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#Ratlam: मंगल से चैत्र नवरात्र : मां अश्व पर होगी सवार, बन रहे बेहद अद्भुत संयोग

रतलाम। चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से छह योगों में नवरात्र की घट स्थापना होगी। शक्ति की भक्ति का पर्व की शुरुआत लक्ष्मीनारायण योग, गजकेसरी योग, अमृत सिद्धि योग, सर्वार्थ सिद्धि योग में होगी। मंगलवार के दिन इस संवत की शुरुवात होने से मंगल इस संवत के राजा तथा मंत्री शनि होंगे। इसी दिन न्याय शास्त्र के निर्माता महर्षि गोतम की भी जयंती है। नौ दिनों तक विशिष्ट योगों में मातारानी की आराधना होगी।

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Ratlam Chaitra Utsav Navsamvatsar News

इस साल चैत्र नवरात्र के 9 दिन बेहद अद्भुत योग का संयोग बन रहा है, जिससे भक्तों को माता रानी का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होगा, देवी पूजन सफल होगा। एक श्लोक के अनुसार नवरात्र की शुरुआत जिस वार से होती है, उस वार के अनुसार देवी मां अलग-अलग वाहनों पर सवार होकर धरती लोक आती हैं। इस वर्ष अश्व पर सवार होकर मां आ रही है। 17 अप्रेल को राम नवमी पर विदाई होगी।

भक्तों की होगी मनोकामनाएं पूरी


ज्योतिर्विद पं. सोमेश्वर जोशी ने बताया की प्रतिपदा रात्रि 8.31 मिनट तक रहेगी। इसदिन चतुर्थ योग लक्ष्मीनारायण, गजकेसरी, अमृतसिद्धि व सर्वार्थसिद्धि योग बन रहे हैं। उच्च का सूर्य, शुक्र और स्वग्रही शनि अच्छे सत्ता, व्यापार और भूमि भवन के शुभ संयोग बनाएंगे। देवी मां की कृपा से भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होंगी और देश-दुनिया की अशांति खत्म होगी, व्यापार बढ़ेगा और जनता को सुख मिलेगा।

देवी पूजन संग इन कामों के लिए शुभ है चैत्र नवरात्र


इन दिनों में सिर्फ पूजा-पाठ ही नहीं होती, नई शुरुआत और खरीदारी के लिए भी ये दिन बहुत शुभ होते हैं। इस बार नवरात्र के शुरुआती पांच दिन यानी 9-13 अप्रेल खरमास रहेंगे, जिसमें शुभ काम नहीं होते न ही शुभ चीजों की खरीदारी की जाती है, लेकिन 14 अप्रेल से नवरात्र के समापन तक ऐसे मुहूर्त बन रहे हैं, जिसमें प्रॉपर्टी, ज्वैलरी, गाडिय़ों से लेकर इलेक्ट्रॉनिक सामान की खरीदारी की जा सकती है।

नववर्ष की शुरुआत धनु लग्न में


चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 8 अप्रेल को रात्रि 11 बजकर 50 मिनट पर शुरू होकर 9 अप्रेल को रात 8 बजकर 30 मिनट तक रहेगी। 9 अप्रेल को रेवती नक्षत्र प्रात: 7.31 बजे तक और इसके बाद अश्विनी नक्षत्र लगने वाला है। इस दिन सर्वार्थ सिद्धि और अमृत सिद्ध योग भी बन रहे हैं, जिनमें घट स्थापना करके देवी की उपासना करने का अक्षय फल प्राप्त होगा। धनु लग्न में नवचन्द्र वर्ष की शुरुआत होकर अगले दिन गुड़ी पड़वा का उत्सव मनाया जाएगा।