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Mp elecation 2018: आधी आबादी का प्रभाव, एक भी महिला विधायक नहीं चुनीं

रतलाम ग्रामीण, सैलाना और आलोट से जनता ने दिया महिलाओं को मौका

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रतलाम. जिले की 5 विधानसभा सीटों का अपना महत्व है। आरक्षित और अनारक्षित वर्गो में बंटी इन सीटों पर ज्यादातर अवसर पुरूषों को ही मिला है। अहम यह है कि रतलाम सिटी और जावरा विधानसभा में सबसे ज्यादा महिला मतदाता है, बावजूद इसके अब तक इन विधानसभाओं से किसी महिला को विधानसभा में बैठने का मौका नहीं मिला है। जबकि कम महिला मतदाता वाले सैलाना, आलोट और रतलाम ग्रामीण ने महिलाओं को भी चुनकर विधानसभा में भेजा है। एक बार फिर महिलाओं की नजर आगामी चुनाव पर है। नौ लाख से ज्यादा मतदाताओं वाले जिले से अब तक ४ महिलाएं ही विधानसभा तक पहुंची है। जबकि जिले में महिला मतदाताओं की संख्या 4 लाख 80 हजार 734 है। साक्षरता और वोट प्रतिशत के लिहाज से जिले की सबसे प्रमुख विधानसभा रतलाम शहर और इसके बाद आने वाली जावरा विधानसभा से तो एक भी महिला को विधानसभा में जाने का मौका नहीं मिला है।

आलोट से चुनी गई थी पहली महिला विधायक

हालांकि रतलाम शहर विधानसभा से महिला उम्मीदवार को चुनावी मैदान में जरूर उतारा गया लेकिन जनता दरबार से चुनकर वे नहीं जा सकी। जिले की आलोट विधानसभा सीट पर कांग्रेस की लीलादेवी चौधरी को पहली महिला विधायक बनने का गौरव मिला था। वे 1972 में कांग्रेस के टिकट पर चुनकर आई थी। इसके बाद 1985 में भी चौधरी को मौका मिला। इसी तरह वर्ष 2008 में रतलाम ग्रामीण से लक्ष्मीदेवी खराड़ी को ग्रामीण के मतदाताओं ने चुनकर विधानसभा भेजा था। हालांकि वर्ष 2013 के चुनाव में बदलाव हुआ और मतदाताओं ने खराड़ी को दोबारा नहीं चुना।

इस विधानसभा में सैलाना से एकमात्र जिले की विधायक
वर्तमान विधानसभा में जिले से एकमात्र महिला विधायक सैलाना से संगीता चारेल है। वर्ष 2013 के चुनाव में भाजपा से चारेल को टिकट मिला था और वे चुनाव में जीती। इस तरह जिले से अब तक 4 अवसर ही ऐसे आए है, जब महिलाओं को मौका मिला है। रतलाम शहर विधानसभा से अब तक एक बार भी महिला विधायक नहीं बनी है। हालांकि वर्ष 2013 में कांग्रेस ने अदिति दवेसर को मौका तो दिया लेकिन जनता ने उनको चुनकर नहीं भेजा। जबकि शहर में करीब 97050 महिलाओं को मतदान का अधिकार मिला है।