सनातनधर्मावलंबियों के अनुसार भोलेनाथ ऐसे भगवान हैं जो भक्तों की श्रद्धापूर्वक की गई थोड़ी सी भी भक्ति से प्रसन्न हो जाते हैं। मध्य प्रदेश के आगर मालवा में स्थापित भगवान शिव के मंदिर की कहानी भी कुछ ऐसी ही है। मान्यता है यहां आने वाले किसी भी भक्त की झोली कभी खाली नहीं रही। यहां श्रद्धापूर्वक जिसने भी एक बार सिर झुकाया, भोलेनाथ पलभर में उसपर प्रसन्न हो गया।
MOST READ : लुप्त हो जाएगा आठवां बैकुंठ बद्रीनाथ – जानिये कब और कैसे! फिर यहां होगा भविष्य बद्री…
जी हां, हम बात कर रहे हैं उस काल की जब देश अंग्रेजों का गुलाम हुआ करता था, लेकिन क्या आपको पता है कि भगवान शिव की भक्ति का प्रभाव ब्रिटिश काल के अफसरों पर भी रहा है। इसका जीता-जागता उदाहरण है मध्य प्रदेश के आगर मालवा का बैजनाथ महादेव मंदिर।
माना जाता है कि यहां सच्चे मन से जो भी मांगा जाता है, वो जरूर पूरा होता है। यह मंदिर बाणगंगा नदी के किनारे बना है और इसका इतिहास राजा नल से जुड़ा है।
आगर मालवा की उत्तर दिशा में जयपुर मार्ग पर बाणगंगा नदी के किनारे स्थापित श्री बैजनाथ महादेव का यह ऐतिहासिक मंदिर लिंग-राजा नलकालीन माना जाता है। कहा जाता है कि पहले यह मंदिर एक मठ के रूप में था और तांत्रिक अघौरी यहां पूजा-पाठ करते थे।
ब्रिटिश काल के अफसरों पर भगवान शिव की भक्ति का प्रमाण मंदिर के शिलालेख पर मिलता है। जिसके अनुसार एक ब्रिटिश जोड़े की इस शिव मंदिर के प्रति अगाध श्रद्धा थी और उन्होंने ही उस जमाने में यानी कि साल 1883 में 15 हजार की राशि से मंदिर का जीर्णोद्धार कराया। आइये जानते हैं पूरा वाक्या…
ब्रिटिश छावनी से जुड़ी है कहानी…
इतिहासकारों के अनुसार साल 1979 का दौर था। जब अंग्रेजों ने अफगानिस्तान पर हमला किया था। इसकी जिम्मेदारी मालवा की ब्रिटिश छावनी के लेफ्टिनेंट कर्नल मार्टिन को सौंपी गई थी। कहा जाता है कि वह युद्ध की रणनीति में काफी माहिर थे। यही वजह है कि इस हमले के नेतृत्व के लिए उन्हें चुना गया। लेकिन युद्ध पर जाने से पहले वह अपनी पत्नी लेडी मार्टिन को मालवा में ही छोड़कर गए।
खतों का सिलसिला बदला इंतजार में…
कर्नल मार्टिन हमले पर जाने से पहले अपनी पत्नी को एक वादा करके गए थे। इसके मुताबिक वह नियमित रूप से पत्नी लेडी मार्टिन को खत लिखेंगे। उसमें वह अपनी युद्ध में क्या-कुछ चल रहा है।
इसके अलावा अपनी कुशलता के बारे में भी लिखेंगे। अपने वादे के अनुसार कर्नल हर रात किसी न किसी से खत भिजवाते थे। उसमें वह युद्ध का और अपना हाल लिखते थे, लेकिन कुछ ही दिनों बाद अचानक कर्नल के खत आने बंद हो गए।
MUST READ : ऐसा मंदिर, जहां निवास करती हैं धरती की सबसे जागृत महाकाली! पूरी होती से सारी मनोकामनाएं
शुरुआती कुछ दिनों तक तो लेडी मार्टिन को लगा कि युद्ध अंतिम अवस्था पर है। हो सकता है इसके चलते कर्नल को वक्त नहीं मिल पा रहा हो। लेकिन जब देखते-देखते काफी दिन हो गए। न ही युद्ध समाप्ति की कोई खबर आई और न ही कर्नल मार्टिन की। लेडी मार्टिन बेहद परेशान हो गईं। एक दिन वह घुड़सवारी के लिए गई थीं। तभी उनके कानों में कुछ मंत्रों की आवाज गूंजी।
ऐसे पहुंची बाबा बैजनाथ मंदिर : लघुरूद्र अनुष्ठान से बरसी शिव कृपा
