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Gupt Navratri 2023: दूसरे दिन महाविद्या तारा की होती है पूजा, जानें महत्वपूर्ण बातें

Published: Jan 23, 2023 03:42:45 pm

Submitted by:

Pravin Pandey

Gupt Navratri 2023 का सोमवार को दूसरा दिन है। माघ नवरात्रि में माघ शुक्ल द्वितीया के दिन महाविद्या तारा (MahaVidya Tara Ki Puja) की पूजा की जाती है। आइये जानते हैं महत्वपूर्ण बातें।

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गुप्त नवरात्रि पूजा

उत्पत्ति कथाः जानकारों के अनुसार दस महाविद्या भी नव दुर्गा की तरह माता सती और पार्वती के ही रूप हैं, जिन्हें आदि शक्ति ने अलग-अलग समय प्रकट किया था। इनमें से कुछ की आराधना गृहस्थ करते हैं तो कुछ की साधना तांत्रिक और अन्य साधक।

गुप्त नवरात्रि में महाविद्या की साधना आमतौर पर तंत्र साधना करने वाले शख्स करते हैं। मान्यता है कि दस महाविद्या में से किसी एक महाविद्या की भी नित्य पूजा अर्चना से बीमारी, भूत प्रेत, अकारण मानहानि, गृह कलह, शनि का बुरा प्रभाव, बेरोजगारी तनाव आदि संकट समाप्त हो जाते हैं। महाविद्या की साधना कल्प वृक्ष के समान शीघ्र फलदायी है और कामनाओं को पूर्ण करने में सहायक है।

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार जब माता सती दक्ष के यज्ञ में जाने के लिए तैयार हुईं तो शिवजी ने उन्हें वहां जाने से रोक दिया। इससे क्रोध में आकर माता ने पहले काली को प्रकट किया फिर दस दिशाओं में एक-एक शक्ति प्रकट कर कहा मैं दक्ष के यज्ञ में जाकर या तो अपना हिस्सा लूंगी या यज्ञ का विध्वंस कर दूंगी। यही दस शक्ति दस महाविद्या हैं, जिनसे बाद में आदिशक्ति ने समय-समय पर दैत्यों का संहार किया।
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नौ दुर्गाः मां शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंद माता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, सिद्धिदात्री।
दस महाविद्याः काली, तारा, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, छिन्नमस्ता, त्रिपुरभैरवी, धूमावती, बगला मुखी, मातंगी और कमला।
सौम्य रूप वाली महाविद्याः त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, मातंगी और कमला।
उग्र रूप वाली महाविद्या: काली, छिन्नमस्ता, धूमावती, बगला मुखी।
सौम्य उग्र रूप वाली महाविद्याः तारा और त्रिपुर भैरवी।
गुप्त नवरात्रि के दूसरे दिन मां तारा की पूजाः गुप्त नवरात्रि के दूसरे दिन महाविद्या तारा की पूजा की जाती है, यह तांत्रिकों की प्रमुख देवी हैं। महर्षि वशिष्ठ ने सबसे पहले इनकी आराधना की थी। शत्रुओं का नाश करने वाली मां तारा सौंदर्य, रूप ऐश्वर्य की देवी हैं, आर्थिक उन्नति, भोग और मोक्ष दोनों प्रदान करने वाली हैं।
तारापीठ में देवी सती के नेत्र गिरे थे, इसलिए इस स्थान को नयनतारा भी कहा जाता है। यह पीठ पश्चिम बंगाल के बीरभूम में है। एक दूसरी कथा के अनुसार ये राजा दक्ष की दूसरी पुत्री थीं। तारा देवी का दूसरा मंदिर शिमला से 13 किमी दूर शोघी में है।
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तारा माता का मंत्रः नीले कांच की माला से 12 माला प्रतिदिन ऊँ ह्रीं स्त्रीं हुम फट मंत्र का जाप करना चाहिए।
इसके अलावा ऊँ ऐं ओं क्रीं क्रीं हूं फट् मंत्र भी माता तारा की प्रसन्नता के लिए जपा जाता है।
https://youtu.be/ID4Hrn_EE9M
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