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भाग्य को अपने साथ लाने के सबसे सरलतम उपाय, जिससे रुठी किस्मत भी देने लगेगी साथ

locationभोपालPublished: Nov 06, 2020 11:02:07 am

पूरी तरह से मेहनत व लगन के बावजूद नहीं मिल रही है सफलता?… Hard Luck

how to convert your luck in favour: किस्मत सही न हो तो हम कई बार ऐसी चीजों में अटक जाते हैं, जिसमें हमें महारथ हासिल होती है

how to convert your luck in favour : किस्मत सही न हो तो हम कई बार ऐसी चीजों में अटक जाते हैं, जिसमें हमें महारथ हासिल होती है

हमारा भाग्य कब और कैसे साथ देगा कहा नहीं जा सकता, लेकिन कई बार तमाम कोशिशों के बावजूद हम किसी काम में सफल नहीं हो पाते तो अपने भाग्य को कोसना शुरु कर देते हैं। ऐसा कई बार ऐसे समय तक होता है जब कार्य के सफल होने की हमें सबसे ज्यादा जरूरत होती है, साथ ही इसे सफल बनाने के लिए हम सभी कोशिशें पूरी तरह से मेहनत व लगन के साथ करते हैं, लेकिन उसके बावजूद हमें नुकसान ही होता है। तभी तो कहते हैं कि समय से पहले और भाग्य से ज्यादा किसी को कुछ नहीं मिलता, लेकिन आज के दौर में हर कोई जल्द से जल्द सबकुछ पाना चाहता है।

इसके लिए लोग मेहनत भी करते हैं, लेकिन कई बार कभी ऐन वक्त पर तबियत खराब होने या कुछ और कारणों के चलते हम जिस चीज को पा सकते थे वो हाथ से निकल जाती है। इतना ही नहीं कई बार तमाम तरह की कोशिशों के बावजूद हम कोई चीज प्राप्त नहीं कर पाते।

इस संबंध में ज्योतिष के जानकार पंडित सुनील शर्मा के अनुसार ये सब हमारी किस्मत पर निर्भर करता है। यदि किस्मत सही न हो तो हम कई बार ऐसी चीजों में अटक जाते हैं, जिसमें हमें महारथ हासिल होती है।

वहीं यदि ज्योतिष के संबंध में बात करें तो ज्योतिष बीके श्रीवास्तव व वी शास्त्री कहते हैं कि जीवन में सफलता पाने के लिए मेहनत के साथ किस्मत भी बहुत जरूरी होती है।

यदि आप मेहनत कर रहे हैं लेकिन बार-बार असफलता मिल रही है या पूरी सफलता नहीं मिल पा रही है तो जरूर कहीं न कहीं कुछ रुक रहा है। ऐसे में यह देखना जरूरी होता है कि कहीं आपका भाग्येश तो कमजोर नहीं हो रहा है। यानि आपकी कुण्डली के नवें भाव का स्वामी कहीं कमजोर तो नहीं है।

ऐसे समझें कुण्डली…
प्रथम घर : लग्न ।
द्वितीय भाव: धन भाव ।
तृतीय भाव: पराक्रम ।
चतुर्थ भाव: मातृ स्थान ।
पंचम भाव: सुत भाव ।
षष्ठम भाव: शत्रु या रोग स्थान ।
सप्तम भाव : विवाह ।
अष्टम भाव : आयु या मृत्यु भाव ।
नवम भाव : भाग्य ।
दशम भाव : कर्म व पितृ ।
एकादश भाव : आय ।
द्वादश भाव : व्यय ।

पंडित सुनील शर्मा के अनुसार कुण्डली में 7 ही ग्रह होते हैं, वहीं राहु व केतु को राक्षस ग्रह माना जाता है। उनके अनुसार यदि आपकी कुण्डली में ग्रहों की स्थिति के आधार पर कुछ समस्या है तो कुछ उपायों के द्वारा भाग्य को मजबूती प्रदान की जा सकती है।

भाग्य को मजबूत बनाने के ये हैं उपाय…

1. शुक्र न दे रहा हो शुभ फल…
नवम भाव में तुला या वृष राशि हैं तो भाग्येश शुक्र होगा। शुक्र भाग्येश होकर शुभ फल न दे रहे हैं तो लक्ष्मी माता की उपासना से लाभ मिल सकता है। प्रतिदिन देवी लक्ष्मी की आरती करें और उन्हें मखाने या चावल की खीर का भोग लगाना चाहिए। स्फटिक की माला से प्रतिदिन ”ओम द्रां द्रीं द्रौं सः शुक्राय नमः” का जप करना भी लाभप्रद होगा।

2. बुध की स्थिति…
यदि बुध भाग्येश होकर आपको अच्छा फल नहीं दे पा रहा हो तब प्रतिदिन गणेशजी की पूजा करनी चाहिए। गाय को हरे रंग का चारा खिलाएं और तांबे का कड़ा धारण करें।

3. चंद्रमा की अशुभता…
यदि आपकी कुंडली में चंद्रमा शुभ नहीं है तो आप शिवजी का पूजन करें। ”ओम श्रां: श्रीं: श्रौं: स: चंद्रमसे नम:” मंत्र का जप करें। चांदी के गिलास में पानी पीने से भी लाभ मिल सकता है, ऐसा लाल किताब में बताया गया है।

4. अशुभ स्थिति में गुरु…
गुरु की अशुभ स्थिति के कारण यदि आपको भाग्य का साथ नहीं मिल रहा हो तो आपको भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने का प्रयास करना चाहिए। प्रतिदिन विष्णुजी की पूजा करें, और केसर या हल्दी का तिलक लगाएं।

5. मंगल की परेशानी…
मंगल के अशुभ प्रभावों के कारण लगातार दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है तो आप मंगलवार को हनुमानजी की पूजा करें। सुंदरकांड और हनुमान चालीसा का पाठ भी आपके लिए लाभप्रद रहेगा।
6. शनि की समस्या…
यदि आपको शनि की अशुभ स्थिति के चलते विपरीत परिस्थितियों का सामना करना पड़ रहा है तो काले और नीले कपड़े, जितना संभव हो न पहनें। शनिवार को पीपल के वृक्ष के नीचे दीया जलाएं और शनिवार को हनुमानजी की पूजा करें।
7. सूर्य का अशुभ प्रभाव…
सूर्य यदि अशुभ प्रभाव दे रहा हो तो उसका सुखद तेज और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए आपको प्रतिदिन सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त से पहले किसी भी समय गायत्रीमंत्र का जप करना चाहिए। प्रतिदिन सुबह के समय स्नान के बाद सूर्य को तांबे के लोटे स जल अर्पित करना चाहिए।

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