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राज्यमंत्री का दर्जा प्राप्त नर्मदानंद बापजी का बड़ा बयान…मैं नहीं जानता कौन है कम्प्यूटर बाबा, सिर्फ नाम से सूना

नर्मदा परिक्रमा कर केशव भगवान यति का महानिर्वाण दिवस पर नित्यानंद आश्रम आएं नर्मदानंद बापजी ने पत्रिका से की बात

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रतलाम। प्रदेश सरकार ने नर्मदानंद बापजी, हरिरानंद, कम्प्युटर बाबा, भय्यु महाराज एवं पं. योगेंद्र मंहत को राज्य सरकार ने राज्यमंत्री स्तर का दर्जा प्रदान किया, तभी से कई बाबा जनचर्चा में आ गए है। नित्यानंद आश्रम के संत नर्मदानंद बापजी गुरुवार को १५ दिवसीय नर्मदा परिक्रमा कर रतलाम पहुंचे। उन्होंने पत्रिका से बात करते हुए कहा कि आठ दिन की यात्रा पूरी हुई थी तभी मीडिया के माध्यम से खबर आई थी कि मुझे राज्यमंत्री का दर्जा मिला है। सरकार की तरफ से अब तक खबर या पत्र नहीं आया है, ना ही कोई जवाबदारी हैं, मैं अभी एक सामान्य नागरिक हूं। राज्यमंत्री पद को लेकर नर्मदानंद बापजी ने कहा कि जब तक मैं किसी चीज को समझुंगा नहीं है, तब तक मेरी कोई मंशा नहीं है। कम्प्यूटर बाबा के संबंध में जब बात की तो बापजी का कहना था कि वह कम्प्यूटर बाबा को मैं नहीं जानता हूं, सिर्फ नाम से सूना है। मैं स्वयं नर्मदाजी की यात्रा पर था स्वयं के बारे में जानता हूं और स्वामी हरिहरानंदजी को जानता हूं जो साथ में थे, बाकि अन्य के बारे में नहीं जानता हूं। बापजी ने कहा कि जबतक यदि मुझे कोई जानकारी नहीं मिलेंगी की आपका यह दायित्व है ये आपके अधिकार है। आपको ये कार्य सौंपा जाएगा। ये कार्य आपको करना है। जब तक मुझे विधिवत पता नहीं लगेगा तब तक मैं उत्तर देने में असमर्थ हूं। अभी में स्वयं की गाड़ी से चलता हूं। यहां तक की एकात्म यात्रा में भी अपनी गाड़ी में स्वयं डीजल डलवाया, शासन से नहीं लिया।

