scriptविचार मंथन : झूठी मनुष्य को ईश्वर, पशु पक्षी घोड़ा सांप बिच्छू आदि पता नहीं क्या-क्या बना देगा- गुरु अंगद देव | daily thought vichar manthan guru angad dev | Patrika News

विचार मंथन : झूठी मनुष्य को ईश्वर, पशु पक्षी घोड़ा सांप बिच्छू आदि पता नहीं क्या-क्या बना देगा- गुरु अंगद देव

locationभोपालPublished: May 04, 2019 05:50:38 pm

Submitted by:

Shyam

झूठी मनुष्य को ईश्वर, पशु पक्षी घोड़ा सांप बिच्छू आदि पता नहीं क्या-क्या बना देगा- गुरु अंगद देव

daily thought

विचार मंथन : झूठी मनुष्य को ईश्वर, पशु पक्षी घोड़ा सांप बिच्छू आदि पता नहीं क्या-क्या बना देगा- गुरु अंगद देव

सत्य और झूठ
संसार में लोग सत्य भी बोलते हैं, और झूठ भी। सामान्य रूप से लोग सत्य बोलते हैं। परंतु जब कोई आपत्ति दिखाई दे, कहीं मान अपमान का प्रश्न हो, कहीं कोई स्वार्थ हो, कोई लोभ, कोई क्रोध हो आदि आदि, ऐसे कारण उपस्थित होने पर प्रायः लोग झूठ बोलते हैं। वे समझते हैं कि यदि मैंने इस अवसर पर सत्य बोल दिया, तो मेरा काम बिगड़ जाएगा। सामने वाला व्यक्ति मुझसे नाराज हो जाएगा। उससे मुझे जो लाभ मिल रहा है, वह नष्ट हो जाएगा।

 

ईश्वर का दंड
परंतु सब लोग एक जैसे नहीं होते। कुछ लोग यह सोचते हैं, कि हानि लाभ तो जीवन में होता ही रहता है। यह संसार है, इसमें सुख और दुख दोनों आते ही रहते हैं। मैं झूठ बोलकर ईश्वर को नाराज क्यों करूं? ऐसा करने पर ईश्वर मुझे दंड देगा और जो लाभ मुझे ईश्वर से मिल रहा है, या भविष्य में मिलने वाला है, वह मेरा लाभ नष्ट हो जाएगा। इसलिए ऐसे लोग ईश्वर को सामने रख कर सत्य ही बोलते हैं। तब जो उन्हें सांसारिक लोगों से हानि होती है, उसे वे सहन कर लेते हैं।

 

सावधान रहें
ऐसे अवसर पर उनको सहन करने की शक्ति, ईश्वर ही देता है। अतः संसार के लोग भले ही कुछ नाराज हो जाएं, आप ईश्वर को नाराज न करें। यदि ईश्वर नाराज हो गया, तो आपको उससे अधिक हानि उठानी पड़ेगी। संसार के लोग आपकी कम हानि कर पाएंगे। ईश्वर तो आगे पशु पक्षी घोड़ा सांप बिच्छू आदि पता नहीं क्या-क्या बना देगा। इसलिए सावधान रहें।

 

मैं गुरु वाला हूं
एक दिन अमरदास गुरु अंगद जी के स्नान के लिए पानी की गागर सिर पर उठाकर प्रातःकाल आ रहे थे कि रास्ते में एक जुलाहे कि खड्डी के खूंटे से चोट लगी और खड्डी में गिर गये। गिरने कि आवाज़ सुनकर जुलाहे ने जुलाही से पुछा कि बाहर कौन है? जुलाही ने कहा इस समय और कौन हो सकता है, अमरू घरहीन ही होगा, जो रातदिन पानी ढ़ोता फिरता है। जुलाही की यह बात सुनकर अमरदास ने कहा कमलीये घरहीन नहीं, मैं गुरु वाला हूं।

 

सच सच बताना
अमरदास के वचनों से जुलाही पागलों की तरह बौखलाने लगी। गुरु अंगद देव ने दोनों को अपने पास बुलाया और पूछा प्रातःकाल क्या बात हुई थी, सच सच बताना जुलाहे ने सारी बात सच सच गुरु जी के आगे रख दी कि अमरदास जी के वचन से ही मेरी पत्नी पागल हुई है। आप कृपा करके हमें क्षमा करें और इसे ठीक कर दें नहीं तो मेरा घर बर्बाद हो जायेगा। गुरु अगंद देव ने अमरदास को बारह वरदान देकर अपने गले से लगा लिया और कहा अब तुम मेरा ही रूप हो गये हो। इसके बाद गुरु अंगद देव ने जुलाही की तरफ कृपा दृष्टि से देखा जिससे वह पूर्ण ठीक हो गई।

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो