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ज्योतिष: हर कष्ट दूर करता है हनुमान यज्ञ, धन और यश की भी होती है प्राप्ति

ज्योतिष शास्त्र में हनुमान यज्ञ के बारे में बताया गया है जो सभी प्रकार की पीड़ा से मुक्ति दिलाने के साथ धन और यश की प्राप्ति के मार्ग भी खोलता है।

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ज्योतिष: हर कष्ट दूर करता है हनुमान यज्ञ, धन और यश की भी होती है प्राप्ति

Hanuman Yagya: ‘नासे रोग हरे सब पीरा। जो सुमिरे हनुमंत बलबीरा।।‘ हनुमान चालीसा की ये चौपाई बताती है कि भगवान हनुमान मनुष्य को सभी प्रकार रोगों और पीड़ाओं से मुक्ति दिला सकते हैं। कहते हैं जो व्यक्ति सच्चे मन से इनकी अराधना करता है उसके सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। ज्योतिष शास्त्र में हनुमान यज्ञ के बारे में बताया गया है जो सभी प्रकार की पीड़ा से मुक्ति दिलाने के साथ धन और यश की प्राप्ति के मार्ग भी खोलता है। जानकार ऐसा मानते हैं कि इस यज्ञ में इनकी शक्ति है कि अगर इसे विधिवत तरीके से किया जाए तो व्यक्ति की सभी मनोकामना पूर्ण हो सकती हैं।

कहा जाता है कि कई हिंदू राजा युद्ध पर जाने से पहले हनुमान यज्ञ का आयोजन जरूर करते थे। ज्योतिष की मानें तो इस यज्ञ को किसी सिद्ध ब्राह्मण से विधिवत पूर्ण करना चाहिए। भगवान हनुमान को प्रसन्न करने का ये सबसे लोकप्रिय उपाय माना जाता है। इस यज्ञ में हनुमान जी के मंत्रों का उच्चारण किया जाता है साथ ही अन्य देवों की अराधना भी इस यज्ञ के माध्यम से की जाती है।

हनुमान यज्ञ के लिए सामग्री: लाल फूल, हवन कुंड, हवन की लकडियाँ, रोली, कलावा, गंगाजल, एक जल लोटा, पांच प्रकार के फल, पंचामृत, लाल लंगोट। इस यज्ञ को करने के लिए मंगलवार का दिन सबसे शुभ माना जाता है।

पूजन विधि: हनुमान जी की प्रतिमा को घर के मंदिर में स्थापित करें और खुद पूजन करते समय पूर्व दिशा की ओर मुख करके आसन पर बैठ जाएं। इसके पश्चात सीधे हाथ में चावल व फूल लें और इस मंत्र से हनुमानजी का स्मरण करें-

ध्यान करें-
अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहं
दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यं।
सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं
रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि।।
ऊँ हनुमते नम: ध्यानार्थे पुष्पाणि सर्मपयामि।।

इस मंत्र को पढ़ने के बाद हाथ में लिया हुई चावल और फूल हनुमान जी की अर्पित कर दें। इसके बाद नीचे दिए गए मंत्र का जाप करते हुए हनुमान जी के सामने किसी बर्तन या जमीन पर तीन बार जल छोड़ें।

ऊँ हनुमते नम:, पाद्यं समर्पयामि।।
अध्र्यं समर्पयामि। आचमनीयं समर्पयामि।।

जमीन पर या बर्तन में जल छोड़ने के बाद हनुमानजी को सिंदूर, कुंकुम, गंध, चावल, फूल और माला अर्पित करें। इसके बाद ‘हनुमान चालीसा’का कम से कम 5 बार जाप करें। अंत में घी के दीये के साथ हनुमान जी की आरती उतारें।
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(डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई सूचनाएं सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। patrika.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ की सलाह लें।)