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उज्जैन. मां क्षिप्रा के जल में स्नान के बाद धर्मालुजन बाबा महाकाल के दर्शन करते हैं। इसके बाद पटनी बाजार स्थित नागचंद्रेश्वर को नारियल भेंटकर उनसे चलने के लिए बल मांगते हैं और 118 किमी की यात्रा आरंभ करते हैं। करीब 12 किमी दूर पहले पड़ाव पिंगलेश्वर धाम पहुंचकर यहां दर्शन पूजन करते हैं। साथ ही इसी स्थान पर रात्रि विश्राम करते हैं। दूसरे दिन स्नान-पूजन करके फिर से यात्रा आरंभ करके कायावरुणेश्वर धाम की तरफ बढ़ते हैं।
पंचक्रोशी यात्रा की शुरुआत होती है नागचंद्रेश्वर मंदिर से
पंचक्रोशी यात्रा की शुरुआत पटनीबाजार स्थित श्रीनागचंद्रेश्वर मंदिर से होती है। जहां सबसे पहले श्रद्धालुजन नारियल चढ़ाकर उनकी पूजा-अर्चना कर बल मांगकर पैदल यात्रा करने निकलते हैं। इसके बाद पहला पड़ाव पिंगलेश्वर आता है, जहां वे रात्रि विश्राम करते हैं और सुबह आगे बढ़ते हैं।
सालभर बाद लहराई आस्था के पथ पर धर्मध्वजा, नागचंद्रेश्वर का किया पूजन
पत्रिका के आह्वान और धर्मगुरुओं की इच्छा का मान रखते हुए सालभर बाद आस्था के पथ पर धर्म ध्वजा फिर से लहराई। 118 किमी लंबी पंचक्रोशी यात्रा के लिए प्रशासन ने आम जनता से अपील की थी कि कोई भी इसमें शामिल न हो। धार्मिक भावना को ध्यान में रखकर जनप्रतिनिधि के रूप में उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव और अभा. ब्राह्मण समाज के अध्यक्ष पं. सुरेंद्र चतुर्वेदी ने इस परिक्रमा को पूरा करने का बीड़ा उठाया। मंत्री यादव गुरुवार सुबह 10 बजे नागचंद्रेश्वर मंदिर पहुंचे और सिर्फ एक वाहन से ग्रामीण भाजपा अध्यक्ष बहादुरसिंह बोरमुंडला के साथ यात्रा आरंभ की। उन्होंने कहा कि मुझे बड़ी प्रसन्नता हो रही है कि लाखों लोगों की तरफ से पंचक्रोशी यात्रा का अवसर मिला। भगवान से प्रार्थना करता हूं कि जल्द से जल्द इस महामारी से सबको मुक्ति मिले और हमारा देश, प्रदेश और शहर फिर से हंसता-खिलखिलाता नजर आए। मंत्री से पहले सुबह 5 बजे अभा. ब्राह्मण समाज के अध्यक्ष पं. सुरेंद्र चतुर्वेदी नागचंद्रेश्वर मंदिर पहुंचे और पूजन कर यात्रा प्रारंभ की।
Published on:
06 May 2021 08:39 pm
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