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Mp Elecation 2018: कमल वाले विधायक के गांव की सेहत झोलाछाप डॉक्टरों के हाथ

कमल वाले विधायक के गांव की सेहत झोलाछाप डॉक्टरों के हाथ

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रतलाम. रतलाम ग्रामीण विधानसभा का हृदय स्थल माने जाने वाले बिलपांक से प्रीतमनगर के बीच बसे करीब आधा दर्जन से ज्यादा गांव में चुनाव प्रत्याशी की बजाय पार्टियों के चिन्ह पर ज्यादा निर्भर है। ग्रामीण मतदाता चेहरा नहीं, बल्कि चिन्ह देखकर मतदान करते है। यहां जनप्रतिनिधियों को भी पार्टी के चुनाव चिन्ह से ही पहचाना जाता है। इस सीट पर कभी कमल वालों का पलड़ा भारी रहता है तो कभी पंजे की ताकत दिखाई देती है। इस बार के चुनाव में भी चुनावी मुद्दें इन गांव में गौण है, कुछ चर्चा है तो बस सड़क, बिजली, कृषि उपज के कम दाम और सरकारी अस्पतालों तथा चिकित्सा सुविधाओं की कमी की। कमल वाले विधायक के गांव में भी ग्रामीणों की सेहत झोलाछाप डॉक्टर के हाथ में है।

ग्राम: कुंडाल-कोटेश्वर
राजनीतिक पहचान: भाजपा विधायक का गृहग्राम
धार्मिक पहचान: कोटेश्वर की ऐतिहासिक गुफा और मंदिर
विशेष पहचान: पहाड़ों के बीच कुंडाल डेम की फैलती लहरें
चुनावी चौपाल के मुद्दे: अस्पताल का अभाव, उपज के कम दाम
- रतलाम-इंदौर फोरलेन से 4 किमी की दूरी पर बसे ग्राम कुंडाल-कोटेश्वर में चुनावी माहौल डेम के पानी की तरह ठंडा है। खेतों में काटकर रखी फसल को घर लाकर मंडी तक ले जाने की जद्दोजहद में जुटे ग्रामीण राफेल, जीएसटी, नोटबंदी को महत्व नहीं देते। व्यापमं घोटाला भी चर्चा से बाहर है। इस गांव से भाजपा के विधायक मथुरालाल डामर ने फोरलेन से गांव तक पक्की सड़क बनवा दी है तो कुंडाल डेम के लिए अपनी कृषि भूमि का हिस्सा देकर ग्रामीणों की सहानुभूति भी बटोरी है। हालांकि गांव वालों के लिए विधायक डामर से ज्यादा महत्वपूर्ण पार्टी का चुनाव चिन्ह है, वे विधायक डामर को भी कमल वाला विधायक कहते है तो कांग्रेस नेताओं को पंजे वाले के नाम से पुकारते है। गांव में डेम के कारण पानी का स्तर ठीक होने से पेयजल संसाधन दम भर रहे है, लेकिन त्योहारी दबाव और सिंचाई के लिए बिजली की मांग ने कटौती के हालात बना दिए है। ग्रामीणों की मांग में एक अस्पताल की जरूरत शामिल है, फिलहाल इस गांव के लोग बीमार होते है तो झोलाछाप चिकित्सकों के हाथों ही इलाज कराने की मजबूरी रहती है।

महिला चौपाल: घूंघट अब नहीं, लेकिन मुद्दे वही वर्षो वाले
गांव में प्रवेश करते ही पहली गली के पास एक बड़े घर के सामने 5 से 6 महिलाएं चर्चा करती नजर आईं। जब उनसे चुनावी बातचीत हुई तो वे खुलकर बोलीं। मालवा की परंपरा से अलग महिलाओं का घूंघट कुछ कम था, लेकिन जुबां पर मुद्दें हमेशा वाले रहे। रामकलीबाई ने कहा कि हमारे गांव तक अच्छी सड़क है और पानी के लिए भी भटकना नहीं पड़ता, लेकिन इलाज कराने ६ कोस दूर जाना पड़ता है, गांव में अस्पताल नहीं है। पास बैठी सीता डामर अचानक शुरू हुई बिजली कटौती को कोसती है तो मीराबाई का कहना है कि सोयाबीन और लहसुन के कम दाम के कारण मेहनत भी नहीं निकल रही।

स्कूल, सड़क और बांध का कार्य
रतलाम ग्रामीण विधानसभा में हमने बहुत कार्य किया है, मेरे गांव तक पक्की सड़क है, स्कूल भवन है, कुंडाल डेम के कारण खेतों में उपज लहलहा रही है, कुछ कार्य बाकी है तो उसे भी पूर्ण कराया जाएगा। विधानसभा के सभी गांवों में विकास पर ध्यान दिया है। - मथुरालाल डामर, विधायक रतलाम ग्रामीण

सीधे गांव से: सचिन त्रिवेदी, रतलाम