15 दिसंबर 2025,

सोमवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

रतलाम

Watch video : 24 घंटें में एक बार रोना भी सीखों

रतलाम। वर्तमान समय में व्यक्ति की आंख से आंसू और आंसूओं को आश्रय देने वाला कंधा दोनों गायब है। इसके कारण लोगों के जीवन में तनाव विषाद, डिप्रेशन बढ़ता जा रहा है। इसलिए 24 घंटे में एक बार रोना भी सीखों। भगवान के चरणों का प्रक्षालन जल की जगह आंसू से करके देखों, यह प्रभु भक्ति की चरम अवस्था है। यह वो स्थिति है जहां प्रभु के साक्षात दर्शन हो सकते हैं।

Google source verification

यह विचार बुद्धेश्वर हॉल में आयोजित प्रवचन में शनिवार सुबह आचार्य कुलबोधि सूरीश्वर महाराज ने व्यक्त किए। महाराजश्री ने कहा कि दीर्घ तपस्या के बाद भगवान महावीर का पारणे के लिए अत्यन्त कठिन अभिग्रह जो कि चंदनबाला के आंसू से पूर्ण हुआ।

शाल ओढ़ाकर बहुमान
इस दौरान पाŸव शांतिनाथ जैन श्वे. धार्मिक चेरिटेबल ट्रस्ट के अध्यक्ष फतेहलाल कोठारी एवं ट्रस्टीगणों ने आचार्यश्री व समाजसेवी इंदरमल जैन का शाल ओढ़ाकर बहुमान किया। इस मौके पर लालचंद सुराणा, विजय तलेरा, संजय कोठारी, दीपेंद्र कोठारी, आनंदीलाल नाहर, राजेंद्र धारीवाल, पारस जैन, आद उपस्थित थे। संचालन हेमंत बोथरा ने किया। प्रभावना शैतानमलश्रीपाल नाहर की ओर से दी गई।

आंसू पैसों से कीमती
महाराजश्री ने कहा कि आंसू की एक-एक बूंद अमूल्य है, अनमोह है। इसकी कीमत पैसों से नहीं आंकी जा सकती, क्योंकि इसका सीधा संबंध व्यक्ति की भावना से है, इसके केंद्र में भावना है। महासती चंदनबाला के आंसू, मीरा के आंसू और भक्त प्रहलाद के आंसू इसका जीवंत प्रमाण है।