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krishna pingala sankashti chaturthi: इस पूजा के दिन पृथ्वी पर वास करते हैं गणेशजी, जानिए कब है कृष्ण पिंगला संकष्टी चतुर्थी और क्या है पूजा विधान

आज से आषाढ़ महीना शुरू हो रहा है। इसकी कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को गणेशजी के भक्त कृष्ण पिंगला संकष्टी चतुर्थी के रूप में मनाते हैं, और व्रत रखकर गणेशजी की पूजा पाठ करते हैं। यह संकष्टी चतुर्थी संकट गणेश चौथ के नाम से भी जानी जाती है। कृष्ण पिंगला संकष्टी चतुर्थी व्रत कब है, इसकी पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है, संकष्टी चतुर्थी पर क्या चढ़ाएं आदि जानने के लिए पढ़ें पूरा आलेख...

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Pravin Pandey

Jun 05, 2023

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कृष्ण पिंगला संकष्टी चतुर्थी के दिन गणेशजी की पूजा

कृष्ण पिंगला संकष्टी चतुर्थी का महत्व
कृष्ण पिंगला संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की पूजा अर्चना की जाती है। मान्यता है कि इस दिन पूजा कार्य होने की वजह से भगवान गणेश धरती पर ही विराजमान होते हैं और भक्तों के आह्वान पर उनकी पूजा स्वीकार करते हैं। इस दिन भक्तों से प्रसन्न होकर भगवान गणेश सभी मनोकामना पूरी करते हैं और सभी कष्टों से छुटकारा दिलाते हैं। यह भी मान्यता है कि कृष्ण पिंगला संकष्टी चतुर्थी वाले दिन ही भगवान शिव ने गणेशजी के प्रथम पूज्य होने की घोषणा की थी। इसलिए यह पूजा विशेष है। मान्यता है कि इस पूजा से भगवान गणेश साधक को धन समृद्धि, सौभाग्य, शांति, स्वास्थ्य और खुशी प्रदान करते हैं।

इस दिन है कृष्ण पिंगला संकष्टी चतुर्थी 2023
दृक पंचांग के अनुसार आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि सात जून को 12.50 एएम से लग रही है और यह तिथि इसी दिन रात 9.50 पीएम पर संपन्न होगी। इसलिए सात जून को ही कृष्ण पिंगला संकष्टी चतुर्थी व्रत रखा जाएगा। संकष्टी चतुर्थी पूजा में चंद्रमा को अर्घ्य देने का विशेष महत्व है और सात जून को चंद्रोदय रात 10.50 पीएम पर होगा।

इसलिए खास है कृष्ण पिंगला संकष्टी चतुर्थी
कृष्ण पिंगला संकष्टी चतुर्थी एक वजह से और खास है। कृष्ण पिंगला चतुर्थी बुधवार को पड़ रही है, यह दिन गणेशजी की साप्ताहिक पूजा का भी दिन है। इससे इसका महत्व बढ़ गया है, इस व्रत का फल भी अधिक मिलेगा। इस दिन पूजा पाठ और उपवास से भगवान गणेश की कृपा तो प्राप्त ही होगी, बुध ग्रह संबंधी दोष भी दूर होंगे और बुध ग्रह की कृपा से जातक की भाषण कला आदि में निखार आएगा।

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कृष्ण पिंगला चतुर्थी की पूजा विधि
1. आषाढ़ कृष्ण चतुर्थी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान ध्यान कर पूजा और व्रत का संकल्प लें।
2. इसके बाद साफ पीले या लाल रंग के वस्त्र पहनें।
3. घर की साफ-सफाई कर पूरे घर में गंगाजल छिड़कें।


4. पूजास्थल पर एक लकड़ी की चौकी पर साफ लाल वस्त्र बिछाकर गणेशजी की प्रतिमा स्थापित करें।
5. भगवान गणेश के सामने घी का दीया जलाएं, धूप जलाएं और सिंदूर चढ़ाएं।
6. इसके बाद गणेशजी को फूल, दूर्वा और अन्य पूजन सामग्री चढ़ाएं।
7. भगवान के भोग के लिए मोदक या मोतीचूर के लड्डू और फल जरूर चढ़ाएं।


8. इसके बाद गणेशजी के मंत्रों का जाप करें, गणेश चालीसा का पाठ करें और आरती उतारें।
9. संध्या के समय फिर चंद्रमा को अर्घ्य दें, व्रत कथा पढ़ें और गलतियों के लिए क्षमा मांगें।
10. इसके बाद फलाहार करें और अगले दिन पंचमी तिथि में व्रत का पारण करें।