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Hindu Calendar: नए साल में दो माह का होगा सावन, जानें होंगे साल में कितने महीने

Published: Dec 18, 2022 11:14:50 am

Submitted by:

shailendra tiwari

अंग्रेजी कैलेंडर में साल में 12 महीने होते हैं, सिर्फ हर चौथे साल फरवरी में एक दिन का फर्क आता है। लेकिन हिंदू कैलेंडर में एक ऐसा वर्ष भी है जिसमें हर तीसरे साल एक माह ही बढ़ जाता है, पढ़ें पूरी रिपोर्ट

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अधिकमास और मलमास का क्या मतलब है

भोपाल. वर्ष 2023 खास रहने वाला है। इस अवधि में हिंदू कैलेंडर में दो माह का सावन होगा, यानी साल में एक महीना बढ़ जाएगा। इसे अधिकमास, मलमास या पुरुषोत्तम मास कहते हैं। इस तरह साल में 13 महीने हो जाएंगे। ज्योतिषियों का कहना है कि 19 साल बाद ऐसा संयोग बन रहा है कि हिंदू कैलेंडर में दो माह का सावन आ रहा है। अब आप हैरान हो रहे हैं कि हम किस कैलेंडर और किस गणना की बात कर रहे हैं तो पढ़ें पूरी रिपोर्ट।

इस तारीख से लग रहा मलमासः प्रयागराज के आचार्य प्रदीप पाण्डेय के मुताबिक वर्ष 2023 में अधिकमास 18 जुलाई से शुरू होगा, और 16 अगस्त तक चलेगा। वैसे तो सावन भगवान शिव की पूजा का महीना है और माना जाता है यह भोलेनाथ को अधिक प्रिय है। इस महीने में पूजा अर्चना से भगवान शिव अत्यधिक प्रसन्न होते हैं, लेकिन मलमास भगवान विष्णु की पूजा के लिए जाना जाता है।
इसलिए एक साथ भगवान शिव और विष्णु की विशेष पूजा का मौका मिल रहा है। अधिक मास के स्वामी भगवान विष्णु माने जाते हैं और उनका एक नाम पुरुषोत्तम है, इसलिए इस महीने को भी पुरुषोत्तम मास के रूप में जाना जाता है।
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अधिकमास का कारणः दरअसल, भारतीय हिंदू कैलेंडर सूर्य और चंद्र से संबंधित गणना पर आधारित है, जिसे सूर्य वर्ष और चंद्र वर्ष के रूप में समझते हैं। प्रत्येक सूर्य वर्ष 365 दिन और करीब 6 घंटे का होता है। वहीं चंद्र वर्ष 354 दिन का होता है। इस तरह दोनों में 11 दिन का अंतर है, जो हर तीसरे साल एक महीने के बराबर हो जाता है।

इस अंतर को संतुलित करने के लिए चंद्र वर्ष में एक नया महीना अस्तित्व में आता है, अतिरिक्त होने के कारण ही इसे अधिकमास कहते हैं। यानी यह चंद्र वर्ष का ही एक अतिरिक्त भाग है जो हर 32 माह 16 दिन 8 घटी के अंतर पर आता है। इस तरह भारतीय गणना पद्धति के अनुसार सूर्य और चंद्र वर्ष में अंतर को संतुलित करने के लिए चंद्रवर्ष के एक भाग के रूप में इसको जाना जाता है।
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मलमास क्यों कहते हैं: मान्यता है कि अतिरिक्त होने के कारण यह मलिन है, इसे मलिन माना जाने के कारण ही इस महीने का नाम मलमास पड़ गया। इस महीने में पवित्र कर्म वर्जित माने गए हैं, नामकरण, यज्ञोपवीत, शादी विवाह, गृह प्रवेश, बहुमूल्य वस्तुओं की खरीद इस माह में आमतौर पर नहीं की जाती।

पुरुषोत्तमास का महत्वः हिंदू धर्म के अनुसार अधिकमास में किए गए प्रयासों से व्यक्ति निर्मल होकर ऩई ऊर्जा से भर उठता है। इसके अलावा इस महीने में किए गए धार्मिक कार्य कुंडली दोष का भी निराकरण करते हैं।
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