा के वरिष्ठ विधायक स्टीफन मरांडी ने भी स्कूलों को बंद किए जाने के निर्णय पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि नदी-नाले और दूरदराज क्षेत्रों में रहने वाले बच्चों की सुविधा को लेकर इन सरकारी स्कूलों को खोला गया था। लेकिन स्कूल बंद हो जाने से बच्चों की पढ़ाई छूट जाएगी और शिक्षक बेरोजगार हो जाएंगे। भाजपा के रामकुमार पाहन ने भी कहा कि राज्य की भौगोलिक स्थिति को देखते हुए जंगल पहाड़ और सुदूरवर्ती क्षेत्र में रहने वाले बच्चों को कोई कठिनाई नहीं हो इसके लिए स्कूल बंद नहीं किए जाने चाहिए। कांग्रेस विधायक दल के नेता आलमगीर आलम ने बताया कि पाकुड़ जिले में संचालित एक उर्दू स्कूल में जहां 260 से 262 बच्चे पढ़ते हैं उसे भी दूसरे स्कूल में मर्ज करने का निर्णय लिया गया है जिसके कारण बच्चों को मातृभाषा में शिक्षा नहीं मिल पाएगी।

16 लाख बच्चे प्रभावित होंगे


झारखंड विकास मोर्चा के प्रदीप यादव ने इस विषय को लेकर कार्य स्थगन प्रस्ताव लाते हुए कहा कि पिछले वर्ष राज्य सरकार ने पिछले वर्ष 1600 स्कूल बंद किए थे और इस बार 5000 स्कूल बंद किया गया। उन्होंने बताया कि 4400 और असंगठित स्कूल भी आने वाले समय में बंद हो जाएंगे इससे 16 लाख बच्चे प्रभावित होंगे। उन्होंने बताया कि इन सरकारी स्कूलों में ग्राम शिक्षा समिति द्वारा पारा शिक्षकों की नियुक्ति की गई है, इन पारा शिक्षकों की नौकरी स्कूल बंद होने से खत्म हो जाएगी। उन्होंने कहा कि एक तरफ सरकार शराब बेचने का काम कर रही हैं लेकिन स्कूलों को नहीं चलाना चाहती है उन्होंने कहा कि राज्य में प्राइवेट यूनिवर्सिटी कुकुरमुत्ते की तरह खुल रही हैं परंतु स्कूल बंद किए जा रहे हैं।

ड्रॉप आउट नहीं कर सकेंगे पढ़ाई


प्रदीप यादव ने कहा कि इन स्कूलों के बंद हो जाने से 80त्न बच्चों को पढ़ाई बीच में छोडऩा पड़ेगा और स्कूलों से ड्रॉप आउट होने वाले बच्चे आगे की पढ़ाई नहीं कर पाएंगे। उन्होंने कहा कि राज्य में साक्षरता का स्तर राष्ट्रीय औसत से काफी कम है इसलिए इन स्कूलों को बंद नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर दुनिया जीतना है तो तलवार छोड़ कर कलम को हाथ में लेना होगा, लेकिन सरकार कलम को ही छीनना चाहती है। उन्होंने कहा कि कलम के माध्यम से ही विकास के रास्ते तय हो सकते हैं। इस को मुद्दे लेकर जारी शोरगुल के बीच विधानसभा अध्यक्ष ने कार्रवाई को भोजनावकाश दोपहर 2.00 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया।