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Acharyashree Vijay Kulbodi Surishwar Maharaj-जीवन से दु:ख को हटाना है तो करे ये कार्य

रतलाम। आपके जीवन में जो कुछ भी अच्छा-बुरा हो रहा है, उसकी वजह, धर्म और कर्म है। जीवन में अच्छा धर्म के और बुरा कर्म के कारण होता है। सुख हमेशा धर्म से आएगा और पाप कर्म के कारण होता है। जैसे हमारे कर्म होते हैं, वैसा ही हमें फल मिलता है। जीवन से दु:ख को हटाना है तो दूसरों को सुखी बनाना सीखो। आपके दु:ख अपने आप मिट जाएंगे।

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यह विचार पर्वाधिराज पर्युषण पर्व के दूसरे दिन आचार्यश्री विजय कुलबोधि सूरीश्वर महाराज ने सैलाना वालों की हवेली मोहन टॉकीज में व्यक्त किए। प्रवचन में श्री देवसूर तपागच्छ चारथुई जैन श्रीसंघ गुजराती उपाश्रय, श्री ऋषभदेव केशरीमल जैन श्वेताम्बर तीर्थ पेढ़ी के पदाधिकारी, सदस्य एवं बड़ी संख्या में श्रावक-श्राविकाएं उपस्थित रहे। आचार्यश्री के 14 सितंबर को सुबह "बैर की बिदाई,प्यार से सगाई" विषय पर विशेष प्रवचन होंगे।

भूखे पेट वाले को हमेशा बुलाना चाहिए

आचार्यश्री ने कहा कि हम अपने मन के भीतर बैर की गांठ लेकर बैठे हैं। भाई-भाई से, सास-बहू से, देरानी-जेठानी से और पिता पुत्र से नाराज होकर बात करने को तैयार नहीं है। हम विवाह और अन्य पारिवारिक कार्यक्रमों में तो संपन्न और भरे पेट के लोगों को तो बुलाते हैं, लेकिन भूखे पेट वाले को कभी नहीं बुलाते। आप भले ही भरे पेट वाले को नहीं बुलाए, लेकिन भूखे पेट वाले को हमेशा बुलाना चाहिए।

संयम और त्याग से भी जीवन चलता
रतलाम। दुनिया में भोग-उपभोग के जितने भी साधन है, उन पर जगत के सभी जीवों का अधिकार है। हमारा अकेले का अधिकार नहीं है, इसलिए अतिक्रमण नहीं करो। जीवन में कम से कम वस्तुओं का उपयोग करों। अपने भोग की प्रवृत्ति को कम करो और आवश्यकताओं को घटाओ। इससे पैसा बचेगा और पुण्य भी मिलेगा। इससे व्यक्ति कभी दरिद्र नहीं बनेगा। यह बात विचार उपाध्यायश्री जितेशमुनि ने छोटू भाई की बगीची में आचार्य प्रवरश्री विजयराज की निश्रा में प्रवचन देते हुए कही।