लेडी मार्टिन ने जैसे ही मंत्रों की आवाज सुनीं। वह उसी जगह रुक गईं। सामने उन्हें छोटा सा मंदिर दिखाई दिया। वह मंदिर पहुंची। वहां देखा कि कोई पूजा चल रही है। उन्हें ज्यादा कुछ समझ तो नहीं आया। लेकिन मन को मिल रही शांति के चलते वह वहीं बैठ गईं। थोड़ी ही देर में पूजा समाप्त हुई और मुख्य पुजारी की नजर लेडी मार्टिन पर पड़ी।
MUST READ : इस मंदिर में मिलता है पाप मुक्ति का सर्टिफिकेट
मंदिर के मुख्य पुजारी ने जब लेडी मार्टिन को देखा तो उनकी परेशानी का कारण पूछा। पहले तो वह कुछ देर तक चुपचाप ही बैठी रहीं। लेकिन बार-बार पूछने पर उन्होंने अपने पति कर्नल मार्टिन के वापस न लौटने और खतों के न आने की परेशानी बताई। इस पर पुजारी ने उन्हें बताया कि शिव की कृपा से हर परेशानी दूर हो जाती है। अगर वह भी 11 दिनों का शिव का लघुरूद्र अनुष्ठान करेंगी, तो उनकी समस्या भी सुलझ जाएगी।
फिर शुरू हुआ लघुरूद्र अनुष्ठान
लेडी मार्टिन ने उसी समय लघुरूद्र अनुष्ठान का संकल्प लिया। इसके बाद उन्होंने मन्नत मांगी कि उनके पति के सकुशल लौटने के बाद वह मंदिर का जीर्णोद्धार करवाएंगी। मंदिर के शिलालेख पर जानकारी मिलती है कि अनुष्ठान का जिस दिन समापन हुआ। उसी दिन लेडी मार्टिन को कर्नल मार्टिन का खत मिला। जिसमें उन्होंने लिखा था कि किस तरह अफगानी सैनिकों ने उन्हें और उनके सैनिकों को बंदी बना लिया था। कर्नल ने लिखा कि वह तो जीने की उम्मीद भी छोड़ चुके थे।
MUST READ : कोरोना की जन्मपत्री – जानें राशि के अनुसार बचाव के उपाय
वो करिश्में जैसा ही था
कर्नल ने खत में लिखा कि सबकुछ उनके विपरीत था। सभी अपनी अंतिम सांसें गिन रहे थे। लेकिन बीते 11 दिनों में कुछ करिश्में जैसा हुआ। एक रात उन्हें एक योगी मिला, जो उन्हें अफगानियों की कैद से बाहर ले आया। सैनिकों को भी मुक्त करा लिया।
इसके बाद सभी अफगानी सैनिकों को बंधक बनाकर युद्ध में विजय दिलाने में मदद की। यही नहीं उसने जाते-जाते यह भी बताया कि यह तुम्हारी प्रेयर का नतीजा है कि उसे मुझे बचाने के लिए आना पड़ा। इसके बाद वह चला गया। कर्नल ने खत में लिखा कि अब वह जल्दी ही सैनिकों के साथ वापस लौटने की तैयारी में हैं।
बाबा की शरण में पहुंच कर संकल्प पूरा किया
कर्नल के लौटते ही लेडी मार्टिन ने उन्हें बाबा बैजनाथ मंदिर और लघुरूद्र अनुष्ठान के बारे में बताया। साथ ही अपनी मन्नत के बारे में भी बताया। इसके बाद दोनों ही बाबा बैजनाथ की शरण में पहुंचे। अपनी मन्नत के अनुसार उस दौरान यानी कि साल 1883 में लेडी मार्टिन ने 15 हजार की धनराधि देकर मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया। इसके बाद वह जब तक मालवा में रहे नियमित रूप से शिव पूजन के लिए जाते रहे।
MUST READ : नौकरी जाने का हो खतरा या ट्रांसफर का हो डर, अपनाएं ये आसान उपाय कुछ नहीं होगा
बैजनाथ महादेव मंदिर, आगर मालवा
मंदिर का गर्भगृह 11 गुणा 11 फीट का चौकोर है तथा मध्य में आग्नेय पाषाण का शिवलिंग स्थापित है। मंदिर का शिखर चूने-पत्थर का निर्मित है जिसके अंदर और बाहर ब्रह्मा, विष्णु और महेश की दर्शनीय प्रतिमाएं उत्कीर्ण हैं।
करीब 50 फुट ऊंचे इस मंदिर के शिखर पर चार फुट ऊंचा स्वर्ण कलश है। मंदिर के सामने विशाल सभा मंडप और मंडप में दो फुट ऊंची एवं तीन फुट लंबी नंदी की प्रतिमा है। मंदिर के पीछे लगभग 115 फुट लंबा और 48 फुट चौडा कमलकुंड है, जहां खिलते हुए कमल के फूलों से यह स्थल और भी रमणीक दिखाई देता है।