
JDA flats real estate
जयपुर। गांधीनगर में ओल्ड एमआरईसी के ३९ बंगलों की जगह अफसरों को ïफ्लैट देने के लिए बहुमंजिला इमारत की योजना में राज्य सरकार ने शर्तें ऐसी तय की हैं, जिन पर नित नए सवाल खड़े हो रहे हैं। बनाने की एवज में सरकार कपंनी को जो दो ब्लॉक्स देगी, उनके फ्लैट बेचने के लिए कंपनी ने दर करीब आठ हजार रुपए प्रति वर्ग फीट रखने का प्रस्ताव दिया है। यह दर इलाके के हिसाब से कम बताई जा रही है।
राजधानी में अफसरों के आवास की समस्या दूर करने के लिए सामान्य प्रशासन विभाग ने ओल्ड एमआरईसी में ६ ब्लॉक में विभिन्न तरह के २८९ फ्लैट्स बनाने की योजना तैयार की है। इसकी लागत करीब २३० करोड़ रुपए बताई गई है। सरकार ने इस राशि का इंतजाम करने के लिए केन्द्र सरकार की एनबीसीसी के साथ मिलकर आरईडीसीसी नाम की कंपनी का गठन किया है।
इस कंपनी को छह ब्लॉक बनाने की जिम्मेदारी दी गई है। एवज में कंपनी को दो ब्लॉक के करीब ९० से ९६ फ्लैट बेचने का अधिकार मिलेगा। कपंनी ने ये फ्लैट बेचने के लिए आठ हजार रुपए वर्ग फीट की दर भेजी है। यह गांधीनगर जैसे पॉश इलाके के हिसाब से कम है। ऐसे में बंदरबांट होने की आशंका खड़ी हो रही है। हालांकि वित्त विभाग ने फिलहाल इस प्रस्ताव को स्वीकृति नहीं दी है।
क्यों खड़े हो रहे सवाल
प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार गांधीनगर मोड़ से कनोडिया कॉलेज तक भूमि की डीएलसी दर करीब ५७ हजार रुपए प्रति वर्ग मीटर (१९ हजार वर्ग फीट) है। वहीं किसी बहुमंजिला इमारत में फ्लैट बेचने की स्थिति में पंजीयन विभाग उसकी रजिस्ट्री के लिए मंजिलवार दर निकालता है। पहली मंजिल पर फ्लैट की कीमत जमीन की डीएलसी का ७० फीसदी राशि के साथ निर्माण के लिए ९०० रुपए वर्ग फीट को जोड़ा जाता है।
इसके अनुसार भूतल पर २० हजार रुपए, पहली मंजिल पर फ्लैट की कीमत न्यूनतम करीब साढ़े १४ हजार रुपए वर्ग फीट होनी चाहिए। वहीं दूसरी मंजिल पर डीएलसी की ६०, तीसरी पर डीएलसी की ५० तथा इसके ऊपर डीएलसी की ४० फीसदी के हिसाब से दर आंकी जाती है। इसके अलावा कंपनी ने उसके स्तर से फ्लैट्स बेचने के लिए प्राइम लोकेशन के ब्लॉक्स देने के लिए कहा है।
यह किया जा सकता था
सूत्रों ने बताया कि बहुमंजिला इमारत बनाने के लिए २३० करोड़ रुपए कोई अधिक राशि नहीं है। सरकार के पास इसका इंतजाम नहीं था तो अपने स्तर पर ही दो-दो ब्लॉक के निर्माण की चरणबद्ध योजना तैयार कर सकती थी। इसमें एक ब्लॉïक के फ्लैट्स अधिकारियों को आवंटित किए जाते, दूसरे में नीलामी से फ्लैट बेचे जा सकते थे। इससे सरकार को अच्छी आय भी हो सकती थी।
योजना का खाका
लागत - २३० करोड़
कुल फ्लैट - २८९
कंपनी को बेचने के अधिकार - ९६ फ्लैट
Published on:
09 Oct 2017 01:52 pm
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