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राहु का यहां है आधिपत्य, जानें राहु से जुड़ी हर वो चीज जो करती है आपको प्रभावित

ज्योतिष के नौ ग्रहों में 6 देवग्रह और 3 दैत्य ग्रह...

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Role And Importance Of Rahu In Astrology : Everything about rahu in vedic astrology that you want to know

Role And Importance Of Rahu In Astrology : Everything about rahu in vedic astrology that you want to know

नौ ग्रहों में ( ज्योतिष के ) होने वाले परिवर्तन लगातार अपना प्रभाव जीवन में प्रदर्शित करते हैं। ज्योतिष के जानकार पंडित सुनील शर्मा के अनुसार ज्योतिष के नौ ग्रहों में से जहां 6 ग्रहों को देवग्रह माना गया है। वहीं केवल 3 ग्रह ही दैत्य,राक्षस या असुर ग्रह के रूप माने जाते हैं। इन असुर ग्रहों में राहु, केतु व दैत्यगुरु शुक्र माने गए हैं। इसके बावजूद देव ग्रहों को ये राक्षस ग्रह कड़ी टक्कर देते हैं।

इसमें राहु एक ऐसा ग्रह है जो देव सेनापति मंगल के प्रभाव तक को शून्य कर देता है। भले ही राहु केतु की उत्पत्ति को एक साथ माना जाता है, इसके बावजूद राहु को इन राक्षस ग्रहों में सबसे ताकतवर माना गया है। क्योंकि राहु ही ग्रहों के राजा सूर्य तक का ग्रास करने में सक्षम है। इसके साथ ही राहु अन्य देव ग्रहों भी को काफी प्रभावित करता है, वहीं इसे दुख का कारक ग्रह भी माना जाता है। ऐसे समझें राहु केतु की उत्पत्ति की कथा...

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पंडित सुनील शर्मा के मुताबिक पौराणिक कथा के अनुसार एक बार सूर्य और चंद्र द्वारा शिकायत करने पर भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से इसका धड़ सिर से अलग कर दिया, जबकि इससे पहले यह एक ही थे। परंतु इससे पहले इनके द्वारा अमृतपान कर लिए जाने के फलस्वरूप धड़ केतु और सिर राहु कहलाया। घोर तपस्या के पश्चात बह्माजी ने इन्हें आकाश मंडल में जगह दी।

: शास्त्रोक्त मतः राहु दैत्यराज हिरण्यकश्यप की पुत्री सिंहिका का पुत्र माना जाता है।
: वहीं ऋग्वेद और अथर्ववेद में दैत्यगुरु के रूप में इनका उल्लेख मिलता है।

धार्मिक कथा के अनुसार अमृत वितरण के समय दैत्यगुरु शुक्राचार्य ने गुप्तचर के रूप में इन्हें देवसभा में भेजा था। जहां भगवान शिव की कृपा से ये भगवान विष्णु के मोहनी रूप को समझ गए। इसके बाद देव बनकर भगवान विष्णु से अमृत पान कर अमर हो गया। वैदिक ज्योतिष के अनुसार राहु को नवग्रह में एक स्थान दिया गया है।

राहु की खास बातें :-

: यह ग्रह वायु तत्व म्लेच्छ प्रकृति और नीले रंग पर अपना विशेष अधिकार रखता है।

: ध्वनि तरंगों पर राहु का विशेष अधिकार है।

: शरीर में कान, जिह्वा, समस्त सिर और गले में राहु का विशेष प्रभाव रहता है।

: सोच-विचार, कपट, झूठ चोर-बाजारी, स्वप्न, पशु मैथुन आदि क्रियाओं को यह संचालित करता है।

: जानवरों में बिल्ली,हाथी व सर्प पर राहु ग्रह का विशेष प्रभाव माना गया है।

: धातुओं में कोयले पर राहु का अधिकार होता है।

: देवी मां सरस्वती इनकी ईष्ट देवी है।

: राहु को नीले फूल प्रिय हैं।

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राहु से होने वाली बीमारियां (मान्यता के अनुसार)...

: गैस प्रॉब्लम।
: बाल झड़ना
: उदर रोग।
: बवासीर।
: पागलपन।
: क्षय रोग।
: निरंतर मानसिक तनाव बना रहेगा।
: नाखून अपने आप ही टूटने लगते हैं।
: मस्तिष्क में पीड़ा और दर्द बना रहता है।
: राहु व्यक्ति को पागलखाने, दवाखाने या जेलखाने भेज सकता है।
: राहु अचानक से भी कोई बड़ी बीमारी पैदा कर देता है और इसके चलते कई बार व्यक्ति मृत्यु को प्राप्त हो जाता है।