
श्रीराम मंदिर अयोध्या की खुदाई से निकली मूर्तियां
साल 2024 के जनवरी महीने में मंदिर के गर्भगृह में बाल स्वरूप भगवान राम यानी रामलला की मूर्ति विराजमान हो सकती है। इसी समय इसकी प्राण प्रतिष्ठा होगी, इसके लिए 22 जनवरी की तारीख को लेकर अटकल चल रही है। इधर, श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने सोशल मीडिया पर तस्वीर जारी कर बताया कि खुदाई के दौरान सैकड़ों की संख्या में मूर्तियां, स्तंभ और शिलाएं मिली हैं और इन पर देवी देवताओं की कलाकृतियां बनी हुई हैं। इन्हें निर्माणाधीन मंदिर के बनने के बाद श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए रखी जाएगी।
हाई कोर्ट ने कराई थी खुदाई
बता दें कि मंदिर मस्जिद विवाद के निपटारे के लिए उत्तर प्रदेश उच्च न्यायालय ने यहां एएसआई से खुदाई कराई थी, जिसके वैज्ञानिक प्रमाणों के आधार पर ही विवाद का फैसला हुआ था। कोर्ट के आदेश पर पुराने मंदिर परिसर में ऑर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ASI) ने 40 से 50 फीट की खुदाई की थी, मंदिर परिसर की खुदाई के दौरान हजारों की संख्या में मूर्तियां, स्तंभ, देवी देवताओं की कलाकृति वाली शिलाएं मिली थीं, जिन्होंने हिंदू पक्ष के दावे को पुष्ट किया था।
कब से कर सकेंगे रामलला के दर्शन
श्रीराम जन्मस्थान ट्रस्ट के महासचिव चंपक राय के अनुसार प्रथम तल लगभग बनकर तैयार है और जनवरी 2024 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसका लोकार्पण करेंगे। मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा होगी और आप दर्शन शुरू कर सकेंगे। हालांकि बाकी का निर्माण कार्य जारी रहेगा। वहीं दूसरे तल का काम भी दिसंबर 2024 में पूरा हो जाएगा और जनवरी 2025 में मूर्तियों की स्थापना कर श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया जाएगा। जबकि 2025 में तीसरे चरण का भी काम पूरा हो जाएगा।
खुदाई में क्या-क्या मिला
अयोध्या श्री राम जन्मभूमि मामले में रामलला के वकील सीएस वैधनाथन ने कोर्ट में बहस के दौरान पुरातत्व विभाग की खुदाई में मिले सबूतों को अदालत में पेश किया था। इसमें उन्होंने बताया था कि जमीन के नीचे से मंदिर के अवशेष मिले हैं। इसमें उन्होंने कहा था कि यहां 12 वीं सदी में 1114 ई. से 1155 ई. तक साकेत मंडला के राजा गोविंदा चंद्रा का राज था, जिसकी राजधानी अयोध्या राजधानी थी और यहां विष्णु हरि का मंदिर था, जिसकी पुरातत्वविदों ने पुष्टि की है। इसके अलावा इन प्रमाणों को पेश किया था।
1. सीएस वैधनाथन ने कोर्ट को बताया था कि बाबरी मस्जिद के नीचे जो स्ट्रक्चर था, उसकी बनावट और खुदाई में मिली मूर्तियां से साबित होता है कि स्ट्रक्चर से पहले यहां मंदिर था।
2. वैद्यनाथन ने कोर्ट को बताया था कि मस्जिद गिरने के बाद यहां एक पत्थर का स्लैब मिला था, जिनमें 12 या 13वीं शताब्दी में लिखा शिलालेख भी शामिल है। शिलालेख का मूल पाठ संस्कृत में है। यहां मिले शिलालेखों पर साकेत मंडल में बने मंदिर का उल्लेख है और यह राम के जन्म का स्थान जिक्र है।
3. खुदाई में सजावटी ईंटें, दैवीय युगल, आमलक, द्वार चौखट, ईंटों का गोलाकार मंदिर, जल निकास का परनाला और एक विशाल इमारत से जुड़े 50 खंभे भी मिले हैं। इसके अलावा सातवीं से दसवी शताब्दी में निर्मित शिव पार्वती की मूर्ति और पुराने शिवमंदिर के भी भग्नावशेष मिले हैं।
Updated on:
13 Sept 2023 08:34 pm
Published on:
13 Sept 2023 01:40 pm
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