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आज शहादत को करेंगे याद, कल निकलेंगे ताजिये

समाजजन रखेंगे रोजे, ताजियों का आज होता स्थान परिवर्तन

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Ratlam Online

Oct 22, 2015

रतलाम।
शहर में मोहर्रम माह की नौ तारीख शुक्रवार को रहेगी। जिसमें हजरत इमाम हुसैन की शहादत को याद किया जाएगा। रात्रि में ताजिये जो हजऱत इमाम हुसैन के मज़ार की प्रतिकृति होते हैं जो इराक के करबला नामक शहर में स्थित है वो इमाम बाड़ों से जियारत के लिए बाहर आ जाएंगे। अपने-अपने क्षेत्रों में रात्रि में अखाड़ों व बैंड, जिसमें हजऱत हुसैन की याद में मरसिये पढ़े जाकर गश्त कर प्रात: पुन: अपने-अपने स्थान पर वापस आ जाएंगे। 24 अक्टूबर की रात को ताजिय़ों का कारवां निकलेगा जो अपने निर्धारित मार्ग से होते हुए सुबह अपने गंतव्य पर पहुंचकर समाप्त होगा।

दारुल कजा व इफ्ता के सदर व काजी आसिफ अली ने बताया की इस्लाम में मोहर्रम की नौ व दस तारीख का विशेष महत्व है। पैगम्बर मोहम्मद साहब ने अपने अनुयाइयों को इन दोनों दिनों में रोज़ा रख कर दुआ मांगने की ताकीद की है। मोहर्रम की दस तारीख जिसे आशूरा कहा जाता है, उस दिन पैगम्बर मोहम्मद साहब से पूर्व अनेकों पैगम्बरों की दुआए कुबूल हुई और उन्हें अपने दुश्मनों पर विजय प्राप्त हुई थी। मान्यता है कि कयामत (प्रलय) भी मोहर्रम की दस तारीख यानी आशूरा के दिन ही घटित होगी और वह दिन शुक्रवार का होगा।

कल और परसो मुस्लिम समाज रोज़े से रहेगा, अनेक परिवारों द्वारा आशूरा के दिन इफ्तार और प्रीतिभोज के आयोजन किये जाते हैं, जिसमें अपने निकटतम संबंधियों मित्रों व जरूरतमंदों को आमंत्रित किया जाता है। मान्यता है की इस दिन जिस घर में प्रीतिभोज व रोज़ा इफ्तार करवाया जाता है। उस घर में पूरे वर्ष खुशहाली व बरकत बनी रहती है। इस कारण समाज के अनेक घरों में आशूरा के दिन प्रीतिभोज व रोज़ा इफ्तार के आयोजन किए जाते है।

दस दिन लगती सबील

काजी ने बताया कि मोहर्रम का माह पैगम्बर मोहम्मद साहब के नवासे जिन्हे पैगम्बर साहब ने अपना वंश कहा है की करबला में अपने परिवार के बहत्तर सदस्यों व साथियों के साथ यजीद की फौज के साथ सत्य की खातिर भूके प्यासे शहीद हो जाने के कारण जाना जाता है। यही कारण है की इस माह में मुस्लिम समाज के हर घर में हजरत हुसैन की शहादत के चर्चे रहते हैं। अधिकांश समाजजन इस माह में विवाह इत्यादि जैसे आयोजन करने से परहेज करते है। अधिकांश घरों में मुहर्रम के दस दिनों में सबील लगा कर शरबत पिलाया जाता है और दान पुण्य किए जाते हैं।