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बेलपत्र चढ़ाते समय भूलकर भी न करें ये गलतियां, जानिए इससे जुड़े नियम

यदि आप सोमवार के दिन शिवजी पर बेलपत्र चढ़ाने वाले हैं, तो याद रखें कि उससे एक दिन पहले ही बेलपत्र तोड़कर रख लें। क्योंकि विद्वानों के अनुसार सोमवार के दिन बेलपत्र तोड़ना निषेध है।

नई दिल्लीMar 01, 2022 / 12:56 pm

Tanya Paliwal

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बेलपत्र चढ़ाते समय भूलकर भी न करें ये गलतियां, जानिए इससे जुड़े नियम

हिन्दू धर्म में महाशिवरात्रि का दिन भोलेनाथ की खास पूजा का दिन होता है। इस दिन जो भक्त पूरी श्रद्धा और विधि-विधान से भोलेनाथ को पूजता है उसे मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। भोलेनाथ के बारे में कहा जाता है कि वह अपने भक्तों से बड़ी जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं। इसलिए यदि पूजा में भक्तगण भोलेनाथ को प्रिय कुछ वस्तुएं जैसे धतूरा, भांग, सफ़ेद फूल और बेलपत्र को शिवजी को अर्पित कर दें, तो इसी से आदियोगी खुश होकर भक्तों के सारे कष्ट हर लेते हैं। माना जाता है कि महेश्वर को प्रिय वस्तुओं में से एक बेलपत्र के तीन पत्ते ऋग्वेद, यजुर्वेद और सामवेद के समान हैं। साथ ही महादेव को प्रिय बेलपत्र को उन्होनें स्वयं की जटा के समान भी बताया है। ऐसे में आपको शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाते समय खास ध्यान रखना चाहिए। अन्यथा शिवशंकर नाराज हो सकते हैं। तो आइए जानते हैं बेलपत्र अर्पित करते समय कौन-कौन सी सावधानियाँ रखनी जरूरी हैं…

शिवजी पर बेलपत्र चढ़ाते समय रखें इन बातों का ख्याल-

1. शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाते समय सुनिश्चित करें कि हमेशा अनामिका, मध्यमा और अंगूठे का इस्तेमाल करते हुए ही बेलपत्र अर्पित करें।

2. यदि आप सोमवार के दिन शिवजी पर बेलपत्र चढ़ाने वाले हैं, तो याद रखें कि उससे एक दिन पहले ही बेलपत्र तोड़कर रख लें। क्योंकि विद्वानों के अनुसार सोमवार के दिन बेलपत्र तोड़ना निषेध है।

 

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3. बेलपत्र चढ़ाने से पहले जांच लें कि उसकी तीनों पत्तियां एक साथ जुड़ी हुई हों और पत्तियां बिल्कुल भी कटी-फटी ना हों।

4. अगर आपसे गलती से बेलपत्र जमीन पर गिर जाए तो उसे पुनः उठाने में संकोच न करें। क्योंकि बेलपत्र कभी भी अपवित्र नहीं होता है। यानि आप मिट्टी में या जमीन पर गिरे हुए बेलपत्र को पुनः धोकर शिवजी पर चढ़ा सकते हैं।

5. शास्त्रों में यह भी बताया गया है कि शिवलिंग पर बेलपत्र को हमेशा जलाभिषेक करते हुए अर्पित करना चाहिए।

6. याद रखें कि जब भी बेलपत्र चढ़ायें बेलपत्र की चिकनी सतह की तरफ से ही अर्पित करें। यानी बेलपत्र की चिकनी सतह शिवलिंग को स्पर्श करनी चाहिए।

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