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जुलूस सुबह 8.15 बजे सेठजी का बाजार स्थित आगमोद्धारक भवन से शुरू होकर मोहन टॉकीज पहुंचकर धर्मसभा में परिर्वतित होगा। जहां पर तपस्वियों का सत्कार किया जाएगा। कार्यक्रम के लाभार्थी ममता संजय मंडलेचा परिवार रहेगा।
थक जाओं तो प्रभु के चरणों में चले जाओ
मंगलवार सुबह मोहन टॉकीज में मुनिराज ज्ञानबोधि विजय ने कहा कि जिसको संसार बहुत अच्छा लगता है, जो मोक्ष की बात नहीं करता जिसे धर्म पसंद नहीं है, वह अचर्मवत होता है। चर्मवत को संसार, धर्म और मोक्ष पसंद है, लेकिन अर्द्ध चर्मवत को सिर्फ परमात्मा पसंद हैं। यदि पुरूषार्थ करते थक जाओं तो प्रभु के चरणों में चले जाओ। इससे एक कदम आगे पुण्य है, जितना सोचो उतना मिल जाए वह पुण्य है, और जो सोचा न हो वह भी मिल जाए वह परमात्मा का प्रभाव है। इस मौके पर बड़ी संख्या में धर्मालु उपस्थित थे।
संतुष्टि अर्थात जो प्राप्त है, वह पर्याप्त है
साधना की पहली शर्त सावधानी है। सावधानी हटी, तो दुर्घटना घटी का जुमला इसीलिए चलन में है। दूसरी शर्त संतुष्टि अर्थात जो प्राप्त है, वह पर्याप्त है का सिद्धांत अपनाना चाहिए। तीसरी शर्त समाधि होती है, जो सावधानी और संतुष्टि होने पर अपने आप आ जाती है। यह विचार आचार्यश्री विजयराज महाराज ने मंगलवार को सिलावटों का वास स्थित नवकार भवन में प्रवचन के दौरान व्यक्त किए। शुरुआत में प्रज्ञारत्नश्री जितेश मुनि ने आचारण सूत्र का वाचन करते हुए जीव मैत्री, जिन भक्ति और जीवन पूर्ति पर प्रकाश डाला। अंत में आदर्श संयमरत्नश्री विशालप्रिय मुनि ने प्रवचनों पर आधारित रोचक प्रश्न किए।
Published on:
25 Jul 2023 10:11 pm
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