24 दिसंबर 2025,

बुधवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

जागरूक हुए ग्रामीण,पत्थलगड़ी को विकास विरोधी मानते हुए हटाया गया

पत्थलगड़ी को हटाने से पहले ग्रामीणों ने पारंपरिक तरीके से पूजा पाठ की...

2 min read
Google source verification
pathalgadhi

pathalgadhi

(पत्रिका ब्यूरो,रांची): पुलिस की कड़ाई के बाद खूंटी में पत्थलगड़ी समर्थक पूरी तरह से गायब या भूमिगत हो गए हैं, वहीं जबरन पत्थलगड़ी के खिलाफ ग्रामीण भी एकजुट हो रहे हैं। इसी क्रम में खूंटी के सिलादोन पंचायत के चितरामू गांव स्थानीय ग्रामीणों ने इस पत्थलगड़ी को विकास विरोधी करार देते हुए इसे हटा दिया और सरकार एवं विकास के साथ चलने का संकल्प लिया।


पत्थलगड़ी को हटाने से पहले ग्रामीणों ने पारंपरिक तरीके से पूजा पाठ की। मौके पर प्रशासन की ओर से श्रम अधीक्षक एतवारी महतो एवं सीओ विजय कुमार समेत बड़ी संख्या में गांव के महिला-पुरुष उपस्थित थे। पत्थलगड़ी हटाने के बाद ठीक उसी तरह भोज-भात का आनंद उठाया, जिस तरह इसके उद्घाटन के समय उठाया था। ग्रामप्रधान अशोक मुंडा एवं लीलू पाहन के द्वारा भोज-भात का इंतजाम किया गया था। इससे पूर्व गांव वालों ने 12 जुलाई को ग्रामसभा कर विकास विरोधी पत्थलगड़ी को हटाने का निर्णय लेते हुए डीसी सूरज कुमार एवं एसडीओ प्रणब कुमार पाल को लिखित में जानकारी दी थी। उसी के आलोक में ग्रामीणों ने गुरुवार को ग्रामप्रधान अशोक मुंडा के नेतृत्व में पत्थलगड़ी को हटा दिया।


इस मौके पर चितरामू के ग्रामप्रधान अशोक मुंडा ने कहा कि पत्थलगड़ी को किसी के दबाव में नहीं बल्कि स्वेच्छा से हटाया है। उन्होंने कहा कि शुरु में दूसरे लोगों के बहकावे में आकर संविधान की गलत व्याख्या करते हुए पत्थलगड़ी किया था। इसका नतीजा यह हुआ कि हम ग्रामवासी सरकारी लाभ नहीं ले पाए और धीरे-धीरे गांव के लोग विकास से कटते चले गए। पिछले एक साल में गांव में एक भी विकास कार्य नहीं हुआ। सरकारी अधिकारियों ने भी गांव में आना बंद कर दिया। बाहरी लोग भी गांव आने से डरने लगे। नतीजतन गांव विकास के मामले में पिछड़ता चला गया। इन्हीं सब को ध्यान में रख हमने पत्थलगड़ी को हटाने का निर्णय लिया। एसडीओ ने भी हिम्मत बढ़ाया और भरोसा दिलाया है कि गांव को विकास के रास्ते पर ले जाएंगे।

गौरतलब है कि 11 जून 2017 को चितरामू गांव में सामूहिक रुप से ग्रामीणों ने पत्थलगड़ी की थी। तब शायद ग्रामीणों को यह एहसास भी नहीं रहा होगा कि यह पत्थलगड़ी आगे चलकर गांव के विकास में बाधा बन सकती है। उस समय बाहरी लोगों के बहकावे में आकर ग्रामीणों ने संविधान व विकास विरोधी पत्थल तो गाड़ दिया। जब लोगों को यह पता चला कि यह पत्थल गांव हित में नहीं है तो उसे हटाने में जरा भी देर नहीं की। जिला प्रशासन ने भी चितरामू के लोगों की पहल का स्वागत करते हुए कहा कि यह जिले में बदलाव में अहम कड़ी साबित होगा।