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ये कैसा एमसीएच जिसमें चार दिन से खांसी की दवा नहीं

ओपीडी में सर्दी खांसी के मरीज बढ़े

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ये कैसा एमसीएच जिसमें चार दिन से खांसी की दवा नहीं

रतलाम। मदर एंड चाईंल्ड केयर सेंटर (एमसीएच) में ही मरीजों को खांसी का दवाई नहीं मिल रही है। हां यह बात अलग है कि जो दवाई अस्पताल में उपलब्ध नहीं है उसे चिकित्सक लिखने में परहेज नहीं कर रहे हैं, मरीज सेंटर के दवाई केंद्र पर पहुंचकर जब दवाई लेने पहुंचता है तो उसे दो के स्थान पर एक दवाई थमा दी जाती है और दूसरी दवाई के संबंध में वहां से भी साफ मना कर दिया जाता है कि यह नहीं है। मजबूरीवश शहर सहित आसपास के ग्रामीण अंचल से उपचार कराने आए गरीब परिजनों को बाहर संचालित हो रहे मेडिकल स्टोरों को मुंह तकना पड़ता। हालात यह है कि कई दिनों से एमसीएच में खासी की दवाई नहीं है, जबकि सैकड़ों बच्चे खासी-सर्दी जुकाम से परेशान होकर अस्पताल पहुंच रहे है और चिकित्सक उन्हे जो दवाई अस्पताल में नहीं है वह भी धड़ल्ले से लिखकर रवाना करते नजर आ रहे हैंं।
मामला बुधवार दोपहर 3 बजकर 40 मिनट का है एमसीएच सेंटर में बच्चों का उपचार कर रही डॉ. रश्मि दिवेकर के पास एक बच्ची के परिजन सर्दी-खासी होने पर उपचार के लिए पहुंचे। चिकित्सक ने दो दवाई लिख दी, परिजन दवा लेने पहुंचे तो सर्दी की दवाई देकर चलता कर दिया, परिजन ने पूछा की दूसरी दवा नहीं दी, तो उनका कहना था कि नहीं है। जब चिकित्सक के पास परिजन पुन: पहुंचे तो उनका कहना था कि मेरे काम दवा लिखना है अस्पताल में है या नहीं मुझे कैसे पता होगा। बच्ची के परिजन ने कहा कि जब आपने यह दवाई लिखी है तो यह तो बताए कहां से लेनी और नहीं है तो कब तक आ जाएगी, तब आकर ले लूंगा। इस पर डॉक्टर भड़क गई एक अन्य बच्चे के देखते हुए कहने लगी कि अब इसको खासी हो रही है, क्या बोलू दवाई नहीं लिखूं। मेरा काम केवल दवाई लिखने का है, यह तो आपको दवाई देने वाले ने बता ही दिया कि दवाई नहीं है। इस पर मरीज के परिजन ने चिकित्सक का नाम पुछा तो उन्होंने एक व्यक्ति को कहां डाक्टर साहब को बुलाकर लाओ वह मेरा नाम भी बताएंगे और दवाई कहां मिलेगी यह भी बताएंगे। जब डाक्टर कुछ समय तक नहीं आए तो उक्त चिकित्सक केबिन से उठकर गई और डॉ. रवि दिवेकर को बुलाकर ले आई।
मालूम है दवा चार दिन से नहीं है फिर भी लिख रहा हूं
डॉ.दिवेकर ने मरीज के परिजन से आते ही कहा कि अब आप ऐसा करे २० नंबर कमरे में जाओ, मुझे मालूम है कि यह दवाई यहां पर नहीं होगी। रूटिन में कफ सिरप नहीं लिखेंगे तो कैसे काम चलेगा। जब मरीज के परिजन ने कहा कि जब अस्पताल में दवाई है ही नहीं तो क्यों लिख रहे हैं। इस पर डॉ. दिवेकर ने पर्ची की दूसरी तरफ लिखते हुए कहा कि इसी पर्चे पर उस हॉस्पिटल में भी मिल जाएगी। मिलती है तो ठीक नहीं तो आप २० नंबर कमरे में जाना वहां आरएमओ बता देंगे, क्योंकि वह इंचार्ज है इस चीज के। उनका नाम है डॉ. नरेश चौहान। मुझे मालूम है यह दवाई है ही नहीं मैं खुद चार दिन से लिख रहा हूं। फिर भी आप देख लेना, खासी के मरीज तो बहुत आ रहे है हर दिन और वे अपने केबिन में चले गए।
एमसीएच में दवाईयों की कमी नहीं है, दिखवा लेते हैं दवाई क्यों नहीं दी कार्रवाई करेंगे। खांसी की गोलियों से भी आराम होता वह भी देते हैं पर क्यों नहीं लिखी, दिखवाते हैं। वैसे हम दवाई उपलब्ध करा देंगे। मेडिकल कॉलेज के लोग भी दवाई खरीदने वाले हैंं। मालूम कर लेते है कि कफ सिरप है कि नहीं। जब दवाई नहीं है तो फिर लिख क्यों रहे है, उसका सब्स्टीट्यूड क्यों नहीं लिखते।
डॉ. आनंद चंदेलकर, सिविल सर्जन सिविल अस्पताल रतलाम