
लाखों खर्च करने भी सुभाष कॉम्प्लेक्स में नहीं बिक पा रही दुकानें
रतलाम। नगर निगम द्वारा महू रोड पर बनाए गए सुभाष कॉम्प्लेक्स को ग्रहण लगा नजर आ रहा है। निगम द्वारा उसकी 99 दुकानों को बेचने के लिए बार-बार विज्ञप्ति जारी निकाली जा रही है लेकिन उसे कोई खरीददार नहीं मिल पा रहा है। निगम ने अपनी इस संपत्ति को बेचने के लिए अबकी बार तो लाखों रुपए खपा दिए लेकिन इतना करने के बाद भी उसे सिर्फ एक ही खरीददार मिल पाया है, जिसके चलते निगम ने उक्त दुकानों को बेचने के लिए जितनी राशि प्रचार-प्रसार व अन्य चीजों में खर्च कर दी, उतनी लागत भी वह वसूल नहीं पाया है।
नगर निगम की संपत्तियों में शामिल सुभाष कॉम्प्लेक्स में दुकानों के नहीं बिक पाने की सबसे बड़ी वजह निगम की विश्वसनीयता पर प्रश्न चिन्ह लगना बताया जा रहा है। दरअसल शहर के जो भी लोग उक्त दुकानों को खरीद सकते है, उनके बीच निगम अब तक विश्वास पैदा नहीं कर सका है जिसके चलते बीते कुछ वर्षों में आधा दर्जन से अधिक बार निगम इस मार्केट की दुकान बेचने के लिए विज्ञप्ति जारी कर चुका है लेकिन उसे अब तक उम्मीद के अनुरूप खरीदार नहीं मिल पा रहे है।
अपनों पर ही आरोप
निगम की संपत्तियों के नहीं बिक पाने की सबसे बड़ी वजह उसके अपने अधिकारी और कर्मचारियों की कार्यप्रणाली को माना जा रहा है जिससे परेशान होकर उपभोक्ता स्वयं को प्रताडि़त समझने लगता है। यहीं कारण भी है कि निगम की लाख कोशिशों के बाद भी इस पूरे सुभाष शॉपिंग काम्प्लेक्स में सिर्फ गिनती की दुकानें ही बिकी है, शेष सभी दुकानों में अब भी ताले ही लगे है। हालात यह हो गए कि बंद पड़ी दुकानों के शटर ही सड़ गए थे जिन्हे निगम ने हालही में दुरूस्त कराया है।
23 वर्षों में दुकानें नहीं बेच सके
निगम के द्वारा वर्ष 1999 में बनाए गए इस शॉपिंग कॉम्प्लेक्स में कहने के लिए ९९ दुकानें है लेकिन उनकी कीमतें आसमान को छूती नजर आ रही है। इसी कारण से बीते २३ वर्षों में २३ दुकानें भी नहीं बिक सकी है। वर्तमान में निगम द्वारा 32 से 35 लाख रुपए दुकानों की कीमत तय की गई है। लेकिन तल घर और ऊपर हिस्से की दुकानों की कीमत में बहुत ज्यादा अंतर नहीं होने से कोई भी व्यक्ति लाखों रुपए खर्च करके तल घर की दुकान चाह कर भी नहीं ले पाता है। आवेदक सिर्फ मुख्य मार्ग की ऊपर की दुकानों पर नजर रखता है।
३० करोड़ की अनुमानित आय का सपना
निगम के सुभाष कॉम्प्लेक्स की सभी दुकानों के बिकने पर निगम को करीब 30 करोड़ रुपए की अनुमानित आय की उम्मीद है। यदि सही तरीके से निगम के जिम्मेदार इसे बेचने की प्रक्रिया करें तो खरीददार भी इसमें रूचि लें लेकिन पूर्व की प्रक्रिया में आवेदन करने के बाद भी निगम की कार्यप्रणाली का पेंच फंसने से दुकानें स्वीकृत नहीं होने से आवेदकों का समय के साथ फार्म की राशि का नुकसान हुआ है। एेसे में अब लोग निगम की संपत्ति को खरीदने में कम ही रूचि ले रहे है।
बस स्टैंड के भी यहीं हाल
महू रोड बस स्टैंड पर निगम द्वारा बनाई गई दुकानों को लेकर भी लोगों की रूचि कम ही है। यहां पर एक दुकान के लिए विज्ञप्ति निकलने पर एक आवेदक ने आवेदन भी किया लेकिन उसे सब कुछ बेहतर होने के बाद अंतिम प्रक्रिया में बाहर कर दिया गया, आवेदक की माने तो पूरा आवेदन नियमानुसार किया गया था लेकिन तकनीकी कारण बताकर उसके आवेदन को निरस्त कर दिया गया जिसकी वजह से आवेदन के पांच हजार रुपए डूब ही गए।
Published on:
23 Dec 2021 09:00 am
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