सूर्य पूजा विधि
1. आषाढ़ मास में तीर्थ स्थल पर जाकर स्नान करने को बहुत महत्व दिया गया है लेकिन यह सभी के लिए संभव नहीं हो पाता। ऐसे में आषाढ़ के महीने में प्रतिदिन सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान के पानी में ही थोड़ा सा गंगाजल डालकर नहाएं।
2. इसके बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें। फिर एक तांबे के लोटे में जल भरकर इसमें कुमकुम, अक्षत, लाल फूल डालकर सूर्य देव को अर्घ्य दें। जल अर्पण के दौरान सूर्य देव के 'ॐ रवये नमः' मंत्र का उच्चारण करें। मान्यता है कि इस मंत्र के जाप से सेहत, बुद्धि और मान-सम्मान में वृद्धि होती है।
3. सूर्य देव को जल अर्पित करने के बाद धूप-दीप से आरती करें। साथ ही इस महीने में सूर्य ग्रह से संबंधित चीजें जैसे गुड़, लाल चंदन, गेंहू, तांबे की कोई चीज, पीले या लाल रंग के वस्त्र आदि अपनी सामर्थ्य अनुसार दान करने को भी बेहद शुभ माना गया है।
सूर्य पूजा का महत्व: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार आषाढ़ के महीने में रोजाना सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करने और भगवान सूर्य देव को जल अर्पित करने से रोगों से मुक्ति मिलती है और आपके भीतर सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। जो व्यक्ति पूर्ण श्रद्धा के साथ प्रतिदिन सूर्य पूजा करता है उसकी सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं और उसका सभी जगह यश बढ़ता है।
(डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई सूचनाएं सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। patrika.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ की सलाह ले लें।)