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मृत्यु के बाद पुण्यकर्म ही जाते, सम्पत्ति नहीं

चातुर्मासिक धर्म आराधना: 150 नवकार तप आराधकों ने पाटला पर गहुली सजाकर पूज्यश्री की निश्रा में मंत्रोचार एवं स्तवन के साथ क्रिया साधना की

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vikram ahirwar

Jul 29, 2017

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रतलाम।
मृत्यु के बाद परलोक में सम्पत्ति निश्चित रूप से नहीं आएगी, मृत्यु तक निश्चित रूप से आपके साथ रहेगी ही, ऐसी कोई गारंटी नहीं है। बावजूद सम्पत्ति के पीछे जीवन की प्रत्येक सांस दांव पर लगा देने को तैयार हो? धर्म किया जो पुण्य का बंध हुआ वह गारंटी के साथ आएगा ही। क्योंकि मृत्यु के बाद पुण्यकर्म ही जाते, सम्पत्ति साथ नहीं जाती । ये बात आचार्य विवेकचंद्र सागर ने धर्मसभा में कही।


गणिवर्य प्रसन्नचंद्र सागर ने नवकार महोत्सव की तृतीय दिवस पर आचार्य पद की विवेचना करते हुए कहा कि सूरी मंत्र के आराधक आचार्य सभी साधु-साध्वियों के मार्गदर्शक होते हैं। पारस भंडारी ने बताया कि 150 नवकार तप आराधकों ने पाटला पर गहुली सजाकर पूज्यश्री की निश्रा में करमचंद उपाश्रय में क्रिया साधना विभिन्न मंत्रोचार एवं स्तवन से की।



संसार के जितने भी आवास है वह धर्मशाला समान

संसार में जितने भी आवास है, सब धर्मशाला के समान है । संसार में कितने भी घर बना लो आखिर वह ढह जाएंगे, वक्त के साथ बह जाएंगे। हमें वह घर बनाना है जो वक्त के साथ ढह नहीं और बह नहीं। वह घर है मोक्ष का घर, जो कोई छिन नहीं सकता और उसे कोई बांट नहीं सकता । ये विचार नीमचौक स्थानक पर महासती इन्दुप्रभा महाराज ने व्यक्त किए। चातुर्मासिक धर्मआराधना महासती शशिप्रभा, निपुणप्रभा, वृद्धिप्रभा, रिद्धीप्रभा आदि के सानिध्य में चली रही है।



विनय सभी सद्गुणों का मूल

निपुणप्रभा महाराज ने धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहा कि विनय सभी सद्गुणों का मूल हैं । विनय रूपी मूल के बिना सम्यक् ज्ञान, सम्यक् दर्शन, सम्यक् चारित्र व सम्यक् तप रूपी पुष्प पल्लवित नहीं हो सकते । जैन दिवाकर कमला बहुमंडल अध्यक्ष सोनू बाफना एवं महामंत्री प्रीति बोथरा ने बताया कि नौ दिवसीय नवकार महामंत्र के जाप प्रात: 6 बजे से शाम 6 बजे तक नीमचौक स्थानक पर चले रहे थे जो शुक्रवोर को पूर्ण हो गए। संचालन संघ के महामंत्री विनोद बाफना ने किया