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रतलाम। शमशान मतलब आमतौर पर शव के जलने का स्थान माना जाता है, लेकिन मध्यप्रदेश के रतलाम में अनूठा आयोजन यम द्वितीया तिथि को होता है। यहां पर शहर के सबसे पुराने शमशान त्रिवेणी मुक्तिधाम पर बड़ी संख्या में शहरवासी आते है व दीप प्रज्जवलीत करके रांगोली बनाकर आतिशबाजी करते है। ढ़ोल नगाड़ों की आवाज के बीच शमशान में दिवाली पर्व मनाया जाता है।
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इंसान के अंतिम विश्राम स्थल मुक्तिधाम पर आकर्षक रंगबिरंगी-रंगोली बनाई, दीप जलाकर जमकर आतिशबाजी की गई। यम द्वितीय (नरक चतुर्दशी) शनिवार की शाम मानो त्रिवेणी मुक्तिधाम पर धूमधाम से दीपोत्सव मनाया गया। नन्हे-नन्हे बच्चे, महिला-पुरुष और बुजुर्गों में पहुंचकर अपने पूर्वजों की याद में दीप जलाते हुए सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित की गई। परम्परानुसार इस साल भी सामाजिक-सांस्कृतिक संस्था प्रेरणा द्वारा पिछले ग्यारह वर्षों से हर साल रूप चतुर्दशी की शाम मुक्तिधाम में पूर्वजों को याद करते हुए दीपोत्सव मनाया जाता है। इस साल भी धूमधाम से मनाया गया।
11 वर्ष पूर्व शुरू हुआ था आयोजन
शहर के त्रिवेणी मुक्तिधाम में सामाजिक सांस्कृतिक प्रेरणा संस्था के संयोजक गोपाल के सोनी ने बताया कि पूर्वजों की याद में 2008 की दिवाली के समय त्रिवेणी मुक्तिधाम में मैं जब शाम के समय अंतिम यात्रा में आया तो पूरे परिसर में अंधेरा पसरा हुआ था। उसी दिन मन में विचार आया कि अपने पूर्वजों की याद में हर दिवाली यहां पर दीपदान करेंगे।
बस उसी साल यह परम्परा शुरू की गई और वृहद रूप ले चुकी है। बड़ी संख्या में महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग भी अब इस दीपदान कार्यक्रम में शामिल होने लगे है। सभी अपने-अपने घरों से पांच दीपक, तेल बाती लाकर मुक्तिधाम में हर जगह दीप प्रज्जवलित करते है।
रंगोली का निर्माण किया जाता
संस्था द्वारा यहां आकर्षक रंगोली का निर्माण किया जाता है। शहरवासियों द्वारा अपने पूर्वजों को याद कर उन्हे श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए चकरी, अनार के साथ पटाखों की आतिशबाजी की जाती है। इस मौके पर मुक्तिधाम समिति के अध्यक्ष महेंद्र चाणोदिया, संस्था के महेश सोलंकी, राजेश चौहान, राजेश रांका, राकेश मीणा, कन्हैयालाल डगवाल सहित बड़ी संख्या में महिला-पुरुष और बच्चे शामिल हुए।
Published on:
28 Oct 2019 06:59 am
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