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#Ratlam में कल्पसूत्र का सर्वप्रथम किया था हिन्दी अनुवाद

रतलाम. प्राकृत भाषा में रचित कल्पसूत्र का सर्वप्रथम हिन्दी अनुवाद कर जैन साहित्य को जनसामान्य के लिए सुलभ बनाने वाले आचार्य आनंद सागर सूरीश्वर के ज्ञान व्यक्तित्व से तत्कालीन सैलाना स्टेट के राजा दिलीपसिंह अत्यंत प्रभावित थे। उनके सहयोग से जो ज्ञान मंदिर कोटा में स्थापित होने वाला था, वह सैलाना में स्थापित हुआ, जो […]

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Acharya Anand Sagar Surishwar News

साध्वी चंदनबाला ने वीरपुत्र आचार्य आनंद सागर सूरीश्वर की पुण्यतिथि पर आनंद उपाश्रय में गुणानुवाद सभा में कही।

रतलाम. प्राकृत भाषा में रचित कल्पसूत्र का सर्वप्रथम हिन्दी अनुवाद कर जैन साहित्य को जनसामान्य के लिए सुलभ बनाने वाले आचार्य आनंद सागर सूरीश्वर के ज्ञान व्यक्तित्व से तत्कालीन सैलाना स्टेट के राजा दिलीपसिंह अत्यंत प्रभावित थे। उनके सहयोग से जो ज्ञान मंदिर कोटा में स्थापित होने वाला था, वह सैलाना में स्थापित हुआ, जो आज भी ज्ञान-साधना का केंद्र है। आचार्य का महाप्रयाण संवत 2017 में पालीताणा तीर्थ में हुआ।

यह बात साध्वी चंदनबाला ने वीरपुत्र आचार्य आनंद सागर सूरीश्वर की पुण्यतिथि पर आनंद उपाश्रय में गुणानुवाद सभा में कही। गुरु महिमा पर विचार व्यक्त करते हुए कहा कि गुरु के प्रति आस्था एवं निष्ठा ही साधना का मूल आधार है। जैन श्वेतांबर खरतरगच्छ श्रीसंघ की ओर से खरतरगच्छाधिपति मज्जिन आनंद सागर सूरीश्वर की 65वीं पुण्यतिथि त्रिपोलिया गेट स्थित आनंद भवन उपाश्रय में गुणानुवाद सभा के रूप में मनाई। साध्वी चंदनबाला ने आचार्य के कृतित्व एवं व्यक्तित्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वीरपुत्र आनंद सागर बहुभाषाविद्, प्रखर वक्ता एवं चौमुखी व्यक्तित्व के धनी आचार्य थे। उन्हें हिंदी, अंग्रेजी, प्राकृत एवं संस्कृत भाषाओं पर पूर्ण अधिकार प्राप्त था।

46 ग्रंथों का प्रकाशन किया
साध्वी ने बताया कि आचार्य आनंद सागर का जन्म संवत 1946 में सैलाना के कोठारी परिवार में हुआ। आपका जन्म नाम जाजूसिंह था। आपने संवत 1968 में रतलाम में दीक्षा ग्रहण की। दीर्घ तप, साधना एवं अध्ययन के पश्चात संवत 2006 में प्रतापगढ़ में आपको आचार्य पद से अलंकृत किया गया। मात्र 22 वर्ष की आयु में सांसारिक जीवन का त्याग कर आपने संयम मार्ग को अपनाया। अपने जीवनकाल में आपने 46 ग्रंथों का प्रकाशन कर जैन धर्म साहित्य को समृद्ध किया।

ज्ञान मंदिर सैलाना में
कार्यक्रम में श्रीसंघ अध्यक्ष अशोक चोपड़ा, संयोजक कांतिलाल चोपड़ा, मालवा संघ महामंत्री राजेंद्र कोठारी, पूर्व ट्रस्टी विक्रम सिंह कोठारी, विचक्षण विद्यापीठ के कोषाध्यक्ष रविंद्र मालू सहित अन्य प्रबुद्धजनों अपने विचार व्यक्त किए। सभा में सुरेंद्र सिंह कोठारी, महेंद्र चोपड़ा, पूनमचंद धारीवाल, अमित कोठारी, जितेन संचेती, जितेंद्र सावन सूखा सहित बड़ी संख्या में उपस्थित रहे। ज्ञान मंदिर सैलाना में कोठारी परिवार की ओर से दर्शन वंदन वीर पुत्र आनंद सागर सूरीश्वर की पुण्यतिथि के अवसर पर वीरपुत्र आनंद सागर परिवार के सांसारिक परिवार जन ने सैलाना स्थित ज्ञान मंदिर जाकर गुरु वंदना की।