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जीवन का रस उन्होंने ही चखा है, जिनके रास्ते में बड़ी-बड़ी कठिनाइयां आई है : आचार्य श्रीराम शर्मा

locationभोपालPublished: Feb 14, 2020 04:25:02 pm

Submitted by:

Shyam Shyam Kishor

“रुकावटें” और “कठिनाइयां” आपकी हितचिंतक है

जीवन का रस उन्होंने ही चखा है, जिनके रास्ते में बड़ी-बड़ी कठिनाइयां आई है : आचार्य श्रीराम शर्मा

जीवन का रस उन्होंने ही चखा है, जिनके रास्ते में बड़ी-बड़ी कठिनाइयां आई है : आचार्य श्रीराम शर्मा

“रुकावटें” और “कठिनाइयां” आपकी हितचिंतक है

स्मरण रखिए, “रुकावटें” और “कठिनाइयां” आपकी हितचिंतक है। वे आपकी शक्तियों का ठीक-ठीक उपयोग सिखाने के लिए है। वे आपके मार्ग के कंटक हटाने के लिए है। वे आपके जीवन को आनंदमय बनाने के लिए है। जिनके रास्ते में रुकावटें नहीं पड़ी, वे जीवन का आनंद ही नहीं जानते, उनको जिंदगी का स्वाद ही नहीं आया। जीवन का रस उन्होंने ही चखा है, जिनके रास्ते में बड़ी-बड़ी कठिनाइयां आई है। वे ही महान आत्मा कहलाए है, उन्हीं का जीवन, जीवन कहला सकता है।

ईश्वर को समझना हो तो जीवन को समझो : सन्त टी. एल. वास्वानी

ईश्वर ने आपको इस संसार में निरर्थक नहीं भेजा

उठो! उदसीनता त्यागो, प्रभु की ओर देखों। वे जीवन के पुंज हैं, उन्होंने आपको इस संसार में निरर्थक नहीं भेजा। उन्होंने जो श्रम आपके ऊपर किया है, उसको सार्थक करना आपका काम है। यह संसार तभी तक दुःखमय दीखता है, जब तक कि हम इसमें अपना जीवन होम नहीं करते। बलिदान हुए बीज पर ही वृक्ष का उद्भव होता है। फ़ूल और फल उसके जीवन की सार्थकता सिद्ध करते हैं।

विचार मंथन : राष्ट्रधर्म का पालन प्रत्येक राष्ट्रवासी के लिए सर्वोपरि है

मुसीबतों का खिले चेहरे से सामना करों

सदा प्रसन्न रहो, मुसीबतों का खिले चेहरे से सामना करो। आत्मा सबसे बलवान है, इस सच्चाई पर दृढ़ विश्वास रखों। यह विश्वास ईश्वरीय विश्वास है। इस विश्वास द्वारा आप सब कठिनाइयों पर विजय पा सकते हैं। कोई कायरता आपके सामने ठहर नहीं सकती। इसी से आपके बल की वृद्धि होगी। यह आपकी आंतरिक शक्तियों का विकास करेगा।

विचार मंथन : ईश्वर का निवास स्थान यहां है

कर्मों की श्रेष्ठता एवं निष्कलंकता में आस्था रखने वाला मनुष्य

जो “सदाचारी” हैं, “सुकर्मवान” हैं, उसका आचरण ही उसको “लोकप्रिय” बना देगा। लोग उस पर विश्वास करेंगे, उसे आदर की दृष्टि से देखेंगे और उसकी चर्चा करेंगे। कर्मों की श्रेष्ठता एवं निष्कलंकता में आस्था रखने वाला मनुष्य बड़े से बड़ा कष्ट उठाकर भी किसी को धोखा नहीं देगा, मिथ्याचरण अथवा आडम्बर का अवलम्बन न लेगा।

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