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Pitru Paksh 2023: श्राद्ध पक्ष में ये चार काम माता लक्ष्मी को करते हैं प्रसन्न, कभी नहीं होगी धन की कमी

Pitru Paksha 2023 लाख कोशिशों के बावजूद धन आने का रास्ता नहीं बन रहा है और आप धन संकट का सामना कर रहे हैं तो इसका एक ही हल है जिससे आपकी सारी तकलीफ दूर हो जाएगी। अगर पितृ पक्ष में आप माता लक्ष्मी की पूजा में ये चार उपाय अपनाएंगे तो धन आगमन बढ़ जाएगा, और आपकी आर्थिक स्थिति सुदृढ़ हो जाएगी..

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Pravin Pandey

Oct 08, 2023

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पितृ पक्ष में लक्ष्मीजी को प्रसन्न करने के उपाय

भोपाल के प्रसिद्ध ज्योतिषी पं. अरविंद तिवारी के अनुसार धन प्राप्ति के लिए श्राद्ध पक्ष में माता लक्ष्मी की पूजा उन्हें शीघ्र प्रसन्न करने वाली होती है। इसलिए धर्म ग्रंथों में इसका आसान विधान बताया गया है। यदि आप श्राद्ध पक्ष में माता लक्ष्मी के उपाय करें तो आपकी धन संबंधी समस्याओं से छुटकारा मिल जाएगा.. ये हैं

श्राद्ध पक्ष में किए जाने वाले लक्ष्मीजी के चार उपाय...
1. माता लक्ष्मी को पूजा के दौरान लक्ष्मी कारक कौड़ियां चढ़ाएं।
2. पूजा करते वक्त माता लक्ष्मी के सम्मुख पांच गोमती चक्र पानी में रखें।


3. पूजा में धन की देवी लक्ष्मी को एक कमल का फूल अवश्य चढ़ाएं।
4. श्रीसूक्त का पाठ करें, इससे माता लक्ष्मी प्रसन्न होंगी और धन आगमन बढ़ जाएगा।

ये भी पढ़ेंः Indira Ekdashi 2023: पितृ दोष और दरिद्रता हो जाएगी दूर, नाराज पितर और देवों के लिए बस कर लें ये उपाय

श्रीसूक्त (ऋग्वेद)


ॐ ॥ हिरण्यवर्णां हरिणीं सुवर्णरजतस्रजाम् ।
चन्द्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातवेदो म आवह ॥ 1॥

तां म आवह जातवेदो लक्ष्मीमनपगामिनीम् ।
यस्यां हिरण्यं विन्देयं गामश्वं पुरुषानहम् ॥ 3॥

अश्वपूर्वां रथमध्यां हस्तिनादप्रबोधिनीम् ।
श्रियं देवीमुपह्वये श्रीर्मादेवीर्जुषताम् ॥ 3॥

कां सोस्मितां हिरण्यप्राकारामार्द्रां ज्वलन्तीं तृप्तां तर्पयन्तीम् ।
पद्मे स्थितां पद्मवर्णां तामिहोपह्वये श्रियम् ॥ 4॥

चन्द्रां प्रभासां यशसा ज्वलन्तीं श्रियं लोके देवजुष्टामुदाराम् ।
तां पद्मिनीमीं शरणमहं प्रपद्येऽलक्ष्मीर्मे नश्यतां त्वां वृणे ॥ 5॥

आदित्यवर्णे तपसोऽधिजातो वनस्पतिस्तव वृक्षोऽथ बिल्वः ।
तस्य फलानि तपसा नुदन्तु मायान्तरायाश्च बाह्या अलक्ष्मीः ॥ 6॥

उपैतु मां देवसखः कीर्तिश्च मणिना सह ।
प्रादुर्भूतोऽस्मि राष्ट्रेऽस्मिन् कीर्तिमृद्धिं ददातु मे ॥ 7॥

क्षुत्पिपासामलां ज्येष्ठामलक्ष्मीं नाशयाम्यहम् ।
अभूतिमसमृद्धिं च सर्वां निर्णुद मे गृहात् ॥ 8॥

गंधद्वारां दुराधर्षां नित्यपुष्टां करीषिणीम् ।
ईश्वरी सर्वभूतानां तामिहोपह्वये श्रियम् ॥ 9॥

मनसः काममाकूतिं वाचः सत्यमशीमहि ।
पशूनां रूपमन्नस्य मयि श्रीः श्रयतां यशः ॥ 10॥

कर्दमेन प्रजाभूता मयि सम्भव कर्दम ।
श्रियं वासय मे कुले मातरं पद्ममालिनीम् ॥ 11॥

आपः सृजन्तु स्निग्धानि चिक्लीत वस मे गृहे ।
नि च देवीं मातरं श्रियं वासय मे कुले ॥ 12॥

आर्द्रां पुष्करिणीं पुष्टिं पिङ्गलां पद्ममालिनीम् ।
चन्द्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातवेदो म आवह ॥ 13॥

आर्द्रां यः करिणीं यष्टिं सुवर्णां हेममालिनीम् ।
सूर्यां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातवेदो म आवह ॥ 14॥

तां म आवह जातवेदो लक्ष्मीमनपगामिनीम् ।
यस्यां हिरण्यं प्रभूतं गावो दास्योऽश्वान्विन्देयं पुरुषानहम् ॥ 15॥

यः शुचिः प्रयतो भूत्वा जुहुयादाज्य मन्वहम् ।
श्रियः पञ्चदशर्चं च श्रीकामः सततं जपेत् ॥ 16॥