यह बात सागोद रोड स्थित नित्यानंद आश्रम पर संत नर्मदानंद बापजी ने पत्रिका से चर्चा में कहा। वे केशव भगवान यति के महानिर्वाण दिवस पर १२ अप्रैल की सुबह नर्मदा परिक्रमा कर लौटे थे। बापजी ने बताया कि एकात्म यात्रा के दौरान १३ जिलो का दायित्व मेरे पास भी था। मुख्यमंत्री ने जो हम पर विश्वास किया और बगैर पूछे यह पद दिया, तो उन्होंने कुछ देखा हो तभी यह पद दिया है, क्योंकि हमारी जानकारी में नहीं, हमारी कोई बैठक नहीं हुई। इसके बावजूद भी उन्होंने इतना विश्वास किया तो अच्छी बात है। मुझे कुंभ में संतों ने नर्मदाजी के मानस पुत्र की उपाधी दी है, आचार्य मंडलेश्वर निर्वाणी के विशोपानंदजी महाराज द्वारा दी गई। जो राजा धर्मात्मा हो हम उसके साथ है चाहे भाजपा का हो या कांग्रेस का, हमें राजनीति पार्टी से कोई मतलब नहीं। भ्रष्टाचार और घोटाले तो दुनिया में चलते रहेंगे, लेकिन अच्छा राजा मिलता है तो उसका साथ देना चाहिए, वह किसी भी पार्टी का हो हमें कोई लेना देना नहीं है। जो धर्मात्मा राजा हो हम उसके साथ है। जो मीडिया को मिसगाईड कर दुष्प्रचार कर रहा है, जो यह दावा कर रहें है कि इनका दूसरे आश्रमों में आना जाना नहीं है, वहां के अध्यक्ष है प्रमाण दे सिद्ध करे, नहीं तो नगर भोज कराए या फिर हम नगर भोज कराए। गुरु महाराज की संस्था है, ट्रस्ट मेरे गुरुजी ने बनाए है और इसलिए बनाए की आश्रम की सुरक्षित व्यवस्थाएं चलती रहे, ना की किसी को मालिक बनाया गया। हम ना कभी मालिक थे और ना है और ना ही रहेंगे। हम गुरु महाराज के सेवक है और सेवक ही रहेंगे, जीवन पर्यन्त रहेंगे।
बापजी ने बताए आईडी, पेन और राशनकार्ड
नर्मदानंद बाबजी ने अपने वोटर आईडी, राशनकार्ड और पेनकार्ड बताते हुए कहा कि मीडिया ने मिसगाईड किया है, मेरा २००७ से राशनकार्ड बना हुआ है, उसका एक भी बार उपयोग नहीं किया। २०१० में सारे कागज बने हुए है। सारे कागज है मेरे पास एक चोर ने ताला तोड़ा है, हमने उसके खिलाफ प्रकरण दर्ज नहीं कराया। भक्तों की भावनाओं का भी आघात पहुंचा है। हमने कागज भी इसलिए बनवाए कि मेरी यात्रा थी २०१० मेरे बैंगलोर यात्रा थी रविशंकर संतों को आमंत्रित किया था। हम लोग जब फ्लाईट से गए थे, हमें वहां रोक दिया गया था कि कुछ आईडी प्रुफ बताईये, तो हमने कहा की कुछ नहीं है, तो उन्होंने कहां की आप नहीं जा सकते। फिर मैने कहा कि भय्या अभी तो जाने दो, फिर भी उन्होंने मना कर दिया, फिर एक अन्य संत की ग्यारंटी पर हम वहां गए। इसके बाद जैसे ही मैं वहां से यहां आया और सारे कागजी कार्यवाही पूर्ण करवाई। इसके पूर्व मुझे किसी प्रकार की आवश्यकता ही नहीं पड़ी।
दिव्यांग से छेडख़ानी करे वह गुनहागार है
दिव्यांग रहते हुए रेलवे सुविधा लेने के संबंध में बाबजी ने बताया कि पहले तो जिसने छापा वे सभी दोषी है। विकलांग को विकलांग नहीं कह सकते आप, उसे दिव्यांग कह सकते हैं। मुझे दृष्टिदोष जन्म से था। प्रकृति के उपर हस्ताक्षेप और आक्षेप भी नहीं लगा सकता, तो पहले तो वह गुनहागार है जो दिव्यांग को छेडख़ानी कर रहा है। नर्मदाजी की कृपा से हमें दृष्टि में आनंद हुआ। मुझे जब उस वस्तु का उपयोग नहीं था, उस चोर व्यक्ति ताला तोड़ दीवार तोड़ दी, अभी तो अगर में रिपोर्ट डालू तो उसे जेल हो जाना चाहिए, मैने गरीब ब्राह्मण समझकर उसे छोड़ दिया। साधु जगतकल्याण के लिए होता है दो रुपए भी दान के लिए आते वह दान के होते ही हमारे दो रोटी भी आती वह भी भिक्षा की होती है। भिक्षा में हमारे लिए कपड़ा आ जाता है। जब से सन्यास लिया गुरुजी से सिखा तब से हमारा जीवन ही परोपकार के लिए है। यज्ञ के द्वारा वृष्टि होती है, और वृष्टि से पृथ्वी हरी भरी होती है और तभी अन्न उत्पन्न होता है और अन्न उत्पन्न होगा तो सारे जगत खुश रहेगा, उस भावना से हमने १२ ज्योर्तिलिंग में यज्ञ का संकल्प था और निरंतर जारी है। जगत कल्याण के लिए कार्य कर रहे है, लेकिन ऐसे लोग आ करके विक्षेप करते तो उनका क्या होगा। कोई भी कार्य करे बगैर प्रमाण से न करे।

कागज चोरी कर दुष्प्रचार करना अच्छा नहीं
बापजी ने कहा कि हम नहीं चाहते की संत के द्वारा कोई परम्परा कलंकित हो। ऐसी जब बाते मीडिया में ही आती है कि महाराज ने ये कुकर्म किया, तो हमें एक प्रमाण बताए। ऐसे चोरी करके कागज ले जा कर दुष्प्रचार करना अच्छा नहीं है। हमारे आने वाले खेतलपुर निवासी हीराबाई के आग्रह पर २००४-०५ में डोंगरे नगर यज्ञ करवाया, उन्होंने वहां कुटिया भी बनाई थी। तभी जरूरी कागजात की फोटो कॉपी, मेरे कमंडल भी थे, किसी व्यक्ति के घर पर ही है वह और वह जाकर कह रहा है कि मेरे गुरुमहाराज की धरोहर है, वह मेरी लाई हुई है। हमें पता है की चोर कौन है। आपसी रंजिश के चलते एक बार व्यास ब्राह्मण से विवाद हुआ था उसका तब भी हमें बदनाम करने की कोशिश की थी कि महाराज ने हमें पिटवाया, अरे हम ऐसा काम क्यों करेंगे। मुख्यमंत्री ने हमारे बिना पूछे हमे तो जानकारी भी नहीं, हमारे साथ अमरकंटक के स्वामी हरिहरानंदजी महात्मा भी थे।
मां नर्मदा की कृपा से दृष्टि आनंद हुआ
बापजी ने बताया कि आई कार्ड था २०१० के बाद वह निष्क्रिय हो गया था। हमने उसे एक कमरे में पटक किया था। २००९ में नवीनीकरण करवाया था, २०१० के बाद उसका उपयोग नहीं हुआ। इसके बाद गुरुमां की कृपा हो गई तो नवीनीकरण करवाने की आवश्यकता ही नहीं पड़ी। नेत्र समस्या का निवारण २०१४ में नर्मदा परिक्रमा के दौरान हुआ। परिक्रमा तो मैने २००१ में भी की थी, लेकिन २०१४ की परिक्रमा संकल्प लेकर की गई थी और संकल्प मां ने पूरा किया। आज भी उनकी कृपा से ये सब कुछ मिला है। नहीं तो हम तो पार्षद को चुनाव भी नहीं जीत सके। नर्मदाजी की दो पद यात्रा, तीन वाहन यात्रा १२ ज्योर्तिंलिंग, ६५ यज्ञ आदि कई धार्मिक कार्य किए जा रहे हैं।