विचार मंथन : लौकिक सफलताओं का आधार
दहेज के लिए यातनाएं दिए जाने की कुछ घटनाएं तो अखबारों तक में छप जाती है। पर जो भीतर ही भीतर दबा दी जाती है, उनकी संख्या छपने वाली घटनाओं से अनेक गुनी अधिक है। पतिव्रत पालन के लिए लौह अंकुश रहता है पर पत्नीव्रता का कहीं अता-पता नहीं। विधुर प्रसन्नता पूर्वक विवाह करते है पर विधवाओं को ऐसी छूट कहां? नारियां सती होती है, पर नर वैसा उदाहरण प्रस्तुत नहीं करते। नारियां घूंघट मार कर रहती है। नाक, कान छिदवाकर सजधज से रहने के लिए उन्हें इसलिए बाधित किया जाता है कि वे अपना रमणी, कामिनी, भोग्या और दासी होने की नियति का स्वेच्छा पूर्वक उत्साह पूर्वक मानस बनाए जा सकें।
विचार मंथन: अच्छे व्यवहार का रहस्य : संत तुकाराम
लोक मानस का यह लौह आवरण हटे बिना नारी को नर के समतुल्य बनाने और उन्हें अपनी प्रतिभा का परिपूर्ण परिचय देकर प्रगति पथ पर कंधे से कंधा मिलाकर चलते रहने का अवसर आखिर कैसे मिल सकता है? आवश्यकता इस लौह आवरण के ऊपर लाखों करोड़ों छैनी हथौड़े चलाने की है, ताकि निविड़ बंधनों ने आधी जनसंख्या की मुश्कें कसकर जिस प्रकार डाली हुई है, उनसे छुटकारा पाने के लिए उपयुक्त वातावरण बन सके। अपने मिशन का नारी जागरण अभियान इसी गहराई तक पहुंचने का प्रयत्न कर रहा है। उसका मन विष वृक्ष की जड़ काटने का है। पत्तों पर जमी धूलि पोंछ कर चिन्ह पूजा कर लेने से तो आत्म प्रवंचना और लोक विडम्बना भर बन पड़ती है।
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