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गैंगरेप के झूठे केस में 2 साल जेल में काटे, बरी होकर एमपी पुलिस पर ठोका 10 हजार करोड़ का दावा

गैंगरेप के एक झूठे केस में 2 साल सजा काटकर लौटे युवक ने रतलाम जिला एवं सत्र न्यायालय में मध्य प्रदेश सरकार और पुलिस पर 10 हजार करोड़ से ज्यादा का क्षतिपूर्ति दावा ठोका है।

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गैंगरेप के झूठे केस में 2 साल जेल में काटे, बरी होकर एमपी पुलिस पर ठोका 10 हजार करोड़ का दावा

मध्य प्रदेश के रतलाम में एक अजीबो गरीब मामला सामने आया है। यहां गैंगरेप के एक झूठे मामले में 2 साल की सजा काटकर लौटे एक युवक ने रतलाम जिला एवं सत्र न्यायालय में मध्य प्रदेश सरकार और पुलिस पर 10 हजार करोड़ से ज्यादा का क्षतिपूर्ति का दावा लगा दिया है। आपको बता दें कि, इस मामले पर अगली सुनवाई 10 जनवरी होनी है।

मध्य प्रदेश के रतलाम जिले के घोड़ाखेड़ा में रहने वाले आदिवासी युवक कांतिलाल सिंह उर्फ कांतु झूठे गैंगरेप के मामले में 2 साल जेल की सजा काटनी पड़ी। हालांकि, अब कोर्ट द्वारा उसे बाइज्जत बरी कर दिया गय है। पीड़ित का कहना है कि, बेगुनाह होने के बाद भी उसे कठोर सजा से गुजरना पड़ा। इस दौरान उसे उसके परिवार को समाज में काफी अपमान का सामना करना पड़ा। यही नहीं, उसकी कैद के दौरान उसके बीवी बच्चे सड़क पर आ गए। इसलिए अब पीड़ित कांतिलाल ने इसकी क्षतिपूर्ति के लिए जिला न्यायालय में 10 हजार 6 करोड़ 2 लाख रुपए का दावा का दावा ठोका है।

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पीड़ित ने कही ये बात

पीड़ित आदिवासी कांतिलाल सिंह का कहना है कि, वो पढ़ा लिखा नहीं है। पुलिस ने उसे गैंगरेप के झूठे केस में फंसाया। 5 साल हो गए परेशान होते-होते. 3 साल पुलिस परेशान करती रही. बेगुनाह होते हुए भी उसे 2 साल तक जेल की सजा भुगतनी पड़ी। उसे और उसके परिवार को मानसिक और सामाजिक प्रताड़ना का सामना करना पड़ा। उसे जेल हुई और उसका परिवार सड़क पर आ गया। यहां तक की घर वालों के खाने पीने के लाले पड़ गए। क्योंकि, परिवार में वो ही अकेला कमाने वाला था, ऐसे में उसके बीवी - बच्चे कई कई दिन भूखे प्यासे इधर उधर भटके हैं।

कांतु के अनुसार, ऐसे मामलों को लेकर समाज में जागरुकता लाने के लिए उसने ये कदम उठाया है। पुलिस ऐसे मामलों की गंभीरता से जांच करनी चाहिए। क्योंकि, अगर कोई बेकसूर है तो इस तरह उसके साथ साथ उसके परिवार का भी जीना दूभर हो जाता है। अगर कोई महिला किसी को झूठे मामले में फंसाए तो उसके खिलाफ भी सख्त कारर्वाई होनी चाहिए।

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पीड़ित के वकील ने कही ये बात

कांतू की तरफ से वकील विजय सिंह यादव ने राज्य शासन और पुलिस अधिकारियों के खिलाफ 10 हजार 6 करोड़ 2 लाख रुपये का क्षतिपूर्ति दावा जिला एवं सत्र न्यायालय में पेश किया है। वकील विजय सिंह का ये भी कहना है कि, मानव जीवन का कोई मूल्य तय नहीं कर सकता। पुलिस और राज्य सरकार की वजह से कांतु का जीवन बर्बाद हो गया। उमामला 18 जनवरी 2018 का है। पीड़िता ने थाने में गैंगरेप की शिकायत दर्ज कराई थी। इस मामले में कांतिलाल सिंह उर्फ कांतु को भी आरोपी बनाया गया था। लेकिन कोर्ट ने 20 अक्टूबर 2022 को दोषमुक्त कर दिया। से बेगुनाह होने के बावजूद 2 साल प्रताड़ना का शिकार होना पड़ा। कांतु के परिवार में बुजुर्ग मां मीरा, पत्नी लीला और 3 बच्चे हैं। सभी के पालन पोषण की जिम्मेदारी उसी पर है।

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