अध्ययन में शामिल जोड़ों से प्राप्त जानकारी के अनुसार जब घर के काम को बांटकर करने का समय आता है तो पुरुष कामकाज से बचते हैं। पुरुष सप्ताह में 5 घंटे से भी कम समय घर के कामों को देते हैं। जबकि महिलाओं की तुलना में यह केवल आठ प्रतिशत है। जबकि केवल 7 फीसदी पुरुष ही अपने जीवनसाथी के साथ मिलकर घर के कामों में मदद करते हैं।
लंदन यूनिवर्सिटी कॉलेज से अध्ययन की मुख्य शोधकर्ता प्रोफेसर ऐनी मैकमुन्न का कहना है कि यह अतिरिक्त काम है जो महिलाएं मुफ्त में कर रही हैं। क्योंकि समाज ने घर के काम को अवैतनिक और महिलाओं की ही जिम्मेदारी मान लिया है। कामकाजी महिलाएं ऑफिस से घर आती हैं तो घर के काम के रूप में ‘सेकंड शिफ्ट’ में लग जाती हैं।
शोधकर्ताओं ने समूह को रोजगार, घरेलू कामकाज और जिम्मेदारियों के आधार पर आठ समूहों में बांट दिया। सबसे बड़े समूह में पांच में से हर दो जोड़े कामकाजी पति-पत्नी के थे। शोधकर्ताओं को यह जानकर बहुत हैरानी हुई कि ३ फीसदी पुरुषों की तुलना में ऐसी कामकाजी 16 प्रतिशत महिलाओं ने भी सप्ताह के 20 से ज्यादा घंटे अकेले काम करने में बिताए। वहीं 6 फीसदी ऐसे जोड़े जहां महिलाएं घर की मुख्य कमाने वाली सदस्य थीं या 1 फीसदी ऐसे घर जहां पति हाउस हसबैंड की भूमिका में थे वहां या तो काम समान रूप से बंटा हुआ था या पुरुष ज्यादा काम करते थे।