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Neem Karoli Baba: बाबा नीम करोली की बात मान लें तो नहीं रहेंगे गरीब, जानें बाबा की बातें

Neem Karoli Baba On Wealth: 20 वीं सदी के प्रमुख संत बाबा नीम करोली के देश दुनिया में लाखों भक्त हैं। उनके भक्त उन्हें हनुमानजी का भक्त मानते हैं और उनसे जुड़ी चमत्कारों की कहानियां सुनाते हैं। नीम करोली बाबा ने भक्तों को जीवन जीने का तरीका और धन की उपयोगिता भी समझाई है। अगर व्यक्ति उनकी इन बातों (Neem Karoli Baba ) को आत्मसात कर ले तो व्यक्ति की आर्थिक परेशानी दूर हो जाएगी और धन के प्रति उसका मोह भी खत्म हो जाएगा। आइये जानते हैं धन को लेकर क्या कहा है बाबा नीम करोली ने..

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Pravin Pandey

Apr 18, 2023

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धन की उपयोगिताः बाबा नीम करोली का कहना है कि किसी व्यक्ति के पास प्रचुर मात्रा में धन है तो इसका यह अर्थ नहीं है कि वह धनवान है। वह व्यक्ति तभी धनवान माना जा सकता है जब उसे धन की उपयोगिता पता हो। बाबा के अनुसार ऐसे धन का कोई लाभ नहीं है जो आपके पास है पर किसी गरीब और जरूरतमंद के काम नहीं आ रहा है। इसलिए धनवान वही है जिसे धन की उपयोगिता पता हो।


धन का वितरणः बाबा नीम करोली का सवाल था कि जब तक कोई पात्र आप खाली नहीं करेंगे तो भरेंगे कैसे, ठीक इसी तरह धन जमा करने से कोष नहीं भरता, बल्कि उसे खाली करने से भरता है। धनकोष में धन जमा करके रख देने से एक दिन वह खाली जरूर हो जाएगा। लेकिन इस धन कोष से लोगों की मदद करने वालों को भगवान धनवान बनाते हैं। किसी जरूरतमंद के लिए खाली किए धनकोष पर ईश्वर की असीम कृपा बरसती है। ऐसे लोगों के पास धन की आवक बनी रहती है।


खुद को गरीब न समझें: नीम करोली बाबा का कहना है कि धनवान वही है जो खुद को गरीब नहीं समझता है। बल्कि कहें तो असली धनवान वह है जिसके पास चरित्र, व्यवहार और भगवान की आस्था का कोष भरा हुआ है। धातु के आभूषण कागज के नोटों का मनुष्य की देह की तरह नाश हो जाता है। असली धनवान वही है जो कर्म, भाव, कल्याण और भक्ति से भरा हुआ है। अगर आप में ऐसे गुण हैं तो खुद को गरीब न समझें। ऐसे लोग ही सही मायने में धनवान होते हैं।

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जानें बाबा नीम करोली के कुछ चमत्कार

1. बाबा नीम करोली से जुड़े कई रहस्य हैं, ये चमत्कार बाबा के भक्तों में प्रचलित है। उनके चमत्कारों के बारे में भक्त बताते हैं कि एक बार बाबा के धाम में आयोजित भंडारे के दौरान घी की कमी पड़ गईं। इस पर बाबा के आदेश पर आश्रम से नीचे बहती नदी के पानी को लाया गया और घी की कड़ाही में डाल दिया गया। इस पर उस पानी ने घी का रूप ले लिया और प्रसाद तैयार हो गया।

2. भक्तों का कहना है कि बाबा अपनी दैवीय ऊर्जा से अचानक ही कहीं भी भक्तों के बीच प्रकट हो जाते थे और फिर अचानक ही अंतर्धान भी हो जाते थे। यहां तक की वे जिस वाहन में बैठे हों, उसका पीछा करने या फिर पैदल चलते समय उनका पीछा करने पर भी वो अचानक ही अदृश्य हो जाते थे।