ज्योतिषी जोशी ने बताया कि वर्ष 1995 में ज्योतिष विज्ञान से जुड़ी पत्रिका ग्रहपूंज को भेट करने अटल जी के पास दिल्ली में पिताजी पंडित बाबुाल जोशी, पवन पांडेय आदि के साथ गए थे। जब अटल जी को इस बारे में बताया कि उनके जन्म वर्ष को लेकर ज्योतिषियों में भारी भ्रांति है। इसलिए पत्रिका में उनके सही जन्मवर्ष 1926 को विशेष रुप से उल्लेख करके भविष्य के बारे में लिखा गया है। इसके बाद कुद पल के लिए वे मौन हो गए थे।
जोर का लगा था ठहाका जोशी ने बताया कि जब अटल जी अपने चिरपरिचित अंदाज में चुप हुए तो सभी को लगा कि कुछ गलत कह दिया गया, लेकिन इसके बाद उन्होंने जोर का ठहाका लगाया था। न सिर्फ ठहाका लगाया, बल्कि ये सवाल भी कर लिया था कि क्या राजनीति की तरह ज्योतिष में भी झूठ चलता है। इसके बाद उन्होंने अपने खास मित्र पूर्व ग्रह व उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी व केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री रहे मुरली मनोहर जोशी को भी ये बात फोन करके सभी के सामने बताई थी।
जब किया सवाल रावण लगता हूं क्या इसी प्रकार एक अन्य याद साझा करते हुए जोशी ने बताया कि जब १३ दलों के साथ मिलकर सरकार बनी व मंदसौर में अटल जी की सभा हुई तब उनको सरकार बनने के दौरान बीच में अटल जी व आसपास सहयोगी दल वाला फोटो तत्कालीन सांसद डॉ. लक्ष्मीनारायण पांडे के साथ दिया था। तब भी उन्होंने जोर का ठहाका लगाकर सवाल किया था कि क्या में रावण लगता हूं जो एेसे फोटो लिए गए।
कार्यकर्ताओं में लोकप्रिय अटल जी कार्यकर्ताओं में सबसे अधिक लोकप्रिय उनकी कार्यकरने की पद्धती के कारण रहे। वे जब भी रतलाम आते तो वीआईपी रुम के बजाए कार्यकर्ताओं के साथ बैठना पसंद करते। रेलवे स्टेशन पर उनके लिए वीआईपी कक्ष रखा जाता लेकिन वे गार्ड से लेकर इंजन चालक की पेटी पर बैठ जाते व कार्यकर्ताओं से देर तक बात करते रहते। राज्य वित्त आयोग अध्यक्ष हिम्मत कोठारी के बताया कि उनकी ये सादगी ही उनको अन्य से अलग बनाती रही। जिला सहकारी बैंक के अध्यक्ष अशोक चौटाला ने बताया कि वे जब भी रतलाम आते यहां की कचोरी व नमकीन उनको विशेष पसंद रही। लेकिन साथ में ये भी कहते, पेट का ध्यान रखना।