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Pradosh Vrat: कार्तिक माह का आखिरी प्रदोष व्रत कब है, जानिए इसका महत्व और कैसे करें व्रत की पूजा

Pradosh Vrat प्रदोष का व्रत तो आप सब ही करते ही है,लेकिन क्या आपको पता है कि प्रदोष का आखिरी व्रत कब है और क्या है इस व्रत का महत्व आइए जानते हैं...

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Pradosh Vrat

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Pradosh Vrat: प्रदोष व्रत शिवजी का प्रिय व्रत माना जाता है। मान्यता है कि इससे भोलेनाथ आसानी से प्रसन्न हो जाते हैं। इसमें भी कार्तिक प्रदोष विशेष है, क्योंकि चार लेकिन क्या आप जानते हैं कार्तिक माह का आखिरी प्रदोष व्रत कब है और क्या है इस व्रत का महत्व आइए जानते हैं...

प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat)

हिंदू धर्म में हर व्रत किसी न किसी देवता की पूजा के लिए किया जाता है। हर महीने के दोनों पक्ष की त्रयोदशी तिथि भगवान शिव की पूजा और व्रत के लिए समर्पित है। इस दिन सायंकाल को व्रत और पूजा किए जाने से इस व्रत को प्रदोष व्रत के नाम से जाना जाता है।

कार्तिक महीने का प्रदोष व्रत बेहद खास होता है, क्योंकि भगवान विष्णु के योग निद्रा में जाने और 4 माह तक सृष्टि का संचालन करने के बाद कार्तिक शुक्ल एकादशी पर यह भार महादेव भगवान विष्णु को सौंपते हैं और इसके बाद यह पहला और कार्तिक महीने का आखिरी प्रदोष व्रत होता है। आइए आपको बताते हैं कि कार्तिक मास का आखिरी प्रदोष व्रत कब है और क्या है इस व्रत का महत्व...

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कब है कार्तिक महीने का आखिरी प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat 2024 Kartik Mah)

हिंदू पंचाग के अनुसार कार्तिक महीने का आखिरी प्रदोष व्रत 28 नवंबर दिन बृहस्पतिवार को रखा जाएगा। यह व्रत महादेव-पार्वती की पूजा को समर्पित है। आइये जानते हैं प्रदोष व्रत का डेट, मुहूर्त और महत्व

कार्तिक शुक्ल त्रयोदशी आरंभः 13 नवंबर दोपहर 01:01 बजे
कार्तिक शुक्ल त्रयोदशी समापनः 14 नवंबर सुबह 09:43 बजे तक
प्रदोष व्रतः बुधवार 13 नवंबर 2024
बुध प्रदोष व्रत पूजा मुहूर्तः शाम 05:49 बजे से रात 08:25 बजे तक
त्रयोदशी यानी प्रदोष पूजा मुहूर्तः कुल 02 घंटे 36 मिनट का है।

क्या है प्रदोष व्रत का महत्व (kartik pradosh importance)

शिव पुराण में प्रदोष व्रत के महत्व के बारे में विस्तार से बताया गया है। इसके अनुसार भगवान शिव जी की कृपा पाने के लिए प्रदोष व्रत सबसे उत्तम व्रत है। इस व्रत का पालन से साधक को शुभ फल मिलते हैं। साथ ही हर प्रकार के कष्ट से मुक्ति मिलती है।

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कैसे करें प्रदोष व्रत की पूजा (Pradosh Vrat Puja Vidhi)

प्रदोष व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करें। इसके बाद भगवान शिव को पंचामृत से स्नान कराएं। साथ ही शिव परिवार का भी पूजन करें। भगवान शिव को बेल पत्र, फूल, धूप, दीप और नैवेद्य आदि अर्पित करें। भगवान के पंचाक्षरीय मंत्र का जाप करें, शिव चालीसा पढ़ें, अंत में आरती करें। प्रदोष काल में फिर स्नान करके, शुभ मुहूर्त में फिर इसी विधि विधान से शिव जी की पूजा करें और व्रत पूरा करें।