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पर्युषण के प्रथम दिन जिनेंद्र भक्ति

क्रोध शत्रु है और क्षमा मित्र बालब्रह्मचारी दीक्षार्थी आशीष भैय्या ने स्टेशन रोड स्थित चंद्रप्रभ दिगम्बर जैन मंदिर पर धर्मसभा में कहा

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रतलाम. उत्तम क्षमाधर्म हमें सिखाता है कि यदि तुम प्रेमपूर्वक, मैत्रीपूर्वक तभी रह पाओंगे जब तुम क्रोधरूपी जहर को त्याग कर क्षमा रूपी शीतल नीर को अपने हृदय में धारण करोंगे। क्रोध रूपी अग्रि से अपनी रक्षा करो और अपने चित्त की कलुषता को छोड़ो। क्रोध शत्रु है और क्षमा मित्र है, इसलिए क्षमाभाव से मैत्री करो। यह विचार आचार्य विशुद्धसागर महाराज के संघ में संघस्थ बालब्रह्मचारी दिक्षार्थी आशीष भैय्या ने स्टेशन रोड स्थित चंद्रप्रभ दिगम्बर जैन मंदिर पर पर्युषण महापर्व अन्तर्गत व्यक्त किए। प्रथम दिन उत्तम क्षमापर्व पर धर्मसभा के पूर्व समाजजनों ने पर्वाधिराज महापर्व की शुरुआत करते हुए सुबह जिनेंद्र भगवान के अभिषेक शांतिधारा एवं संगीतमय नित्य नियम की पूजन व दशलक्षण धर्म की पूजन सामूहिक रूप से की। शाम को नियमित सामयिक एवं विद्या सिंधु महिला मंडल द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम के तहत जरा याद रखना नामक मेमोरी गेम तृप्ति अग्रवाल, कविता अग्रवाल द्वारा आयोजित किया गया। प्रवक्ता मांगीलाल जैन ने बताया कि २७ अगस्त को विद्या सिंधु महिला मंडल द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम भक्ति में शक्ति कार्यक्रम नम्रता विशाल गांधी व नेहा जितेंद्र जैन द्वारा किया जाएगा।

पर्युषण पर्व:-स्टेशन रोड चंद्रप्रभ मंदिर एक नजर में

फोटो आरटी-२७०४-जिनेंद्र भगवान केअभिषेक में शामिल भक्तगण।
अतिशयकारी मूलनायक श्री चंद्रप्रभ भगवान प्रतिमा स्टेशन रोड दिगम्बर जैन मंदिर पर विराजमान है। साथ ही भगवान आदिनाथ, महावीर स्वामी और २४ तीर्थंकरों की प्रतिमा, सिद्ध परमेष्ठी की प्रतिमा भी भक्तों के आनंदित करती है। समाज के प्रवक्ता मांगीलाल जैन ने बताया कि मंदिर से १२५ घर के करीब ४०० से अधिक समाजजन जुड़ें है। प्रतिदिन २५-३० श्रावक भगवान के नित्य अभिषेक एवं शांतिधारा में भाग लेते है। पूर्ण मंदिर में कांच की नक्काशी है, तो रात दो बजे भी यहां से गुजरते समय भगवान के दर्शन लाभ ले सकते हैं। मंदिर से संबंधित संत भवन बनकर तैयार है, तो सप्ताह में दो दिन बच्चों को जैन संस्कार अन्तर्गत पाठशाला संचालित की जाती है।

सभी से क्षमा मांगकर, मन को पवित्र-पावन बनाए
औरों को छोड़ खुद को टटोलो। संवत्सरी का पर्व भव-भव के रोग की चिकित्सा करने का समय है। एक घड़ी का भरोसा नहीं है फिर कल का इंतजार क्यों? संवत्सरी के दिन उपवास, पौषध, आलोचना, प्रतिक्रमण के साथ क्षमा का महत्व है। जैन धर्म का मूल क्षमा है । सभी से क्षमा मांगकर अपने मन को पवित्र व पावन बनाए, सहते-सहते हंसना सिख जाए और हसते-हसते सहना।

यह विचार शनिवार को प्रतिक्रमण क्षमापना पर्व अन्तर्गत महासती वृद्धिप्रभा ने नीमचौक स्थानक पर धर्मसभा को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। सामूहिक क्षमापना एवं पारणे का आयोजन आजसंघ के कोषाध्यक्ष अमृत कटारिया व उपाध्यक्ष प्रदीप पोखरना ने बताया कि रविवार सुबह सामूहिक क्षमापना एवं पारणे का आयोजन नीमचौक स्थानक पर राजेन्द्रकुमार मांगीलाल कटारिया परिवार के सहयोग से रखा गया। जाप प्रभारी एवं संघ मंत्री बाबुलाल गांधी ने बताया कि 9 दिवसीय अखण्ड नवकार महामंत्र के जाप की पूर्णाहुति 27 अगस्त की सुबह 7.15 नीमचौक स्थानक पर होगी। श्रीसंघ की ओर से तपस्वियों का शाला, माला एवं चांदी के सिक्के से बहुमान इन्दरमल पटवा, मणिलाल कटारिया, ललित पटवा, महेन्द्र बोथरा, प्रिती बोथरा, मीना गांधी, ज्योति पटवा, राखी गांधी, दीप्ति झामर, लक्ष्मी बाई पितलीया आदि द्वारा किया गया

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